एन्ना, लेडी बेक्सबाई (कहानी) : थॉमस हार्डी

Anna, Lady Baxby (English Story in Hindi) : Thomas Hardy

यह उस बड़े गृह युद्ध के समय की बात है, अगर मैं एक निष्ठावान् प्रजा की तरह इसे महान् विद्रोही क्लेरेंडन की तरह न कहूँ। मैं कहूँगा कि हमारे इतिहास के उस दुःखद समय में, कि किसी एक वर्ष को शरद् ऋतु के आगमन होने के समय में सात हजार फीट से ज्यादा और तोप वो सात टुकड़ों के साथ संसदीय सेवाएँ शेरटन महल के सामने बैठीं। जैसा कि हम सब जानते हैं, उस महल पर उस सदी में सेवेरन के एक एर्ल्स का अधिकार था और उसकी सहायता के लिए एक अभिजात मारक्विस को नियुक्त किया गया, जिसने इन भागों में राजा की सेना की कमान सँभाली। उस एर्ल और उनके बड़े पुत्र युवा लॉर्ड बेक्सबाई इस समय राजा के लिए सेना बनाने के लिए किसी और स्थान पर थे। लेकिन जब घेरा डालनेवाले महल में आए तो वहाँ पुत्र की गोरी पत्नी लेडी बेक्सबाई अपने नौकरों, अपने पति के कुछ मित्रों व रिश्तेदारों के साथ वहाँ मौजूद थी और उनकी मोरचाबंदी इतनी अच्छी व पर्याप्त मात्रा में थी कि उन्होंने मान लिया कि खतरे की कोई बात नहीं है।

संसदीय सेनाओं की कमान भी एक आभिजात्य सामंत ने सँभाली हुई थी। युद्ध के इस समय में निष्ठा हर तरह से राजा के प्रति थी। और रात के समय उसके दृष्टिकोण द्वारा इसका अवलोकन किया गया और सुबह जब टोह ली गई तो पाया गया कि वह बहुत उदास और हताश था। सच्चाई यह थी कि भाग्य अजीब निरालेपन द्वारा जिस किले को ध्वस्त करने आया था, वह उसकी अपनी बहन का घर था, जिसे वह उसके कुँवारेपन में अत्यधिक प्यार करता था और उसके पति के परिवार के साथ शत्रुता के कारण उत्पन्न मन-मुटाव के बावजूद वह उसे आज भी प्यार करता था। वह भी मानता था कि इस क्रूर विभाजन के बावजूद वह आज भी पूरी सच्चाई के साथ स्नेह करती है।

जो लोग उसके परिवार के इतिहास से अनभिज्ञ थे। उनको दीवारों पर गोला-बारूद दागने पर उसकी हिचकिचाहट समझ नहीं आ रही थी। वह किले के उत्तरी तरफ के मैदान पर ही रहा— उसके वहाँ पड़ाव डालने के कारण जिसे आज भी उसके नाम से जाना जाता है। फिर उसके मन में अपनी बहन एन्ना को एक पत्र द्वारा संदेश भेजने का विचार आया, जिसमें उसने बहुत ही गंभीरता से अपनी बहन से प्रार्थना की थी, क्योंकि वह उसका जीवन बचाना चाहता था कि वह दक्षिण के छोटे से किले के द्वार से चुपचाप बाहर निकल जाए और उसी दिशा में अपने किसी मित्र के घर चली जाए।

थोड़ी देर बाद उसने जो देखा, उसे देखकर वह आश्चर्यचकित रह गया। किले के सामने की दीवारों से घोड़े पर सवार हो एक महिला बाहर आ रही थी और उसके साथ एकमात्र परिचारिका थी। वह सीधे उस क्षेत्र की ओर आई और उस ढलान पर चढ़ गई, जहाँ उसकी सेना व शिविर लगा हुआ था। जब तक वह उसके एकदम नजदीक नहीं आ गई, तब तक उसे पता नहीं चला कि वह उसकी बहन एन्ना है। और वह इस बात से भयभीत हो उठा कि उसकी सेना की काररवाइयों से अनभिज्ञ वह ऐसा जोखिम उठाकर उनपर धावा बोलने के लिए बाहर आ गई है, जब उसके इस तरह सामने आने पर उसे मारने के लिए किसी भी क्षण उसकी तरफ से गोलाबारी आरंभ हो जाएगी। उसके बहुत करीब आने से पहले वह घोड़े से उतर गई और उसने उसके चेहरे को देखा, जो घोड़ा निस्तेज-सा था। लेकिन उसपर वैसे दुःख में डूबे भाव नहीं थे, जैसे कि उनके युवा दिनों में होते थे। वस्तुतः, जिस तरह का विवरण दिया गया था, उसे माना जाए तो वह उसकी चिंता में उससे कहीं अधिक दुःखद स्थिति में था। उसने आसपास की निगाहों से उसे बचाते हुए अपने शिविर में उसे बुलाया; हालाँकि अनेक सैनिक ईमानदार और विचारशील थे, वह यह बरदाश्त नहीं कर सकता था कि वह जो बचपन में उसकी प्रिय साथी थी, उसके इस अत्यंत शोक के समय में उसके बारे में लोगों को पता चले।

शिविर के एकांत में उसने उसे अपनी बाँहों में भर लिया, क्योंकि उसने उसे उन खुशनुमा दिनों के बाद से नहीं देखा था, जब युद्ध के आरंभ होने पर उसका पति और वह खुद राजा के निरंकुश आचरण के बारे में समान सोच रखते थे और उन्होंने यह सोचा तक नहीं था कि वे इसका विरोध करने के लिए कभी एकजुट नहीं होंगे। कहा जाता था कि वह दोनों भाई-बहनों में सबसे अधिक शांत है और उसने ही पहले एक सिलसिला बनाते हुए बातचीत शुरू की।

‘‘विलियम, मैं तुम्हारे पास आई हूँ; लेकिन जैसा तुम सोच रहे हो, अपने को बचाने नहीं। क्यों, ओह! आखिर तुम क्यों इस देशद्रोही उद्देश्य का समर्थन इतनी दृढता से कर रहे हो और हमें इतना दुःख दे रहे हो?’’ उसने कहा।

‘‘ऐसी बात नहीं है।’’ विलियम ने जल्दी से उत्तर दिया, ‘‘अगर सच्चाई कुएँ के तल में छुपी हो तो तुम उच्च स्थानों पर से न्याय की उम्मीद कैसे कर सकती हो? मैं किसी भी कीमत पर सच का साथ दूँगा। एन्ना, तुम किले को छोड़कर चली जाओ! तुम मेरी बहन हो; यहाँ से जाओ और अपना जीवन बचाओ!’’

‘‘कभी नहीं!’’ वह बोली, ‘‘क्या तुम यह हमला करना चाहते हो और वस्तुतः इस किले को गिरा देना चाहते हो?’’

‘‘बिल्कुल, मैं ऐसा ही करूँगा।’’ वह बोला, ‘‘अगर ऐसा नहीं हुआ तो चारों ओर फैली इस सेना का क्या फायदा?’’

‘‘फिर तुम्हें उस खँडहर के नीचे दफन अपनी बहन की हड्डियाँ मिलेंगी, जिसे तुम तोड़ोगे!’’ वह बोली। फिर कुछ और कहे बिना वह मुड़ी और वहाँ से चली गई।

‘‘एन्ना, मेरी बात मान लो!’’ उसने अनुनय-विनय की, खून पानी से अधिक गाढ़ा होता है और तुम्हारे व तुम्हारे पति के बीच में क्या सामान्य रह गया है?’’

लेकिन उसने अपना सिर हिलाया और उसकी बात अनसुनी कर फुरती से घोड़े पर सवार हो गई और किले की ओर, जहाँ से वह आई थी, वापस चली गई। मैं जितनी भी बार शिकार करने के लिए उस युद्धक्षेत्र से निकला, मेरे सामने वह दृश्य साकार हो गया।

जब वह युद्धक्षेत्र से काफी दूर चली गई और मध्यवर्ती युद्धक्षेत्र को भी पार कर लिया और किले के दायरे में पहुँच गई, जब से उसके घोड़े की सफेद पूँछ का सिरा तक दिखाई नहीं दे रहा था, वह उससे जुड़ी भावनाओं से अत्यधिक और उसकी भलाई को लेकर उससे कहीं ज्यादा द्रवित हो उठा, जब वह उसके सामने थी। उसने खुद को इस बात के लिए बेतहाशा उलाहना दिया कि उसने उसकी खुद की भलाई के लिए जबरदस्ती उसे रोके नहीं रखा, ताकि चाहे जो हो, वह उसकी सुरक्षा में रहे, न कि अपने पति की, जिसके उग्र स्वभाव ने तात्कालिक प्रभावों और योजना में अचानक लिये जानेवाले बदलावों के लिए प्रस्तुत किया था; अब इस उद्देश्य के लिए कार्य कर रहा था और इस मुश्किल में अब वह एक महिला की सुरक्षा करने के लिए अनिवार्य धैर्यपूर्ण निर्णय लेने में असमर्थता महसूस कर रहा था। उसका भाई उसके द्वारा कहे शब्दों के बारे में लगातार सोच रहा था। फिर उसने एक ठंडी साँस भरी और यह तक सोचा कि काश, बहन सिद्धांत से ज्यादा मूल्यवान् न होती और काश, उसने उसके साथ अपने भाग्य के बँधे होने की बात को इतने स्वाभाविक ढंग से न कहा होता!

किले पर आक्रमण करने के लिए बौछार करने में देरी उनके नेता के सामने आए इस व्यवधान के कारण थी, जो कुछ अनिश्चित काररवाइयों को करते हुए उसी जगह पर कायम था और मारक्विस के साथ, जिसके हाथ में तब कमान थी, किले की सीमा में ही अधीनस्थ सेनाओं के साथ विचार-विमर्श कर रहा था। उसे इस बीच यह खयाल तक नहीं आया कि उसकी बहन युवा बेक्सबाई की मनोःस्थिति भी उस समय उसके जैसी ही थी, उसके भाई की परिचित आवाज और आँखें, जो युद्धक्षेत्र में डटे रहने के कारण थक गई थीं और इस दुःखद दुश्मनी के कारण परिवार में उत्पन्न मतभेद पूरी दोपहर उसकी आँखों के सामने साकार होते रहे। जैसे-जैसे दिन बीतता गया, वह अपने सिद्धांतों के प्रति और अधिक कट्टर होती गई; हालाँकि एकमात्र तर्क, जो उसको बार-बार कचोट रहा था, वह था पारिवारिक बंधन।

उसका पति जनरल लॉर्ड बेक्सबाई, प्रांत के पूर्वी भाग का भ्रमण कर किसी भी समय लौट सकता था। यहाँ उसके पीछे क्या हुआ था, इसके बारे में उसे संदेश भेजा जा चुका था; और शाम को वह अनपेक्षित संख्या में सैन्य बल के साथ लौट आया। अपनी सेना और स्वयं को थोड़ा विश्राम देने के लिए इससे पहले ही उसका भाई कोई चार-पाँच मील दूर इवेल के पास एक पहाड़ी पर चला गया था। लॉर्ड बेक्सबाई ने अपनी सेना को हर जगह तैनात कर दिया और अभी फिलहाल किसी बात का खतरा नहीं था। अब लेडी बेक्सबाई पहले से कहीं अधिक स्वयं को कुशल व दृढ महसूस कर रही थीं और अपनी तरंग में अपने भाई का थकावट भरा अनुमोदन, अपने पति द्वारा पराजय, उसे हृदयहीन बनाते प्रतीत हो रहे थे। जब उसका पति उसके कक्ष में तेजी से और उम्मीदों से भरा रक्ताभ चेहरा दाखिल हुआ, उसने उसका स्वागत किया; लेकिन दुखी मन से। और उसके भाई के पीछे हट जाने के बारे में कहे गए उसके कुछ शब्दों को सुन, जो उसके साहस पर लांछन लगाते प्रतीत हो रहे थे, उसने उसपर नाराजगी प्रकट करते हुए प्रत्युत्तर में कहा कि लॉर्ड बेक्सबाई स्वयं शुरू में खुद ही कोर्ट पार्टी के विरुद्ध थे, यहाँ अगर उपस्थित होता तो उसे ज्यादा श्रेय मिलता और निष्ठा खोखले सिद्धांत की खातिर राजा की झूठी नीति का समर्थन करने के बजाय, जो राजा के अपनी प्रजा के साथ न होने पर एक रिक्त प्रदर्शन लगता है, उसे उसके भाई की राय के साथ संगति रखनी चाहिए थी। उनके बीच एक विवाद के कारण थोड़ा मन-मुटाव पैदा हो गया, क्योंकि दोनों को ही जल्दी गुस्सा आ जाता था।

लॉर्ड बेक्सबाई अपने लंबे दिन के अभियान तथा अन्य आवेगों की वजह से बहुत थक गया था और जल्दी ही सो गया। कुछ समय बाद उसकी पत्नी भी लेट गई। उसका पति तो चैन से गहरी नींद में सो रहा था। पर उसे नींद नहीं आ रही थी, इसलिए वह खिड़की की झिरी के पास बैठ सोचने लगी।

प्रहरियों की चहलकदमी के बीच सन्नाटे में उसे दूर पहाड़ी पर लगे अपने भाई के शिविर की अस्पष्ट सी आवाजें सुनाई दे रही थीं, जहाँ शाम को लौटने के बाद से सेना ने अपना पड़ाव नहीं डाला था। शरद् ऋतु की पहली सर्दी ने घास का स्पर्श कर लिया था और बेलों की अत्यधिक नाजुक पत्तियाँ काँप गई थीं। उसने सोचा, इन कठिनाइयों के तनाव के नीचे ठंडी जमीन पर विलियम सो रहा होगा। उसके साहस पर अपने पति के लांछन की बात याद कर उसकी आँखों से आँसू बह निकले, जैसे कि पिछले कुछ दिनों उसने जो कुछ किया था उसके बाद लॉर्ड विलियम के साहस पर कोई संदेह हो सकता है।

अपने आरामदायक बिस्तर पर लॉर्ड बेक्सबाई की लंबी और शांतिपूर्ण साँसें अब उसे परेशान कर रही थीं और आवेश में उसने एक निर्णय ले लिया। जल्दी ही एक हलकी रोशनी जलाते हुए उसने कागज के एक टुकड़े पर लिखा—

‘‘खून पानी से गाढ़ा होता है। प्रिय विलियम, मैं आऊँगी।’’ और उसे हाथ में पकड़े वह कमरे के दरवाजे तक गई और सीधे सीढ़ियों के पास पहुँच गई। पल भर के लिए कुछ सोचते हुए वह पीछे मुड़ी और फिर अपने पति का हैट और लबादा पहना—वह वाला नहीं, जो वह रोज पहनता था—कि अगर उसे कोई उजाले में देख ले तो लगे कि कोई लड़का या किसी औरत का पीछा करनेवाला कोई पिछलग्गू है। इस तरह से स्वयं को सज्जित कर वह घुमावदार सीढ़ियों से नीचे उतर आई, जिसके नीचे पश्चिम की ओर उसका भाई जिस दिशा में था— चबूतरे पर एक द्वार खुलता था। उसका मकसद था कि वह प्रहरी की नजरें बचाकर वहाँ से निकल आए, अस्तबल में पहुँच जाए और एक परिचर को जगाकर और उसे अपने भाई को चेतावनी देने के लिए उस पुरजे के साथ राजमार्ग पर भेज दे।

वह उस समय प्रहरी थे। उसके सामने से हट जाने की प्रतीक्षा करते हुए पश्चिमी चबूतरे की दीवार की छाया में खड़ी थी, जब उसके कानों में पास की छाया से एक आवाज पड़ी— ‘‘मैं यहाँ हूँ!’’

वह आवाज किसी औरत की थी। लेडी बेक्सबाई ने कोई उत्तर नहीं दिया और दीवार से सटकर खड़ी रही।

‘‘मेरे लॉर्ड बेक्सबाई!’’ उस आवाज ने फिर कहा।

वह पहचान गई कि शेरटन के छोटे से शहर की स्थानीय लहजेवाली कोई लड़की वहाँ खड़ी है।

‘‘मैं तुम्हारी प्रतीक्षा करते-करते थक गई हूँ, प्रिय लॉर्ड बेक्सबाई! मुझे डर था कि तुम कभी नहीं आओगे!’’

लेडी बेक्सबाई सिर से पाँव तक काँप गई।

‘यानी कि यह उससे प्यार करती है!’ आवाज के लहजे से अनुमान लगाते हुए अपने स्वयं से कहा, जो दुखी व मीठा और चिड़िया की तरह कोमल था।

वह क्षण भर में एक कूटनीतिज्ञ पत्नी में बदल गई।

‘‘श....!’’ वह बोली।

‘‘लॉर्ड, आपने दस बजे आने को कहा था और अब बारह बजने वाले हैं। आप अगर मुझसे प्यार करते हैं, जैसा कि आपने कहा था, तो अखिर आप मुझे प्रतीक्षा कैसे करा सकते हैं? अगर यह आपके लिए नहीं होता, प्रिय लॉर्ड, तो मैं सेना के अपने प्रेमी से ही जुड़ी रहती।’’

इसमें कोई संदेह नहीं था कि यह मोहक युवती लेडी बेक्सबाई को उसका पति समझने की भूल कर बैठी थी। यहाँ चोरी-छिपे सबकुछ चल रहा था! यहाँ गुप्त रूप से चालबाजी हो रही थी। उसका धूर्त पति, जिसे अब तक वह विश्वसनीय मानती आई थी, उसके साथ ऐसा कैसे कर सकता है!

लेडी बेक्सबाई हड़बड़ाते हुए बुर्ज के द्वार की ओर गईं, उसे बंद किया, उस पर ताला लगाया और सीढ़ियाँ उतर गईं, जहाँ बचकर निकल जाने का एक रास्ता था।

‘‘मैं नहीं आ रही हूँ! मैं लॉर्ड बेक्सबाई, तुम्हें और तुम्हारी सारी व्यभिचारी जाति का तिरस्कार करती हूँ!’’ वह द्वार पर खड़े हो फुफकारी और फिर ऊपर की ओर चढ़ गई, किले के किसी भी पुरुष की तरह राजसी सिद्धांतों को दृढता से थामे।

उसका पति अभी भी थकावट भरी, भरे पेट और अत्यधिक शराब पीने के बाद की नींद में था और लेडी बेक्सबाई ने बिना किसी सहायता के अपने कपड़े बदले। उसकी परिचारिका बहुत पहले ही विश्राम करने चली गई थी। लेटने से पहले उसने धीमे से दरवाजा बंद किया और अपने तकिए के नीचे चाबी रख दी। इतना ही नहीं, उसने एक तनी ली और अपने पति के पास सरकते हुए चुपके से उसके लंबे बालों के एक गुच्छे में कसकर उस तनी को बाँध दिया और तनी के दूसरे सिरे को पलंग के डंडे से बाँध दिया, क्योंकि अब तक वह स्वयं बहुत थक चुकी थी और उसे डर था कि कहीं उसे गहरी नींद न आ जाए और अगर पति जाग जाता है तो उसे तुरंत पता चल जाएगा।

जब वह लेटी तो उसने पूरी तरह से आश्वस्त होने के लिए अपने पति का हाथ पकड़ लिया। लेकिन यह बीवियों के बीच चलनेवाली बात है और इसकी पुष्टि नहीं हुई है। अगली सुबह लॉर्ड बेक्सबाई ने उठने पर इतने अजीब ढंग से खूँटे से बँधे देख क्या सोचा और क्या कहा, केवल अटकल लगाने का मामला है; हालाँकि यह न मानने की कोई वजह नहीं है कि उसे बहुत तेज गुस्सा आया। इस षड्यंत्र के बारे में उसकी सदोषता इतनी अत्यधिक थी कि उस दिन शेरटन के पास एक चौराहे के पास रुकते हुए उसने एक सुंदर युवा लड़की के साथ चुहुलबाजी की, जिसके अनिच्छा जाहिर न करने पर उसने अँधेरा होने के बाद उसे किले के चबूतरे पर आने का निमंत्रण दे दिया—ऐसा निमंत्रण, जिसके बारे में वह घर वापस लौटने पर बिल्कुल भूल गया।

जहाँ तक ज्ञात है कि लॉर्ड और लेडी बेक्सबाई के रिश्तों में फिर झगड़ों के कारण उत्पन्न होनेवाली कटुता नहीं दिखी; हालाँकि बाद के जीवन में पति के आचरण में बीच-बीच में सनक दिखाई देने लगी और उसके सार्वजनिक जीवन का चढ़ाव-उतार एक लंबे निर्वासन में बदल गया। मैं जिस समय का वर्णन कर रहा हूँ, उसके दो-तीन वर्षों तक तब तक किले की घेराबंदी नियमित रूप से नहीं की गई थी, जब तक कि उस समय के राज्यपाल की पत्नी के सिवाय लेडी बेक्सबाई और वहाँ रहनेवाली तमाम औरतों को एक सुरक्षित दूरी पर नहीं पहुँचा दिया गया था। फेयरफैक्स द्वारा पंद्रह दिनों की वह यादगार घेराबंदी और पुरानी जगह का अगस्त महीने की एक शाम को आत्मसमर्पण इतिहास की बात है और मुझे इसके बारे में बताने की जरूरत नहीं है।

जब कर्नल को अपनी सहमति देते हुए मुखिया ने यह बात बताई और यह घोषणा की गई कि यह कहानी इतिहास का एक सच्चा आलेख है, क्योंकि यह जानने के लिए उसके पास ठोस कारण थे कि उसके खुद के लोग विख्यात छीना-झपटी में शामिल थे। उसने कर्नल से पूछा कि क्या उसने इतनी ही प्रमाणित, हालाँकि किसी लेडी पेनेलोप की कुछ कम वैवाहिक कहानी के बारे में सुना है, जो उसी सदी की थी और उस स्थान से बहुत ज्यादा दूर भी नहीं रहती थी।

कर्नल ने उसके बारे में नहीं सुना था, न ही और किसी ने, सिवाय स्थानीय इतिहासवेत्ता के और जाँच करनेवाले तथा छानबीन करने के लिए प्रेरित किया गया।

एक बदला हुआ आदमी

वह व्यक्ति, जो स्वयं कलाकारों के करीब था, जो उनके बारे में बहुत कुछ जानता था, एक पुराने मजबूती से निर्मित घर में ‘टॉप ओ टाउन’ (जैसा कि उस जगह को कहा जाता था) के नीचे रहता था और प्रथम तल पर एक झरोखे जैसी खिड़की के होने के कारण पड़ोसियों द्वारा एक विशिष्ट पहचान उसे मिली हुई थी, जहाँ से पश्चिम और पूर्व की ‘हाई स्ट्रीट’ का एकदम विहंगम दृश्य दिखता था, जिसमें लौरा का घर भी था। टाउन एवेन्यू (जिसमें अजीब शरारतें किया करते थे, जिनके बारे में बाद में बताया गया है) पोर्ट ब्रेडी की सड़क, जो पश्चिम की ओर जाती थी, से जुड़ा था और वह घुमाव, जो घुड़सवार फौज के बैरकों की ओर ले जाता था, जहाँ कप्तान ठहरा हुआ था। उसी प्रशंसात्मक बुर्ज से शहर में पूर्व की तरफ अभिमुख घरों के लंबे परिदृश्य क्षीण होने लगते और तब तक घटते जाते हैं, जब तक कि वे बंजर भूमि के पार राजमार्ग में विलीन नहीं हो जाते। सड़क की सफेद पट्टी एक-चौथाई मील दूर ग्रे ब्रिज पर आकर तब तक अदृश्य हो गई, जब तक कि वह अनगिनत कच्चे घुमावों, सतर्क छायाओं और 120 मील एकल लहरें ऊपर पहाड़ी और नीचे घाटी में घुल-मिल नहीं गईं, ताकि वह व्यस्त और फैशनप्रिय दुनिया के साथ जुड़ने के लिए एक सपाट व सौम्य सतह के रूप में स्वयं को हाइड पार्क कॉर्नर पर प्रदर्शित कर सके।

पहले वर्णित बैरकों से हाल में आया सैन्य दल ‘हुसार’ मोहल्ले के लिए नया था। शहर के लोगों का उनसे कोई परिचय होता है, उससे पहले ही यह बात फैल गई कि वह ‘सनकी लोगों’ का दल है और अपने साथ शानदार टोली लाया है। किसी कारणवश, बहुत वर्षों से शहर का इस्तेमाल घुड़सवार फौज के मुख्यालय के रूप में नहीं किया गया था। यहाँ तैनात विभिन्न सैन्य दलों में केवल आम फौजें ही समाहित थीं, इसलिए यह एक सम्मान की बात थी कि हर किसी—यहाँ तक कि मामूली सा फर्नीचर विक्रेता भी, जिससे विवाहित सैनिक मेज व कुरसियाँ किराए पर लिया करते थे—को उनके सनकीपन की खबर मिल गई।

उन दिनों में हुलार रेजीमेंट अपने बाएँ कंधे पर उन आकर्षक बिल्लों को धारण करती थीं या फ्रिलवाले हाफ कोट पहनती थीं, जो उनके पीछे किसी पक्षी के घायल पंख की तरह लटके होते थे, जिसे ‘पेलसी’ कहा जाता था; हालाँकि फौज में उसे ‘स्लिंग जैकेट’ के नाम से जाना जाता था। यह औरतों की नजरों में उनकी विलक्षणता को बढ़ा देती थी और वस्तुतः पुरुषों की नजरों में भी।

वह व्यक्ति, जो झरोखे जैसी खिड़कीवाले घर में रहता था, उस दृश्य को देखने के लिए वहाँ घंटों बैठा रहता था, क्योंकि वह अशक्त था और उसके पास समय की कमी नहीं थी। दुलारों के आने के एक हफ्ते बाद ही नीचे गली में खड़े स्कूल में पढ़नेवाले एक लड़के की तेज आवाज उसके कानों में पड़ी, जो किसी और लड़के से चिल्लाकर कुछ कह रहा था।

‘‘क्या तुमने हुलारों के बारे में सुना? उनके पीछे भूत पड़े हुए हैं। हाँ, एक भूत उन्हें परेशान करता है। वह बरसों से उनका पीछा कर रहा है।’’

एक भूताविष्ट रेजीमेंट : चाहे अशक्त वह हट्टा-कट्टा व्यक्ति यह उसके लिए नई बात थी। भरोसे पर बैठे श्रोता ने निष्कर्ष निकाला कि हुलारों के बीच अवश्य ही कुछ जीवंत लोग होंगे।

एक दोपहर चाय पर अपने कप्तान मौमबरी से बहुत ही औपचारिक तरीके से परिचय किया। वह उनसे मिलने व्हीलचेयर पर गया था—अपने बिगड़े स्वास्थ्य के कारण विरले ही वह बाहर निकलता था। मौमबरी अट्ठाईस या तीस वर्ष का सुदर्शन पुरुष था, जिसके आचरण में उसे शरारत का एक आकर्षक संकेत नजर आया, जो निश्चित रूप से युवा औरतों की नजरों में आदरणीय बना सकता है। बड़ी गहरी आँखें, जो उसके निस्तेज चेहरे पर चमक ले आती थीं, इस शरारत को बड़ी शिद्दत से व्यक्त करती थीं; हालाँकि उनकी किरणों की अनुकूलन क्षमता ऐसी थी कि कोई सोच सकता था कि वे उदासी या गंभीरता व्यक्त कर रही हैं, अगर वह ऐसा सोचने की क्षमता रखता हो।

वहाँ उपस्थित एक बूढ़ी व बहरी महिला ने निर्भीकता से कप्तान मौमबरी से पूछा, ‘‘हम तुम्हारे बारे में यह क्या सुन रहे हैं? कहा जा रहा है कि तुम्हारी रेजीमेंट भूताविष्ट है?’’

कप्तान के चेहरे पर गंभीर, यहाँ तक दुखी, भाव उभर आए।

‘‘हाँ,’’ वह बोला, ‘‘यह सच है।’’

कुछ युवा महिलाएँ तब तक मुसकराईं, जब तक कि उन्हें नहीं लगा कि वह वास्तव में गंभीर दिख रहा है।

‘‘सचमुच?’’ बूढ़ी औरत ने कहा।

‘‘हाँ। स्वाभाविक है, हम इसके बारे में कुछ ज्यादा बात नहीं करना चाहेंगी।’’

‘‘नहीं, नहीं, बिल्कुल नहीं। पर भूताविष्ट कैसे है?’’

‘‘असल में, बात यह है कि मैं कहूँगा, जो हमारा पीछा करती है। देश के प्रदेश या शहर में, विदेश या अपने देश में, बात तो एक ही है।’’

‘‘तुम इसकी वजह क्या बताओगे?’’

‘‘हूँ।’’ मौमबरी ने धीमे स्वर में कहा, ‘‘हमें लगता है कि पहले कभी हमारी किसी रेजीमेंट द्वारा किया कोई अपराध वजह हो सकती है।’’

‘‘ओह, कितना भयानक और विचित्र है!’’

‘‘लेकिन, जैसा कि मैंने कहा, हम इसके बारे में ज्यादा बात नहीं करते हैं।’’

‘‘नहीं...नहीं।’’

जब हुलार चला गया तो बहुत देर से दबाई हुई अपनी इच्छा को बाहर लाते हुए एक युवा महिला ने पूछा, ‘‘क्या शहर में किसी ने भूत को देखा है?’’

वकील का बेटा, जिसके पास नगर की हमेशा नवीनतम खबर होती थी, ने कहा कि उसे किसी अन्य ने तो कभी नहीं देखा, पर हुलारों ने नगर के किसी पुरुष या स्त्री के बजाय स्वयं उन्हें देखा है। बैरकों के सबसे नजदीक नगर-रास्तों के घने पेड़ों के नीचे देर रात को अकसर छायाएँ दिखाई देती हैं। वह कोई दस फीट लंबा है। उसके दाँत सूखी आवाज से कटकटाते रहते हैं, जैसे कि वे किसी कंकाल के दाँत हों और उसके नितंबों की हड्डियाँ उन कोटरों में दाँत पीस रही हों।

सर्दी के गहनतम हफ्तों में उनके डरपोक व्यक्ति इस मजेदार वर्णन का उत्तर देनेवाली चीज से सचमुच भयभीत हो गए और पुलिस मामले की जाँच-पड़ताल के कुछ सैनिकों ने राहत की साँस लेते हुए कहा था, ‘‘केस्टर ब्रिज में आने के बाद से भुतहा विपत्ति से जितना मुक्त महसूस कर रहे हैं, वैसा वर्षों में महसूस नहीं किया था।’’

यह भूत का खेल उन युवाओं द्वारा मनोरंजन का सबसे मजेदार साधन था, जो पत्थर के फूलवाली, लाल ईंटोंवाली इमारत में नगर में रहती थीं। जिस पर ‘डब्ल्यू.डी.’ लिखा था और उसकी कोनियों पर एक चौड़ा तीर बना हुआ था। गंभीर शरारतों से परे—प्यार, वाइन, ताश, शर्त लगाने से संबंधित छिछोरेपन के बारे में बात होती थी, वह भी अत्यधिक बढ़ा-चढ़ाकर। यह कि कप्तान मौमबरी सहित हुलार नगर और देहात की अनेक युवतियों के दुःख भरे आँसू लाने की वजह है, निस्संदेह एक सच बात है। इस सच के बावजूद कि इस पुराने चलन की जगह पर युवा पुरुषों की रँगरलियाँ किसी विशाल व आधुनिक शहर की तुलना में कहीं अधिक भड़कीली हैं।

II

हफ्ते में एक बार नियमित रूप से वे प्रयाण-आदेश का पालन करते हैं। मंद दक्षिण-पश्चिमी हवा में प्रत्येक घुड़सवार के कंधे के पीछे झूलती रोमांटिक पेलीली के साथ ऐसे ही एक अवसर पर नगर में लौटते हुए कप्तान मौमबरी को झरोखे पर नजर आई। वहाँ बैठे व्यक्ति, जो पढ़ रहा था, के साथ आपसी अभिवादन हुआ। पढ़नेवाले व्यक्ति और कमरे में उनके साथ बैठा मित्र तब तक सड़क पर से जाते सैन्य दल को देखते रहे, जब तक सैनिक उस घर के सामने नहीं पहुँच गए, जिसमें लौरा रहती थी। वह युवती बालकनी में खड़ी दिखाई दे रही थी।

‘‘मैंने सुना है, उनकी शादी होने वाली है,।’’ मित्र बोला।

‘‘कौन—मौमबरी और लौरा? कभी नहीं। इतनी जल्दी?’’

‘‘हाँ।’’

‘‘वह कभी शादी नहीं करेगा। बहुत सारी लड़कियों ने इस बारे में उसका नाम लिया है। मुझे लौरा के लिए खेद है।’’

‘‘ओह, पर तुम्हें अफसोस करने की जरूरत नहीं है। उन दोनों की जोड़ी खूब जँचती है।’’

‘‘वह भी दूसरों की तरह एक और लड़की है।’’

‘‘वह एक और है, और फिर भी उनसे बढ़कर है। वह रोज उनसे मिलती है। वह दिलों के खेल की जन्मजात खिलाड़ी है और जानती है कि उसे उसी की पद्धतियों में कैसे हराया जाए। अगर-मगर में कोई एक ऐसी औरत है, जिसका खुद पर नियंत्रण है और उससे शादी करने को

दृढ है। वह यही औरत है।’’

यह सही था, जैसा कि हुआ भी। स्वाभाविक झुकाव के द्वारा लौरा ने पहले सैन्य प्यार के अंदर पूरी तरह से प्रवेश किया, जैसा कि उन जीवंत प्रतिनिधियों के कथानकों व चरित्रों में प्रदर्शित किया गया, वह उसकी दृष्टि में आए। अपने आरंभिक युवा त्रियोचित पदाधिकारियों में, चाहे वे कितने ही होनहार क्यों न थे, उनका उसकी दिलचस्पी को प्राप्त करने की कोई संभावना न थी, अगर औसत योद्धा सीमा के अंतर्गत था। ऐसा हो सकता था कि बैरकों के नजदीक वेस्ट स्ट्रीट के कोने में उसके अंकल के घर की स्थिति (जो उसका घर था), वहाँ से सैन्य दलों का रोज निकलना, उसकी खिड़कियों से कुछ ही दूरी पर बिगुल का बजना और साथ ही यह तथ्य कि वह सैन्य जीवन की आंतरिक वास्तविकताओं के बारे में कुछ नहीं जानती है और इसलिए उसे आदर्श मानती है, ने भी यह सोचने में उसकी मदद की कि योद्धा ही केवल किसी औरत के दिल में उतरने लायक होते हैं।

कप्तान मौमबरी एक विशिष्ट व्यक्ति था, जिसके चारों ओर सारीकुँवारी लड़कियाँ ललचाई-सी घूमती रहती थीं, उसके लिए दर्द महसूस करती थीं, उसे फँसाना चाहती थीं, उसके लिए रोती थीं। वह उसके विवेकपूर्ण प्रबंधन के सामने उसके उद्देश्य को पूरा करने के लिए अभिभूत हो गया और जिस व्यक्ति से वह प्यार करती है, उसके आनंद के अतिरिक्त लौरा को इस बात की खुशी थी कि आस-पड़ोस की सारी विवाह योग्य लड़कियों की माँ उससे नफरत कर रही हैं।

झरोखे में बैठा रहनेवाला व्यक्ति शादी में गया— मेहमान के रूप में नहीं, क्योंकि उस समय तक वह जश्न के बारे में जानने लगा था, बल्कि मुख्यतः इसलिए क्योंकि चर्च उसके घर के पास था और कुछ इस कारण से भी, जिसने अनेक अन्य लोगों को भी समारोह का दर्शक बनने के लिए प्रेरित कर दिया था; एक अवचेतना कि हालाँकि मुगल अपने अनुभवों में खुश हों, लेकिन इस बात की पर्याप्त संभावना थी कि वैसे अनुमान लगाने की सुखद कारुणिकता के साथ किसी दर्शक की कल्पना में रंग भरे जाएँ। वह उन दिनों में अवसर पर लयबंदी के प्यारे आघात कर सकता था। और उसने इंतजार की घड़ियों को बहलाने के लिए अपनी प्रार्थना की किताब के खाली पृष्ठों पर कुछ पंक्तियाँ लिख दीं; हालाँकि तब उन्हें उसने किसी को दिखाया नहीं, शायद यहाँ दी जा सकती हैं—

एक अविचारित विवाह में

(अष्टपदी)

अगर घंटे वर्ष होते दोनों को आशीर्वाद मिलता, क्योंकि अब वे जीवन भर के बंधन के द्वारा द्रुत इच्छा को दिलासा देते हैं, जो उत्साह को खूँटे से बाँध देता। अगर घंटे वर्ष होते, दोनों का आशीर्वाद मिलता, पूर्व का सूरज कभी पश्चिम में नहीं जाता, न ही पीली राख आग का पीछा करती। अगर घंटे वर्ष होते, दोनों को आशीर्वाद मिलता, क्योंकि अब वे द्रुत इच्छा को दिलासा देते हैं।

जैसे कि, यद्यपि, सारी भविष्यवाणियों को झूठा साबित करने के लिए युगल विवाह में प्रणय-निवेदन के उन्माद को कायम रखने के रहस्य के बारे में जानते हुए प्रतीत होते हैं, जो कम-से-कम मौमबरी की तरफ से तो बिना गंभीर उद्देश्य के खुल गया था। आनेवाली सर्दियों में वे कैस्टरब्रज में—बल्कि साउथ वेसेक्स में—सबसे प्रचलित युग थे। नगर में आसानी से तय हो

जानेवाली दूरी के अंतर्गत युवा और जिंदादिल परिवारों के घरों का शानदार रात्रिभोज उनकी प्रफुल्ल उपस्थिति के बिना पूरे नहीं होते थे। प्रांत के नाच में मिसेज मौमबरी तेजी से घूमनेवाले लोगों में सबसे प्रफुल्ल व्यक्ति मानी जाती थीं और फिर जब रक्षक सेनावाले नगर के जीवन में वह घटना घटी—एक अनगढ़ नाटकीय मनोरंजन, तब भी बात वैसी ही थी। अभिनय इतने उत्कृष्ट परोपकार के फायदे के लिए था—और किसी ने इस बात की परवाह भी नहीं की कि किसके लिए था, बस नाटक खेला गया और कप्तान मौमबरी तथा उसकी पत्नी दोनों ही उसमें थे। मजे की बात तो यह है कि आपसी सहमति से वे अभिनय के प्रवर्तक थे। और इसलिए हँसी तथा बिना सुविचारित और गति, सब बहुत खुशी से हुआ। युगल के बिल का भुगतान करने में थोड़ी कंजूसी दिखाई गई; पर उनके साथ न्याय करने के लिए यह कहना जरूरी है कि कभी-न- कभी सारे ऋण चुका दिए जाएँगे।

III

सेना द्वारा दूर के प्रार्थना गृह में शामिल होने पर रविवार की एक सुबह प्रवचन-मंच पर एक अनजाना चेहरा अवतरित हुआ। यह नए सहकारी पुरोहित का चेहरा था। उसने डेस्क पर उपदेश की किताब नहीं रखी, वरन् एक ‘बाइबिल’ को रखा। उस उपासना में वह व्यक्ति उपस्थित नहीं था, जो ये सब बातें बताता था; पर वह जल्दी ही इस बात को जान गया कि उसकी भक्तमंडली के लिए वह युवा पुरोहित किसी आश्चर्य से कम नहीं था; हमेशा मिश्रित, हालाँकि पूरी इमारत में हुसाल फैले हुए थे। उसके कोने नागरिकों से भरे हुए थे, जिसे परोपकार न करनेवालों ने भी यह कहकर वर्णित किया कि वह सेना के बजाय उपासनाओं से कम आकर्षित होता है।

पहले से भरे हुए चर्च में सिकुड़कर बैठने का एक और दूसरा कारण उत्पन्न हो गया। मि. सेनवे की आकर्षक और सौम्य वाक्पटुता ने उन पर किसी सम्मोहन की तरह काम किया, जो उपदेश देने की उच्च व नीरस शैली के अभ्यस्त थे और कुछ समय के लिए नगर के अन्य चर्चों में बैठनेवालों की संख्या में कमी आ गई।

उन्नीसवीं सदी में उस समय धार्मिक लोगों के विस्तृत समूह के बीच चर्च जाने का एकमात्र कारण उपदेश ही थे। उपासना-पद्धति एक औपचारिक भूमिका थी, न्याय दरबार में जिससे राजसी घोषणा की तरह वास्तविक उद्देश्य आरंभ होने से पहले गुजरना पड़ता था; और घर पहुँचने पर प्रश्न यही होता था—किसने उपदेश दिया और उसने अपने विषय पर कैसे प्रकाश डाला? अगर उपासना में किसी महाधर्माध्यक्ष को नियुक्त किया जाता तो भी क्या कहा या गाया गया, इसके बारे में किसी ने ज्यादा परवाह नहीं की होती। जो लोग पहले सुबह के समय जाते थे, वे अब शाम को जाने लगे और यहाँ तक कि दोपहर में होनेवाले विशेष भाषणों में भी एक दिन जब कप्तान मौमबरी अपनी पत्नी की बैठक में आए, जो किराए के फर्नीचर से भरी हुई थी, उसे लगा कि वह कोई और है, क्योंकि वह ऊपर हवा में तैरती संगीतमय आवृत्तियों को गुनगुनाता था, अपने आप लापरवाह ढंग से नहीं आया था।

‘‘क्या बात है, जैक?’’ वह जो नोट लिख रही थी, उसपर से सिर उठाए बिना उसने पूछा।

‘‘कुछ खास नहीं है, यह मैं जानता हूँ।’’

‘‘लेकिन, कुछ तो है।’’ वह लिखते-लिखते बुदबुदाई।

‘‘आखिर चादर में यह नया पैबंद क्यों लग गया है? मेरा मतलब है, नया पादरी। वह रविवार की दोपहर में बजनेवाले बैंड को बंद करवाना चाहता है।’’

‘‘ऐसा क्यों? यही तो एक ऐसी चीज है, जो आसपास के कुछ बुद्धिमान लोगों को शनिवार से सोमवार तक जीवंत बनाए रखता है!’’

‘‘उसका कहना है कि सारा शहर संगीत सुनने को एकत्र होता है, न कि उपासना के लिए और यह है कि जो संगीत रचनाएँ बनाई जाती हैं, वे अपवित्र, तुच्छ और निरर्थक हैं—या ऐसा ही कुछ है—वह नहीं, जिसे रविवार को बजाया जाना चाहिए। निस्संदेह तो लॉटमैन ही है, जो ये सब तय करता है।’’

लॉटमैन बैंड मास्टर था।

यह सच था कि रविवार की दोपहर को बैरक-ग्रीन नगर के प्रसन्न रहनेवाले अनेक लोगों के लिए विचरण स्थल बन गया था। उनमें से अनेक, जिन्होंने सुबह मि. सेनवे की उपासना में हिस्सा लिया था और वे छोटे लड़के जिन्हें पादरी के दोपहर के लेक्चर को सुनना पड़ रहा था, वे बीच-बीच में घास को मसलते और अत्यंत प्रतिष्ठित श्रोताओं के पीछे से मुँह बनाते दिखाई दे रहे थे।

हालाँकि, दो-तीन हफ्तों तक लौरा ने फिर इस बारे में कुछ नहीं सुना, लेकिन अचानक इस बात को याद करते हुए उसने अपने पति से पूछा कि फिर कोई विरोध किया गया है।

‘‘ओ मि. सेनवे, मैं तुम्हें बताना भूल गया। मैंने उसकी जानकारी हासिल की है। वह बुरा आदमी नहीं है।’’

लौरा ने पूछा कि मौमबरी या अन्य किसी अफसर ने धृष्ट पुरोहित को उसके हस्तक्षेप के लिए भड़का नहीं।

‘‘ओह, हम यह भूल गए। वह तो एक बेहतरीन उपदेशक हैं।’’ उन्होंने मुझे बताया।

बाद में परिचय हो गया, क्योंकि कप्तान ने कुछ समय बाद कहा, ‘‘रविवार की दोपहर को बैंड न बजाने के बारे में सेनवे के तर्क में काफी दम है। आखिरकार, वह उनके चर्च के बहुत पास है। लेकिन वह बिना वजह अपना विरोध नहीं जताता है।’’

‘‘तुम उसका पक्ष ले रहे हो, यह सुनकर मुझे आश्चर्य हुआ!’’

‘‘यह तो एक विचार है, जो मेरे मन में आ गया है। स्वाभाविक है कि अगर वे पसंद नहीं करते हैं तो हम शहर के निवासियों को नाराज नहीं करना चाहते हैं।’’

‘‘पर वे करते हैं।’’

भरोसे में बैठा असहाय व्यक्ति समझे और पुरोहिती मत के इस द्वंद्व में कभी भी इस बारे में स्पष्टता से जान नहीं पाता था कि आखिर हो क्या रहा है; पर संगीतकारों को इस बात से निराशा, विचरण पसंद करनेवालों को खुद और शहर व प्रांत की अवयस्क आबादी को पछतावा हुआ कि कैस्टर ब्रिज अभ्यास-प्रांगण में रविवार की दोपहर को बैंड बजाए जाने पर रोक लगा दी गई।

अब तक मौमबरी दंपती लगातार इस भद्र, लेकिन संकीर्ण विचारोंवाले पुराहित के उपदेश सुन चुके थे; क्योंकि ये मस्तमौला, लापरवाह, धूर्त लोग दूसरों की तरह सम्मान की खातिर चर्च गए। आपकी पक्की सांसारिकता की तरह कोई भी उतना संकीर्ण विचारोंवाला नहीं था। खिड़की पर बैठे व्यक्ति के लिए सबसे असाधारण घटना थी गंभीर बातचीत में मशगूल कप्तान मौमबरी और मि. सेनवे का हाई स्ट्रीट पर से निकलना। एक बुलानेवाले को इस तथ्य के बारे में बताते हुए उन्हें यकीन था। यह आम चर्चा का विषय बन चुका है कि वे हमेशा साथ होते हैं।

अगर किसी को इस बात का पता न हो तो वह खुद जल्दी ही अपनी आँखों से यह देख लेगा। वे दोनों इकट्ठे लगभग हर दिन ही वहाँ से गुजरने लगे। अब तक आधुनिक कपड़ों में सज्जित मिसेज मौमबरी ही आमतौर पर अपने पति के साथ होती थीं; लेकिन अब ऐसा बहुत कम हो गया था। दो पुरुषों के बीच घनिष्ठ व अनोखी मित्रता लगभग एक वर्ष तक रही। मि. सेनवे को मध्यदेश के प्रांतों में एक घनी आबादीवाले शहर में रहने के लिए एक स्थान दिया गया। जब उन्होंने अनिच्छा से अपने पुराने स्थान के यजमानों से विदाई ली। जो ममस्पर्शी उपदेश वे देते थे, उसे एक स्थानीय प्रिंटर ने प्रकाशित किया। हर किसी को उनके जाने का दुःख था और वास्तविक दुःख के साथ उनकी कैस्टरब्रिज की भक्त मंडली को बाद में पता चला कि उनकी याजकीय वृत्ति के तुरंत बाद किसी खराब मौसम के कारण फेफड़ों में सूजन होने के कारण वह गंभीर रूप से बीमार हो गए, जिसके कारण बाद में उनकी मृत्यु हो गई।

अब हमें चीजों की तह के बारे में पता चल गया है। जितने भी लोग मृत पुरोहित को जानते थे, किसी भी उस आदमी की तरह मातम नहीं मनाया, जिसने उसके आगमन पर उसे ‘चादर में लगा पैबंद’ कहा था। मिसेज मौमबरी को कभी उस प्रभावशाली पादरी से अत्यधिक सहानुभूति नहीं थी। वस्तुतः उन्हें इस बात की खुशी थी कि वह स्वयं ही चला गया। उसने उस औरत के सुख को काफी हद तक खत्म कर दिया था, जिसके द्वारा पृथ्वी की खुशियों और अच्छे साथ की खुलकर प्रशंसा की जाती है। उन्हें पति के लिए दुःख था, जिन्होंने अपना मित्र खो दिया था, जो उनका कुछ नहीं था। वह घटनाचक्र के लिए अभी तैयार नहीं थीं।

‘‘कुछ ऐसा है, जो मैं तुम्हें कब से बताना चाहता था, प्रिय।’’ उसने हिचकिचाते हुए सुबह नाश्ते के समय एक दिन कहा। ‘‘क्या तुम अनुमान लगा सकती हो, वह क्या है?’’

"उसने कुछ भी अनुमान नहीं लगाया कि मैं सेना से रिटायर होने की सोच रहा हूँ।’’

‘‘क्या!’’

जब से सेनवे की मृत्यु हुई है, मैं उसके— वह जो मुझसे कहा करता था— के बारे में ही लगातार सोच रहा हूँ। और मुझे लगता है कि इस लड़ाईवाले व्यापार को छोड़ने और चर्च चले जाने के लिए अपनी अंतरात्मा से आती आवाज को सुनना ठीक है।’’

‘‘क्या पुरोहित बनना चाहते हो?’’

‘‘हाँ।’’

‘‘पर मैं क्या करूँ?’’

‘‘पुरोहित की बीवी बनो।’’

‘‘कभी नहीं!’’ वह दृढ़ता से बोली।

‘‘लेकिन तुम और क्या कर सकती हो?’’

‘‘मैं इसके बजाय भाग जाऊँगी!’’ उसने तेजी से कहा।

‘‘नहीं, तुम्हें ऐसा नहीं करना चाहिए।’’, मौमबरी ने उस लहजे में उत्तर दिया, जिसका इस्तेमाल वह तब करता था, जब वह अपना मन बना चुका होता था— ‘‘तुम इस बात की अभ्यस्त हो जाओगी, क्योंकि मैं ऐसा करने को बाध्य हूँ; हालाँकि यह मेरे सांसारिक हितों के विरुद्ध है। मैं किसी बाहरी हाथ द्वारा बाधित हूँ कि मैं सेनवे के रास्ते पर चलूँ।’’

‘‘जैक,’’ शांत भाव और आँखों को गोल-गोल घुमाते हुए वह बोली, ‘‘तुम गंभीरता से यह सोच रहे हो कि तुम सैनिक की बजाय एक पुरोहित बनना चाहते हो?’’

‘‘मैं कह सकता हूँ कि एक पुरोहित एक सैनिक है—चर्च प्रयतमान का; पर मैं तुम्हें सिद्धांतों से ठेस नहीं पहुँचाना चाहता। मैं स्पष्ट रूप से कहता हूँ, हाँ।’’

कुछ समय बाद, एक शाम, उसने उसे अपने कमरे की लकड़ियों की जलती आग की मद्धिम रोशनी में बैठे देखा। उसके आने के बारे में उसे पता नहीं चला और उसने देखा कि वह रो रही है।

‘‘तुम किसलिए रो रही हो, मेरी प्रिय?’’ उसने कहा।

वह बोली, ‘‘जो तुमने मुझसे कहा, उसकी वजह से!’’

कप्तान दुखी हो गया, लेकिन वह अपनी बात पर अडिग रहा।

कुछ ही समय में शहर को यह बात पता लग गई और वह यह जानकर आश्चर्यचकित रह गया कि कप्तान मौमबरी हुसार से रिटायर हो गए हैं और पुरोहिताई के लिए तैयार होने के लिए फाउंटॉल थियोलॉजिक कॉलेज गए हैं।

IV

‘‘ओह, कितने दुःख की बात है! ऐसा जोशीला सैनिक— इतना लोकप्रिय शहर के लिए इतनी बड़ी उपलब्धि—यहाँ के सामाजिक जीवन की आत्मा! और अब!... मृत व्यक्ति के बारे में बुरा नहीं बोलना चाहिए, लेकिन यह बुरा मि. सेनवे, उसने यह क्रूरतापूर्ण काम किया!’’

जब कप्तान, जो अब आदरणीय जॉन मौमबरी हैं, ईसाई धर्म के पुरोहित की हैसियत से अपने पूर्व शोषण करनेवाले के स्थान पर लौटने की अपने दिल की इच्छा को पूरा करने के लिए स्थितियों द्वारा समर्थ होने पर जो कहा गया, यह उसका सारांश है। शहर का एक निम्न स्थानीय प्रांत, जो तब तक कंगाल झोंपड़ीवासियों से भरा हुआ था, एक पुरोहित की माँग कर रहा था और मि. मौमबरी ने स्वयं को एक ऐसे व्यक्ति के रूप में प्रस्तुत किया, जो काम करने को तैयार था, जो निश्चित रूप से थोड़े से परिलाभदायक होते और कोई भी धन्यवाद, श्रेय या पारिश्रमिक उन्हें उससे नहीं मिलता।

पादरी के रूप में उनकी सच्चाई को बताया जाना चाहिए; उन्होंने एक सफलता का परिचय दिया। बहुत श्रम के साथ, स्वयं निर्णय लेते हुए बहुत उत्साह से, जैसा कि सब देख सकते थे। उस काम में मेहनत थी, उनके उपदेश सुनने में नीरस लगते थे और बहुत लंबे होते थे। यहाँ तक कि व्हाइट हॉर्ट—एक सराय, जो पूर्वोक्त गरीब बस्ती और मौमबरी की पूर्व उपस्थिति के आधुनिक मोहल्ले के बीच की विभक्त रेखा पर स्थित थी, कि शराबखाने में घंटों बैठनेवाले संवेदनहीन न्यायाधीश और इसलिए कठोर पक्षपातरहित स्थिति रखनेवाले—परिचमाभिमुख युवा महिलाओं के कथन से सहमत थे, हालाँकि उनकी बीवियों ने बहुत ही रूखे ढंग से अपनी बात कही थी, ‘‘निश्चित रूप से, जब ईश्वर ने कप्तान मौमबरी को एक पुरोहित में तब्दील किया तो उसने एक अच्छे सैनिक को एक बुरा पुरोहित बना दिया!’’

मौमबरी जानता था कि ऐसी बातें कही जाएँगी, पर वह निश्चिंतता के साथ अपना काम करता रहा।

उसी समय भरोसे पर बैठा वह अशक्त व्यक्ति मिसेज मौमबरी के लिए मात्र अभिवादन करनेवाले परिचित से भी बढ़कर और कुछ बन गया। वह अपने पति के साथ शहर लौट आई थीं और उसके पुरोहिती सेवा की मंडली के मध्य में उसके साथ एक छोटे से घर में रह रही थीं, जब वह किन्हीं कारणों से अशक्त व्यक्ति से मिलने जानेवालों में से एक बन गईं। दोनों के एक

मित्र के साथ उसके कमरे में बैठे हुए, एक आम बातचीत के बाद, एक घटना ने ऐसे विषय को उठा दिया, जो अभी भी गहरे तक उनकी आत्मा में कसकता है। उनका चेहरा अब पहले से कहीं ज्यादा पीला और पतला हो गया है, कहीं ज्यादा आकर्षक हो गया है। उनकी निराशा उनकी नजरों में सहमी हुई सोच के साथ अंकित हो गई है, जिसमें कभी चंचलता हुआ करती थी। दोनों महिलाओं को खिड़की का इस्तेमाल जाते हुए हुलारों को देखने के लिए बुलाया गया था, जो लंदन के करीब बैरकों में जा रहे थे।

हाई स्ट्रीट के ऊपर बैरक रोड के कोने में सैनिक मुड़े। उनके आगे-आगे उनका बैंड चल रहा था, जो ‘द गर्ल आई लेफ्ट बिहाइंड मी’ (वह पहले ऐसे समय के लिए हमेशा बजाई जानेवाली धुन थी, हालाँकि अब उसका इस्तेमाल नहीं होता था) धुन बजा रहे थे। वे आए और झरोखे के सामने से गुजरे, जहाँ एक-दो अफसरों ने जब ऊपर देखा तो पाया कि मिसेज मौमबरी खड़ी हैं। उसने उन्हें सैल्यूट किया, जिनकी आँखें गीली थीं। धुन की आवाज धीरे-धीरे कम होती जा रही थी। इससे पहले कि वे लोग उस नयनाभिराम विदाई-युक्त उस रोमांटिक भावना से उबर पाते, मि. मौमबरी पटरी पर खड़े दिखाई दिए। उन्होंने शायद गली के आरंभ में ही अपने पूर्ववर्ती सैनिकों को विदाई दे दी होगी; क्योंकि वह उस दिशा से अपने काफी गंदे पुरोहितवाले कपड़ों में आए थे और उनके हाथ में एक टोकरी थी, जिसमें शायद कुछ खरीदी गई चीजें रखी हुई थीं, जो उन्होंने अपने गरीब यजमानों के लिए ली थीं। सैनिकों से भिन्न वह काफी बेखयाली से चल रहे थे, मानो आसपास से बिल्कुल बेखबर हों।

यह भिन्नता लौरा के लिए बहुत अधिक थी। उसने अशक्त व्यक्ति से पूछा कि वह उसमें आए बदलाव के बारे में क्या सोचते हैं। इस बात का उत्तर देना कठिन था और एक हठधर्मिता के साथ, जो उसमें बहुत प्रबल थी, उसने प्रश्न दोहराया।

‘‘आपको लगता है,’’ वह बोली, ‘‘कि किसी और के पति के पास ऐसी चीज करने का अधिकार है, चाहे उसे लगता हो कि ऐसा करने की आवश्यकता हो?’’

उनके श्रोता ने दिनों के साथ इतनी ज्यादा सहानुभूति प्रदर्शित की, पर उसके जवाब से उन्हें संतुष्टि नहीं हुई। लौरा ने हुलारों की पतली धूल भरी पंक्ति की ओर खिड़की से चाहत भरी नजरों से देखा, जो अब मेलस्टॉक रिज की ओर जा रही थी।

‘‘मैं,’’ वह बोली, ‘‘जिसे लंदन के रास्ते पर उनकी वैन में होना चाहिए था, डर्नओवर लेन के गंदे स्थान में सड़ने के लिए बाध्य होना पड़ रहा है।’’

उस दिन वहाँ से जाने के बाद अशक्त व्यक्ति के दुबारा उसे देखने से पहले अनेक घटनाएँ हुईं और अनेक अफवाहें उसके लिए चिंता का विषय बनी रहीं।

V

कैस्टरब्रिज कई सैन्य और आम नागरिकों से जुड़ी घटनाओं का गवाह है और अब उस देशांतरण का समय आ गया था। पीड़ित देश पर हैजे की महाविपत्ति टूटी और इस प्राचीन नगर की निम्न स्थीय क्षेत्र को अपने हिस्से से ज्यादा पीड़ा को सहना पड़ा। डर्नओवर मोहल्ले में मिक्सनलेन और मौमबरी की यजमानी में सबसे ज्यादा इसका कहर टूटा। फिर भी उसके होने की तारीफ में कुछ दया हुई, क्योंकि मौमबरी वैसे ही समय को सँभाल सकता था।

महामारी इतनी तीव्रता से फैली कि अनेक लोग शहर छोड़कर चले गए और गाँवों व खेतों में

उन्होंने शरण ली। सबसे संक्रमित गली मि. मौमबरी का घर बहुत ही नजदीक था और वह स्वयं सुबह से लेकर रात तक प्लेग को समाप्त करने और पीड़ितों की यातनाओं को कम करने में जुटा हुआ था। इसलिए कि सामान्य बचाव के रूप में अपने कुछ समय के लिए अपनी पत्नी को अपने से अलग कहीं दूर भेजने का निश्चय किया।

उसने बुडमाउथ रेगिस के पास समुद्र किनारे स्थित एक गाँव में जाने की बात सुझाई और उसके ठहने के लिए क्रेस्टन को चुना गया। वह स्थल, जो एक ऊँचे रिज द्वारा कैस्ट्ररब्रिज घाटी से अलग हो जाता है, जो उसे एक अलग ही वातावरण प्रदान करता है; हालाँकि वह मात्र छह किलोमीटर की ही दूरी पर था।

उन्हें उधर भेजा गया। जब वह सुरक्षा के लिए इस जगह पर बस रही थी और उसका पति गंदी बस्तियों में काम कर रहा था, उसकी मुलाकात फुट में एक परिचित लेफ्टिनेंट मि. वेन्नीकुक से हुई, जो अपनी टुकड़ी के साथ बुडमाउथ पैदल सेना बैरकों में तैनात था। लौरा चूँकि अकसर प्रत्येक पतली लहर को अपने तक आते और सुनते बिना सावधानी बरते मंद ढाल पर बैठा करती थी, जहाँ से लहर जाते हुए अपने पत्थरों को घिसती थी। वह अकसर उस रास्ते पर सैर करने जाया करता था।

परिचय बढ़ा और गहरा हुआ। उसकी स्थिति, उसका इतिहास, उसका सौंदर्य, उसकी उम्र, जो उसकी खुद की उम्र से एक-दो वर्ष ज्यादा ही थी—सबने उस युवा व्यक्ति के हृदय में एक छाप छोड़ी और उस एकांत तट पर लापरवाह मस्ती ने आकार ले लिया।

बाद में उसके निंदकों ने कहा कि उसने इस व्यक्ति के करीब होने के इस स्थान को चुना था; पर यह मानने के पीछे एक कारण था कि उसने वहाँ आने से पहले उसे कभी नहीं देखा था। उस समय तो कैस्टरब्रिज अपने खुद के दुःखद मामलों को लेकर व्यस्त था—रोज किसी मृत को दफनाना और संक्रमित कपड़ों व बिस्तरों को नष्ट करना कि वह इन अफवाहों को प्रचारित करने का इच्छुक नहीं था, जो शायद उसके कानों तक पहुँच रही थीं। कोई भी अब नहीं मान रहा था कि लौरा किसी दुःखद बादलों से घिरी हुई है, जो उन पर मँडरा रहे थे।

इस बीच पहाड़ी के बुडमाउथ की तरफ पुरुषों की मनःस्थिति इससे विपरीत थी। देशांतरण अल्प और बहुत पहले हो चुका था तथा सामान्य पेशे एवं समय बिताने के साधन अपनाए जा चुके थे। मि. मौमबरी ने खुली हवा में हफ्ते में दो बार लौरा से मिलने की व्यवस्था की थी, ताकि उनकी वजह से उसे कोई जोखिम न उठाना पड़े और उस हलकी अफवाह के बारे में कुछ भी सुना न होने के कारण वह उससे एक दिन हमेशा की तरह विभाजित करनेवाली पहाड़ी के शिखर पर शुष्क और तेज हवाओंवाली एक दोपहर में मिले, जहाँ समकोण में जिसके पास ऊँची सड़क एक शहर से दूसरे शहर में पुराने रिज रास्ते को पार करती है।

उसने अपना हाथ हिलाया और उसे पास आते देख मुसकराया तथा जोर से चिल्लाया—‘‘प्रिय, हम अपने बीच दीवार रखेंगे।’’ (यहाँ दीवारें खेतों की बाड़ें हैं) ‘‘तुम्हें डरने की जरूरत नहीं है। ईश्वर की मदद से अब यह लंबे समय तक नहीं चलेगा।’’

‘‘तुम जैसा कहोगे, मैं वैसा ही करूँगी, जैक। पर तुम खुद ही इतना ज्यादा जोखिम उठा रहे हो, क्या ऐसा नहीं है? मुझे तुम्हारी खबरें मिलती रहती हैं; पर मुझे लगता है कि ऐसा ही है।’’

‘‘दूसरों से अधिक नहीं।’’

इस प्रकार इस तरह की औपचारिक बातें उन्होंने कीं। एक ऊष्मारोधित हवा उनके बीच की दीवार पर चक्की के बीच की तरह आघात कर रही थी।

‘‘लेकिन तुम मुझसे कुछ पूछना चाहती थीं?’’ उसने कहा।

‘‘हाँ, तुम जानते ही हो कि हम यहाँ बुडमाउथ में तुम्हारे पीड़ितों के लिए कुछ धन इकट्ठा करने की कोशिश कर रहे हैं और इसके लिए हमने नाटक करने का निर्णय लिया है। वे चाहते हैं कि मैं इसमें हिस्सा लूँ।’’

उसके चेहरे पर उदासी छा गई।

‘‘मैं कुछ इस तरह की ही बातें और जो भी उसके साथ होता है, के बारे में बहुत कुछ जानता हूँ। काश, तुमने कोई और तरीका ढूँढ़ा होता!’’

उसने बहुत धीरे से कहा कि अब तो सब तय हो चुका है।

‘‘यानी कि तुम्हें मेरे उसमें हिस्सा लेने में आपत्ति है? निस्संदेह’’

उसने उनसे कहा कि वह यह कहना पसंद नहीं करता कि वह स्पष्ट रूप से इस बात का विरोध करता है। उसने कामना की कि काश, उन्होंने अनिवार्यता को ध्यान में रखते हुए किसी संकीर्तन या व्याख्यान या किसी और तरीके के बारे में सोचा होता।

‘‘पर,’’ वह बहुत अधीरता से बोली, ‘‘लोग संकीर्तनों या व्याख्यानों में नहीं आते हैं। वे प्रहसनों व तमाशों में एकत्र होते हैं।’’

‘‘मैं बुडमाउथ पर किसी भी तरह से इस बात के लिए आदेश नहीं दे सकता कि वह जो हमें पैसा देने वाला है, उसे वह कैसे अर्जित करे। यह नाटक कौन तैयार कर रहा है?’’

‘‘यहाँ के लड़के।’’

‘‘ओह, हाँ, हमारा पुराना खेल!’’ मि. मौमबरी ने उत्तर दिया, ‘‘कैस्टरब्रिज का दुखन उनके उत्साह के लिए एक बहाना है। स्पष्ट शब्दों में कहूँ तो मेरी प्रिय लौरा, मैं चाहता हूँ कि तुम इसमें हिस्सा न लो। लेकिन मैं तुम्हें रोकूँगा नहीं। मैं सबकुछ तुम्हारे निर्णय पर छोड़ता हूँ।’’

साक्षात्कार खत्म हो गया और वे उत्तर की ओर तथा दक्षिण की ओर अपने-अपने रास्तों पर चले गए। लोगों के सामने यह बात आई कि प्रहसन में मिसेज मौमबरी ने एक नायिका की भूमिका निभाई और प्रेमी की भूमिका मि. वेन्नीकुक ने निभाई।

VI

इससे उस घटना में मदद मिली, जिसे आपस में आकर्षित लोगों का आचरण कुछ समय से उत्पन्न कर रहा था।

विस्तृत जानकारी देना अनावश्यक है। फुट ब्रिस्टल चले गए और इसने उनके काम में जल्दी मचा दी। एक हफ्ते की हिचकिचाहट के बाद क्रेस्टन का अपना घर छोड़कर वेन्नीकुक से चोटी पर मिलने और उसके साथ वे जाने को राजी हो गईं, जहाँ उसने उसको रहने का प्रबंध कर दिया था, ताकि वह अपने मोहल्ले से उससे केवल बारह मील दूर ही हो।

जिस शाम को चुना गया था, उसी दिन उसने अपने पति के लिए ड्रेसिंग टेबल पर यह नोट छोड़ा—

‘प्रिय जैक, मैं इस जीवन को और सहने में असमर्थ हूँ और अब, मैंने विराम देने का निश्चय किया है। मैंने तुमसे कहा था कि अगर तुम पादरी बनोगे तो मैं भाग जाऊँगी और अब मैं वही कह रही हूँ। हर कोई अपने स्वभाव के आगे विवश होता है। मैंने अपने भाग्य को मि. वेन्नीकुक को सौंपने का निश्चय किया है और मुझे आशा है, बल्कि उम्मीद करती हूँ कि तुम मुझे माफ कर दोगे। एल।’

फिर बहुत ही कम सामान के साथ वह एक शाम के धुँधलके में वह चोटी पर चढ़ती हुई चली गई। लगभग उसी जगह पर, जहाँ उसका पति उनकी अंतिम बार हुई भेंट के समय खड़ा था, उसे वेन्नीकुक की आकृति नजर आई, जो ब्रिस्टल से उसे लेने आया था।

‘‘मुझे यहाँ मिलना पसंद नहीं है। यह बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण जगह है!’’ वह जोर से बोली, ‘‘ईश्वर के लिए हमें अपनी खुद की जगह बनानी चाहिए। वापस मील के पत्थर पर जाओ और मैं वहाँ पर जाऊँगी।’’

वह वापस मील के पत्थर पर गया, जो चोटी की उत्तरी ढलान पर था, जहाँ पुरानी व नई सड़कें अलग हो जाती हैं और वह उससे वहीं मिली।

जब उसने पूछा कि वह उससे शिखर पर क्यों नहीं मिली, तो वह चुप व उदास थी। आखिरकार उसने पूछा कि वे कैसे जाएँगे?

उसने बताया कि वह कैस्टरब्रिज की दूसरी तरफ मेलस्टॉक हिल तक पैदल चलकर जाना चाहता है, जहाँ एक तिरछी काट के पास उन्हें आइवेल रोड ले जाने के लिए एक गाड़ी उनका इंतजार कर रही है और वहीं उन्हें आगे शहर तक ले जाएगी। आइवेल जाने के लिए ब्रिस्टल से रेलगाड़ी जाती थी।

इसी योजना का उन्होंने पालन किया और वे धुँधलके में तब तक तेज-तेज चलते रहे, जब कैस्टरब्रिज के नजदीक नहीं पहुँच गए। उस स्थान को उन्होंने रोमन एंफीथिएटर की ओर दाईं तरफ मुड़ते हुए छोड़ा और डर्नऑवर क्रॉस की ओर मुड़ गए। रास्ता पहाड़ी तक बंजर भूमि के पार सुनसान खुला था, जहाँ आइवेल गाड़ी उनका इंतजार कर रही थी।

वह बोली, ‘‘शहर के डर्नओवर सिरे के ऊपर मैं कुछ समय से फीकी चौंध देख रही हूँ। लगता है, जैसे वह मिक्सन लेन से आ रही है।’’

‘‘लैंप होंगे।’’ उसने कहा।

‘‘पूरी गली में इतना बड़ा लैंप नहीं है। यह वहाँ है, जहाँ सबसे ज्यादा हैजा फैला हुआ है।’’

स्टैंडफास्ट कोर्नर के पास, क्रॉस से थोड़ा परे, उन्हें अचानक गली का अंतिम सिरा नजर आया। हवा को शुद्ध करने के उद्देश्य से रास्ते के बीचोबीच बड़े-बड़े अलाव जल रहे थे और घटिया कोठरियों से, जो उन दिनों में पूरे रास्ते पर ही बनी होती थीं, लोग बिस्तर व कपड़े बाहर ला रहे थे। कुछ को आग में फेंक दिया गया था, बाकियों को एकपहिया ठेलों में रख दिया गया था और उन्हें भगोड़ों के रास्तों पर सीधे बंजर भूमि में धकेला जा रहा था।

वे चलते रहे और वहाँ पहुँच गए, जहाँ खुली हवा में ताँबे का विशाल पात्र रखा हुआ था। वहाँ चादरें उबालकर उनमें से संक्रमण हटाया जा रहा था। लालटेनों की रोशनी से लौरा को पता चला कि उसका पति उस ताँबे के पात्र के पास खड़ा और उसी ने एकपहिया ठेलों को खाली कर उसकी चीजों को उसमें डाला था। वह रात इतनी शांत व उमसदार थी कि लंबे से पात्र के पास होनेवाली बातचीत उसके कानों तक पहुँच रही थी।

‘‘आज रात क्या और भी सामान है?’’

‘‘उन लोगों के कपड़े हैं, जिनकी इस दोपहर मृत्यु हुई है, सर। लेकिन उन्हें कल तक के लिए रोका जा सकता है, क्योंकि आप अवश्य ही थक गए होंगे।’’

‘‘हम तुरंत ही करेंगे, क्योंकि मैं और किसी को यह काम करने के लिए नहीं कह सकता हूँ। उस सामान को घास पर उलट दो और बाकी ले आओ।’’

उस व्यक्ति ने वैसा ही किया और एकपहिया ठेला लेकर चला गया। अपना चेहरा पोंछने के लिए मौमबरी पल भर के लिए रुका और इस घिनौने व बदबूदार माहौल के बीच अपनी घरेलू चाकरी में वापस लौट आया। एक पुराने बेलन जैसी दिखनेवाली किसी चीज से वह ताँबे के पात्र की चीजों को दबाने व चलाने लगा। उससे निकलनेवाली भाप, जिसमें मृत्यु की दुर्गंध थी, घास के मैदान के पार धीरे-धीरे फैलने लगी।

लौरी अचानक बोली, ‘‘आखिरकार मैं अब रात को नहीं जाऊँगी। वह इतना थका हुआ है और मुझे उसकी मदद करनी चाहिए। मुझे नहीं पता था कि स्थितियाँ इतनी खराब हैं!’’

वेन्नीकुक की बाँह उसकी कमर से हट गई, जिसे उनके चलने के दौरान उसने वहीं रखा हुआ था।

‘‘क्या तुम चले जाओगे?’’ उसने पूछा, ‘‘मगर तुम कहोगी कि मुझे जाना चाहिए तो, मैं चला जाऊँगा। पर मैं भी मदद करना चाहता हूँ।’’ उसकी आवाज में कोई विरोध नहीं था।

लौरा आगे बढ़ गई। वह बोली, ‘‘जैक, मैं तुम्हारी मदद करने आई हूँ!’’

थका हुआ पुरोहित मुड़ा और लालटेन को ऊँचा उठाया। ‘‘ओह, यह क्या तुम हो, लौरा?’’ उसने आश्चर्य से पूछा।

‘‘तुम यहाँ क्यों आईं? अच्छा होगा कि तुम वापस चली जाओ, जोखिम बहुत ज्यादा है।’’

‘‘लेकिन मैं तुम्हारी मदद करना चाहती हूँ, जैक। मुझे मदद करने दो। मैं स्वयं अकेली नहीं आई हूँ, मि. वेन्नीकुक मेरे साथ थे। वह अगर गए नहीं होंगे तो वह भी मदद करेंगे। मि. वेन्नीकुक!’’

युवा लेफ्टिनेंट अनिच्छा से आगे आया। मि. मौमबरी ने उससे औपचारिकता से बात की, फिर अपना काम करते हुए बोले, ‘‘मुझे लगा, फुट ब्रिस्टल गया है।’’

‘‘हम गए थे। पर मुझे फिर से कुछ चीजों की जरूरत पड़ गई।’’

दोनों नवागंतुक सहायता करने लगे। वेन्नीकुक ने उस छोटे से बैग को जमीन पर रख दिया, जिसमें लौरा की प्रसाधन सामग्री थी। ठेलेवाला और सामान के साथ जल्दी ही वापस आ गया और सब लगभग आधे घंटे तक काम करते रहे। फिर उत्तर के धुँधलके से एक गाड़ीवान बाहर आया।

‘‘मैं माफी चाहता हूँ, सर!’’ वह वेन्नीकुक से फुसफुसाकर बोला, ‘‘लेकिन मैं मेलस्टॉक दिल पर बहुत देर से प्रतीक्षा कर रहा था और आखिरकार मैं शुल्क फाटक तक गया और वहाँ रोशनी देखकर मैं यह देखने के लिए भागा चला आया कि क्या हुआ है।’’

लेफ्टिनेंट वेन्नीकुक ने उसे कुछ मिनट इंतजार करने के लिए कहा और आखिरी ठेले के सामान को उतारा गया। मि. मौमबरी ने अपने शरीर को खींचा और जोर से साँस लेते हुए कहा, ‘‘बस, हम अब और नहीं कर सकते हैं।’’

जैसे कि काम से आराम मिलने के बाद वह भयानक पीड़ा पकड़ में आ गई हो। उसने अपनी कमर के दोनों तरफ अपने हाथों को दबाया और आगे की ओर झुका।

‘‘आह, मुझे लगता है कि आखिरकार उसने मुझे जकड़ लिया है!’’ उसने बहुत कठिनाई से कहा, ‘‘मुझे घर जाना चाहिए। मि. वेन्नीकुक तुम्हें वापस ले जाएँगे, लौरा।’’

वह कुछ कदम चला। वे उसकी मदद कर रहे थे। पर उसने घास पर गिर जाना उचित समझा।

‘‘मुझे लगता है कि तुम्हें किसी घोड़ी या शटर या किसी और चीज को मँगाना पड़ेगा।’’ वह बहुत ही धीमे स्वर में बोला, ‘‘या मुझे ठेले में बिठाने की कोशिश करो।’’

लेकिन वेन्नीकुक ने गाड़ी के ड्राइवर को बुला लिया था और उन्होंने तब तक इंतजार किया, जब तक कि उसे शुल्क फाटक से वहाँ लाया गया। उसमें मि. मौमबरी को लिटा दिया गया। लौरा भी उसके साथ बैठ गई और वे क्रॉस के पास उसके साधारण से घर तक गए, जहाँ उसे सीढ़ियों से ऊपर चढ़ाया गया।

वेन्नीकुक कुछ समय तक खाली गाड़ी के पास खड़ा रहा, पर लौरा नहीं आई। फिर वह गाड़ी घुसी और ड्राइवर को उसे वापस आइवेल ले जाने को कहा।

VII

पीड़ित गरीबों को राहत पहुँचाने में मि. मौमबरी ने स्वयं को अत्यधिक थका दिया था और उसका शिकार हो गए थे—उस महामारी से, जिसने अनगिनत लोगों को अपनी चपेट में ले लिया था। दो दिनों बाद वह अपने ताबूत में लेटे हुए थे।

लौरा नीचे कमरे में थी। एक नौकर कुछ पत्र लाया और उसने उन पर नजर डाली। एक नोट मौमबरी के लिए उसकी तरफ से था, जिसमें उसने उसे बताया था कि वह उसके साथ और जीवन बिताने में असमर्थ है तथा वेन्नीकुक के साथ भागने वाली है। पत्र पढ़ने के बाद वह उसे ऊपर ले गई, जहाँ मृत व्यक्ति था और उसके ताबूत में उसे रख दिया। अगले दिन उसने उसे दफना दिया।

वह अब मुक्त थी।

उसने डर्नऑवर क्रॉस के अपने घर को बंद किया और क्रिस्टन में अपने रहने के स्थान पर वापस लौट आई। जल्दी ही उसे वेन्नीकुक का एक पत्र मिला और उसके पति की मृत्यु के छह हफ्तों बाद उसका प्रेमी उससे मिलने आया।

‘‘उस रात मैं तुम्हें यह देना भूल गया था।’’ उसने उस छोटे से बैग को उसे सौंपते हुए कहा, जिसे उसने जाते हुए पूरे सामान के रूप में लिया था।

लौरा ने उसे ले लिया और अनजाने में ही उसे हिला दिया। वहाँ कालीन पर उसका ब्रश, कंघा, चप्पलें, रात्रि में पहननेवाली पोशाक और यात्रा के लिए अनिवार्य आम चीजें गिर गईं। अब असहनीय रूप से डरावनी लग रही थीं और उसने उन्हें ढकने की कोशिश की।

वह बोला, ‘‘क्या अब तुमसे मेरी कानूनी रूप से बनने के लिए कह सकता हूँ, जब एक उचित अंतराल बीत चुका है; जैसा कि हमने सोचा था, उसके विपरीत।’’

उसके कथन में उदासीनता थी, जो इस संभावना की ओर इशारा कर रही थी कि उसे लापरवाह ढंग से निर्मित किया गया है। लौरा ने यह कहते हुए कि वह निश्चित रूप से उससे पूछ सकता है; क्योंकि वह मुक्त है, अपनी चीजें उठा लीं। फिर भी उसके भावों को एक उत्साहपूर्ण उत्तर कहा जा सकता था। फिर वह बार-बार आँखें झपकाने लगी और रूमाल को अपने चेहरे पर रखने लगी। वह जोर-जोर से रो रही थी।

वह न तो हिला और न ही उसने किसी भी तरह से उसे दिलासा देने की कोशिश की। उनके बीच कौन आ गया था। कोई जीवित व्यक्ति नहीं। वे प्रेमी थे। उनके एक होने में अब कोई भौतिक बाधा नहीं थी। लेकिन उस अवचेतन की एक आग्रही छाया थी। उसकी बारीक सी आकृति डर्नओवर बंजर भूमि के अँधेरे में भयानक भट्टी के सामने आगे-पीछे चल रही थी।

फिर भी, जब वह आसपास होता तो वेन्नीकुक लौरा से संपर्क स्थापित करता। वह भी अकसर नहीं होता था, कभी दो साल में एक बार, मानो विवाह करने के उद्देश्य को पूरा करने के लिए जिसकी सबको उम्मीद थी—फुट बुडमाउथ रेगिस लौट गया था।

उसके बाद वे दोनों कई बार एक-दूसरे से टकराए। पर चाहे बाधा प्यार का स्रोत थी या भूलवश और चूँकि मिसेज मौमबरी के चेहरे पर अब विधवा के रूप में पहले से कहीं कम आकर्षण था, उनकी भावनाएँ पहले की उद्दीप्ति से घटकर मात्र निरुत्साहित शिष्टाचार में तब्दील होती प्रतीत होती थीं। वेन्नीकोक की आगे की कहानी में कौन से घरेलू मुद्दे बीच में आ गए, भरोसे में बैठा व्यक्ति कभी नहीं जान पाया; लेकिन मिसेज मौमबरी एक विधवा की तरह ही जी और मरीं।

‘आतंक’ का समिति-सदस्य

हम अपने पुराने ढंग के पनघट को जॉर्जिया वैभव के बारे में बात कर रहे थे, जो अठारहवीं सदी की शैलीवाली अब अपने ठोस गेरुआ लाल और धूसर ईंट की इमारतों के साथ तट तक वाहित सोहो या ब्लूमस्वरी स्ट्रीट का एक हिस्सा जैसी लगती हैं और आधुनिक पर्यटक के होंठों पर उन्हें देखते ही मुसकान आ जाती है, जिसमें पास बनी हुई इमारत की मजबूती को भाँपने की कोई समझ नहीं है।

काफी युवा लेखक मात्र एक श्रोता की तरह उपस्थित था। बातचीत तब तक आम विषयों से कुछ खास चीजों तक जारी रही, जब तक एक बूढ़ी मिसेज एच— जिनकी याददाश्त अस्सी बरस में भी एकदम दुरुस्त थी, जैसी कि पूरे जीवन भर रही थी, स्पष्ट ईमानदारी द्वारा हममें दिलचस्पी पैदा की, जिसके साथ उन्होंने अनेक बार अपने बारे में एक कहानी सुनाई, जो उनकी माँ ने तब सुनाई थी—एक घरेलू नाटक, जिसने उसके माता-पिता के किसी परिचित के जीवन पर अत्यधिक प्रभाव डाला था—किसी मिस वी पर—वह फ्रेंच भाषा की शिक्षिका थीं। घटना शहर में तब घटी थी, जब उसका स्वर्णकाल था, उस समय जब सन् 1802-03 में फ्रांस के साथ हमारी थोड़े समय के लिए शांति स्थापित हुई थी।

‘‘अपनी माँ की मृत्यु के बाद मैंने उसे एक कहानी का रूप देते हुए लिखा था।’’ मिसेज एच ने कहा, ‘‘अब वह मेरे डेस्क में बंद है।’’

‘‘उसे पढ़िए।’’ हमने कहा।

‘‘नहीं,’’ वह बोली, ‘‘रोशनी बहुत कम है और मुझे वह अच्छी तरह से याद है, शब्द-दर-शब्द, भाषा और सबकुछ।’’ उन परिस्थितियों में हम कुछ कह नहीं सकते थे और उन्होंने कहना शुरू किया।

इसमें दो लोग थे। निस्संदेह, पुरुष व स्त्री और वह सितंबर महीने की एक शाम थी, जब पहली बार उसे उससे मिलने का अवसर मिला। एस्प्लेनेड में हर मौसम में बहुत ज्यादा भीड़ नहीं होती है। महामहिम सम्राट् जॉर्ज तृतीय अपने सारी राजकुमारियों और गजसीड्यकों के साथ वहाँ उपस्थित थे। यही नहीं, उस समय शहर में तीन सौ से अधिक अभिजात वर्ग के तथा अन्य प्रतिष्ठित व्यक्ति भी वहाँ मौजूद थे। लंदन व अन्य स्थानों से गाड़ियाँ और अन्य वाहन हर मिनट में वहाँ पहुँच रही थीं; और जब उनके बीच में हेवनपूल तट से होती हुई उपमार्ग से एक गंदी सी गाड़ी वहाँ आई और एक घटिया शराबखाने के सामने आकर रुकी तो उसपर किसी का ध्यान नहीं गया।

उस धूल भरे वाहन से एक आदमी उतरा, कुछ समय के लिए अपना थोड़ा सा सामान ऑफिस में छोड़ा और रहने की जगह ढूँढ़ने के लिए गली में चलने लगा।

उसकी उम्र लगभग पैंतालीस वर्ष होगी—संभवतः पचास और उसने फीके बेहतरीन कपड़े का लंबा कोट पहना हुआ था, जिसका कॉलर बहुत बड़ा था और एक उठा हुआ गले का कपड़ा था। प्रतीत होता था कि वह गुमनामी की चाह रखता है।

लेकिन इस समय उपस्थित प्रदर्शन उसे प्रभावित कर गया और उसने गली में मिले देहाती से पूछा कि क्या हो रहा है। उसका लहजा ऐसा था मानो उसके लिए अंग्रेजी का उच्चारण करना कठिन है।

देहाती ने उसकी ओर थोड़े आश्चर्य से देखा और बोला, ‘‘सम्राट् जॉर्ज और उनका राजसी दरबार यहाँ है।’’

अजनबी ने पूछा कि ‘‘क्या वे यहाँ लंबे समय तक रहने वाले हैं?’’

‘‘पता नहीं, सर। मेरे खयाल से जैसा वे हमेशा करते हैं, वैसा ही करेंगे।’’

‘‘कितने समय तक रुकते हैं?’’

‘‘कोई अक्तूबर तक। वे 79 से प्रत्येक गरमी में यहाँ आ रहे हैं।’’

‘‘अजनबी सेंट थॉमस स्ट्रीट की ओर बढ़ा और बंदरगाह के अप्रवाही जल के ऊपर बने पुल की ओर जाने लगा। वो उस समय पुराने शहर को कहीं अधिक आधुनिक भाग से जोड़ता था। उस स्थल पर हलके सूरज की किरणें पड़ रही थीं, जिसने लंबाई में बंदरगाह को रोशन कर दिया था और उस आदमी की टोपी के किनारे और आँखों में पड़ रही थीं, जो पश्चिम को देख रहा था। उसकी अपनी दिशा के विपरीत चमकती आकृतियाँ, जो वहाँ से गुजर रही थीं, उनमें मेरी माँ की बाद वाली परिचित मिस की थी। वह एक समृद्ध पुरानी फ्रांसीसी परिवार की बेटी थी और उस समय एक अट्ठाईस या तीस साल की लंबी व सुरुचि-संपन्न महिला थी, जिसने सादे कपड़े पहने हुए थे। उस शाम उसने उस समय के चलन का एक मसलिन का शॉल अपने वक्षों पर डाला हुआ था और उसे पीछे बाँधा हुआ था उसके चेहरे पर, जो जैसा कि वह हमें बताया करती थी, झाँकती हुई सूर्य की रोशनी से एक अलौकिक आभा छलक रही थी। अपने इतिहास से जुड़े भयानक कारण की वजह से वह थोड़ा डर गई थी और कुछ कदम आगे चलते हुए। वह मूर्च्छा आने के दौरे में पुल की मुँडेर के पास गिर गई।

अपनी ही तल्लीनता में, उसने विदेशी व्यक्ति का ध्यान खींचा। उसने तुरंत गाड़ी के रास्ते को पार किया और पुल से सटी पहली दुकान में ले गया और बताने लगा कि यह वह महिला है, जो बाहर बीमार हो गई थी।

वह जल्दी ही होश में आ गई, लेकिन स्पष्ट रूप से काफी उलझन में थी। उसके सहायक ने सोचा कि वह अभी भी उससे डर रही है, जो आत्मसंयम को उसके पूर्ण स्वास्थ्य-लाभ में पर्याप्त रूप से बाधक था। उसने बहुत जल्दी और घबराए हुए स्वर में दुकानदार से गाड़ीवान को बुलाने को कहा।

दुकानदार ने यह किया और उसके जाने के बाद मिस वी और वह अजनबी एक कृत्रिम चुप्पी साधे खड़े रहे। गाड़ी आई और उस व्यक्ति को पता देकर वह उसमें बैठ गई और वहाँ से चली गई।

‘‘वह महिला कौन है?’’ एक तभी आए पुरुष ने कहा।

‘‘वह आपकी ही कौम से है, जैसा कि मुझे लगता है।’’ दुकानदार ने कहा। और अपने उस व्यक्ति को बताया कि ‘‘मिस वी हैं—उसी शहर में जरनल न्यूबोल्ड की गवर्नस।’’

‘‘यहाँ काफी विदेशी हैं?’’ अजनबी ने जानना चाहा।

‘‘हाँ, हालाँकि अधिकांश हेलोवर के हैं। लेकिन जब से शांति स्थापित हुई है, वे भद्र समाज में फ्रेंच सीख रहे हैं और देखा जाए तो फ्रेंच पढ़ानेवालों की बहुत माँग है।’’

‘‘हाँ, मैं भी पढ़ाता हूँ।’’ आगंतुक ने कहा, ‘‘मैं अकादमी में शिक्षक का काम ढूँढ़ रहा हूँ।’’

फ्रांसीसी को वर्गों द्वारा दी गई जानकारी ने उस व्यक्ति को जता दिया कि उसके देश की महिला जैसा आचरण उसमें नहीं है, जो वास्तव में सही भी था—और वह दुकान से चला गया तथा दुबारा ओल्ड रूप इनकी ओर जाने के लिए दक्षिणी घाट का रास्ता पकड़ा, जहाँ उसने एक कमरा ले रखा था।

उसे देखकर किसने इतना क्षोभ प्रकट किया था? उस महिला के बारे में वह नवागंतुक लगातार सोचता रहा। हालाँकि, जैसा कि मैंने कहा था, तीस वर्ष से कम की मिस वी—उसकी अपनी ही कौम की अत्यंत परिष्कृत और नाजुक आकृति वाली, ने मध्यम वय के भद्र पुरुष की छाती में एक स्थल दिलचस्पी जाग्रत् कर दी थी और उसकी बड़ी गहरी आँखें, जो उसकी ओर देख खुली और बंद हुई थीं—एक कारुणिक सौंदर्य प्रदर्शित करती थीं, जिससे कोई भी पुरुष अछूता नहीं रह सकता है।’

अगले दिन कुछ पत्र लिखने के बाद वह बाहर गया और शहर के दफ्तर ‘गाइड’ और समाचार-पत्र में यह जानकारी दी कि फ्रेंच और कैलिग्राफी (सुलेख) का अध्यापक पहुँच गया है। साथ ही पुस्तक विक्रेता के पास उसने अपना कार्ड भी छोड़ दिया। फिर वह निरुद्देश्य चलता रहा, लेकिन विस्तार से जरनल न्यूबोल्ड जाने के रास्ते के बारे में पूछताछ करता रहा। दरवाजे पर अपना नाम बताए बिना उसने कहा कि वह मिस वी से मिलना चाहता है— और उसे छोटी सी पीछे बनी बैठक का रास्ता दिखा दिया गया, जहाँ वह आश्चर्य भरी नजरों से उसे देखते हुए वहाँ आई।

‘‘हे भगवान्! आप यहाँ क्यों आए, महोदय?’’ उसके चेहरे को देखते ही वह फ्रेंच में बोली।

‘‘आप जब कल गई थीं तो अस्वस्थ थीं। मैंने आपकी मदद की। अगर मैंने आपको उठाया नहीं होता तो शायद आप बह जातीं। निश्चित रूप से यह एक मानवतापूर्ण कार्य था; लेकिन मैंने सोचा कि मैं आपसे पूछने आऊँ कि आप ठीक हुई हैं या नहीं?’’

‘‘वह एक ओर मुड़ गई थी और उसने जो कहा, उसे सुना तक नहीं। मैं तुमसे घृणा करती हूँ, घृणित व्यक्ति।’’ उसने कहा, ‘‘तुम्हारी मदद को मैं बरदाश्त नहीं कर सकती। चले जाओ!’’

‘‘लेकिन तुम तो मेरे लिए अजनबी हो।’’

‘‘मैं तुम्हें बहुत अच्छे से जानती हूँ।’’

‘‘फिर तो आप फायदे में हैं, मिस। मैं यहाँ नया हूँ। जहाँ तक मुझे याद पड़ता है, मैंने इससे पहले तुम्हें कभी नहीं देखा और निश्चित रूप से मैं तुमसे घृणा नहीं कर सकता, न ही करता हूँ।’’

‘‘क्या तुम मिस्टर बी नहीं हो?’’

वह हिचकिचाया।

‘‘मैं पेरिस में था।’’ वह बोला, ‘‘पर यहाँ मैं ग्रिटर जी हूँ।’’

‘‘यह घटियापन है। तुम वही व्यक्ति हो।’’

‘‘तुम मेरा असली नाम कैसे जानती हो?’’

‘‘मैंने तुम्हें बरसों पहले देखा था, जब तुमने मुझे नहीं देखा था। तुम सम्मेलन के अंतर्गत, जन सुरक्षा समिति के भूतपूर्व सदस्य थे।’’

‘‘मैं था।’’

‘‘तुमने मेरे पिता, मेरे भाई, मेरे अंकल, मेरे सारे परिवार का सिर काट दिया था और मेरी माँ का दिल तोड़ा था। उन्होंने कुछ नहीं किया, बल्कि चुप रहे। उनकी भावनाओं का केवल अनुमान लगाया गया। उनकी सिर-विहीन लाशों को मॉसेक्यूक्स कब्रिस्तान के गड्ढों में अंधाधुंध फेंक दिया गया और चूने से नष्ट कर दिया गया।’’

उसने सिर हिलाया।

‘‘तुमने मुझे मित्र-विहीन कर दिया और यहाँ मैं एक विदेशी भूमि में हूँ, एकदम अकेली।’’

‘‘मुझे तुम्हारे लिए खेद है।’’ उसने कहा, ‘‘जो हुआ, उसका मुझे खेद है, इरादे के लिए नहीं। जो मैंने किया, वह विवेक का मामला था और दृष्टिकोण की दृष्टि से तुम्हारे द्वारा अतींद्रिय है, मैंने सही किया। मुझे एक दमड़ी का भी फायदा नहीं हुआ। पर मुझे इस पर बहस नहीं करनी चाहिए। तुम्हें मुझे भी यहाँ निर्वासन देख गरीबी, साथियों द्वारा धोखा और तुम्हारी तरह मित्र-विहीन संतुष्टि मिली होगी।’’

‘‘मेरे लिए यह कोई संतुष्टि की बात नहीं है, महोदय।’’

‘‘सही है कि चीजों को बदला नहीं जा सकता है। अब सवाल उठता है कि क्या तुम पूरी तरह से स्वस्थ हो गई हो?’’

‘‘तुमसे घृणा व तुम्हारे डर से नहीं, अन्यथा— हाँ।’’

‘‘शुभ प्रभात, मिस।’’

‘‘शुभ प्रभात।’’

वे दुबारा फिर कभी नहीं मिले। लेकिन एक शाम थिएटर में उनकी मुलाकात हुई, जिसे बहुत कठिनाई के साथ मेरी माँ की सहेली बार-बार जाने को प्रेरित रहती थीं, ताकि अंग्रेजी के उच्चारण में वह निपुण हो जाएँ। वह चाहती थीं कि अपने देश में वह अंग्रेजी की अध्यापिका बनें। उन्होंने उसे अपनी बगल में बैठे देखा और उसने उसे उदास व बेचैन कर दिया।

‘‘क्या तुम अब भी मुझसे डरती हो?’’

‘‘मैं डरती हूँ। ओह, तुम इसे नहीं समझ सकते!’’

उसने उसकी बात का समर्थन किया, ‘‘मैं नाटक को बहुत मुश्किल से समझ पा रहा हूँ।’’ उसने कहा।

‘मैं भी।’’ वह बोली।

‘‘वह उसे देर तक देखता रहा और इस बात से अवगत थी। और जिस समय उसकी नजरें मंच पर टिकी हुई थीं, वे आँसुओं से भर गईं। फिर भी वह नहीं हिली और आँसू उसके गालों से होकर बहने लगे; हालाँकि नाटक खुशियों भरा था। वह मि. शेरीडन का प्रहसन ‘द शइवल्स’ ही था, जिसमें मिस्टर एस. केंबले कैप्टन एब्सॉल्यूट बने थे। उसने उसका दुःख देखा और यह भी कि उसका दिमाग कहीं और है और मोमबत्ती बुझने के समय अपनी सीट से उठ गया और वह थिएटर से चला गया। हालाँकि वह एक पुराने शहर में रहता था और वह नए में, वे दूर से ही निरंतर एक-दूसरे को देखते रहते थे। उनमें से एक अवसर तब था, जब बंदरगाह के उत्तरी तरफ फेरी के पास पार ले जाने के लिए नाव की प्रतीक्षा कर रही थी। वह विपरीत घाट पर कोव रो के पास खड़ा था। जब नाव आई तो उसमें बैठने के बजाय वह घाट से पीछे हो गई; पर यह देखती रही कि अगर वह वहाँ है तो उसे फेरी नाव की ओर जाने का इशारा करेगी।’’

‘‘घुसो!’’ वह इतनी तेज आवाज में बोला, ताकि उस तक पहुँच जाए।

मिस वी एकदम स्थिर खड़ी रही।

‘‘घुसो!’’ वह बोला। और चूँकि वह हिली तक नहीं, उसने तीसरी बार शब्द दोहराया।

वह वास्तव में पार उतरने वाली थी और अब कहने पर नाव में बैठ गई। यद्यपि उसने आँखें नहीं उठाईं, क्योंकि वह जानती थी कि वह उसे देख रहा है। उतरनेवाली सीढ़ियों पर उसने अपनी टोपी के किनारे के अंदर से एक हाथ को आगे बढ़े हुए देखा। सीढ़ियाँ टेढ़ी-मेढ़ी और फिसलन भरी थीं।’’

‘‘नहीं, महोदय।’’ वह बोली, ‘‘हाँ, अगर तुम ईश्वर में विश्वास करते हो और अपने पाप भरे अतीत का प्रायश्चित्त करना चाहते हो।’’

‘‘मुझे खेद है कि तुम्हें दुःख उठाना पड़ा। लेकिन मैं सिर्फ ‘कारण’ नामक ईश्वर में विश्वास करता हूँ और पछताता नहीं हूँ। मैं राष्ट्रीय सिद्धांत का संवाहक हूँ। मेरे उद्देश्य के लिए तुम्हारे मित्रों की बलि नहीं दी गई है।’’

फिर उसने अपना हाथ पीछे खींच लिया और बिना सहायता के ऊपर चढ़ गई। वह ‘लुक आउट हिल’ पर चढ़ता हुआ आगे बढ़ता गया हूँ, जो एक किनारे पर जाकर विलीन हो रही थी। उसको भी उसी ओर जाना था। उसका काम था अपनी निगरानी में दो युवा लड़कियों को घर वापस लाना, जो एक रोमांचक अभियान पर गई थीं। जब वह ऊपर चोटी पर उनके पास पहुँची तो उसने दूर किनारे पर उसे खड़े देखा। वह समुद्र के पास स्थिर खड़ा था। जितनी देर वह अपने शिष्यों के साथ रही, वह बिना मुड़े खड़ा रहा, मानो जलपोतों को देख रहा हो; पर संभवतः चिंतन में था, इस बात से बेखबर कि वह कहाँ है। उस जगह से आते हुए एक बच्ची ने स्पंज बिस्कुट का आधा टुकड़ा फेंका, जिसे वह खा रही थी। उसके पास गुजरते हुए वह रुका, सावधानी से उसे उठाया और अपनी जेब में डाल लिया।

मिस वी स्वयं से पूछते हुए वापस घर की ओर आई, ‘‘क्या वह भूखा है?’’

उस समय के बाद से वह इतने लंबे समय तक गायब रहा कि उसने सोचा कि वह हमेशा के लिए चला गया है। पर एक शाम एक पुरजा उसके पास आया, जिसे उसने काँपते हाथों से खोला।

‘‘उसमें लिखा था, मैं बीमार हूँ और जैसा कि तुम जानती हो, अकेला हूँ। एक-दो चीजें हैं, जो मैं पूरा करना चाहता हूँ, इससे पहले कि मेरी मृत्यु हो जाए और मैं यहाँ के लोगों से मदद लेना नहीं चाहता हूँ। क्या तुम यह परोपकार कर सकती हो और मेरे मरने से पहले मेरी इच्छाओं को पूरा कर सकती हो?’’

असल में हुआ यह था कि उसे टूटा हुआ केक उठाते देखने के बाद से वह अपने देश के व्यक्ति के प्रति अनजाने में ही ऐसा कुछ महसूस करने लगी थी, जो उत्सुकता से कुछ ज्यादा था; हालाँकि चिंता से कुछ कम था और उसका नाजुक व संवेदनशील हृदय ऐसा नहीं था, जो उसके निवेदन को ठुकरा देता। उसने उसके रहने की जगह (जो उसने पैसों की वजह से ओल्ड रूम्स इनसे बदल ली थी) का पता लगाया, जो एक दुकान के ऊपर कमरे में थे। वह पुराने शहर की ऊबड़-खाबड़ और सँकरी गली के बीचोबीच थी, जहाँ आधुनिक यात्री विरले ही जाते थे। एक तरह की आशंका के साथ वह घर के अंदर घुसी और जिस कमरे में वह लेटा हुआ था, उसमें दाखिल हुई।

‘‘तुम बहुत अच्छी हो, बहुत ही अच्छी हो।’’ वह बुदबुदाया और फिर बोला, ‘‘तुम्हें दरवाजा बंद करने की जरूरत नहीं। तुम सुरक्षित महसूस करोगी और जो हम कहेंगे, उसे वे नहीं समझ पाएँगे।’’

‘‘क्या तुम्हें कुछ चाहिए? क्या मैं तुम्हे...’’

‘‘मैं चाहता हूँ कि तुम एक-दो मामूली से काम कर दो, जिन्हें खुद करने की मुझमें ताकत नहीं है। तुम्हारे सिवाय शहर में और कोई नहीं जानता कि मैं कौन हूँ। यह बात अलग है कि तुमने बता दिया हो।’’

‘‘मैंने नहीं बताया है...। मैंने सोचा कि उन दुःख भरे दिनों में तुमने अपने सिद्धांतों के लिए काम किया, यहाँ तक...’’

‘‘तुमने इतना सोचा, यह तुम्हारी दयालुता है। पर, आज तक। इससे पहले कि मैं बहुत कमजोर हो जाऊँ, मैं अपने कागजों को नष्ट करना चाहता हूँ...लेकिन दराज में तुम्हें लिनन के कपड़े के कुछ टुकड़े मिलेंगे—केवल दो या तीन पर पहला अक्षर लिखा है, जिन्हें पहचाना जा सकता है। क्या तुम उन्हें चाकू से काटकर अलग कर सकती हो?’’

जैसा कि निवेदन किया गया था, उसने ढूँढ़ा, अक्षरों की सिलाई को काटा और लिनन को वापस वहीं रख दिया। असली मृत्यु हो जाने पर एक पत्र जो भेजना था, उसने उसके हाथ में रख दिया और वह सब पूरा कर दिया, जो वह उससे चाहता था।

उसने उसे धन्यवाद दिया। ‘‘मुझे लगता है कि तुम्हें मेरे लिए खेद है।’’ वह बुदबुदाया, ‘‘और मुझे आश्चर्य हो रहा है। तुम्हें खेद है?’’

वह प्रश्न से बचना चाहती थी।

‘‘क्या तुम पछताते हो और विश्वास करते हो?’’ उसने पूछा।

‘‘नहीं?’’

‘‘उसकी और अपनी भी उम्मीदों के विपरीत वह ठीक हो गया, हालाँकि बहुत धीरे-धीरे। और उसके बाद उसके तौर-तरीकों में एक दूसरी आ गई; हालाँकि उस पर उसका प्रभाव जितना वह समझती थी, उससे कहीं ज्यादा था। हफ्ते गुजर गए और मई का महीना आ गया। उस समय एक दिन उत्तर की ओर तट के किनारे धीरे-धीरे चल रहा था, वह उसको मिली।

‘‘क्या तुम्हें खबर पता है?’’ वह बोला।

‘‘तुम्हारा मतलब है, फ्रांस और इंग्लैंड के बीच दुबारा दरार?’’

‘‘हाँ और मासूम अंग्रेजों की बोनापार्ट की वजह से निरंकुश गिरफ्तारी; जो हमारे देश में मौज-मस्ती के लिए घूमने आए थे। विरोध की भावना पिछले युद्ध से कहीं ज्यादा प्रबल है। मुझे लगता है कि युद्ध लंबा व दुःखद होगा और इंग्लैंड में अज्ञात की तरह रहने की मेरी इच्छा निराशाजनक हो जाएगी। यहाँ देखो।’’

उसने अपनी जेब से अखबार का एक टुकड़ा निकाला, जो उन दिनों देश में बिकता था और उसने पढ़ा—

‘‘विदेशी धारा के अंतर्गत काम कर रहे मजिस्ट्रेट से निवेदन किया जाता है कि वह हमारे शहरों व अन्य जगहों में अकादमियों, जिनमें फ्रांसीसी शिक्षक नियुक्त हैं और उस सारी नागरिकता पर जो इस देश में शिक्षक का काम करते हैं, पर पैनी नजर रखें। उनमें से कई राष्ट्र के लिए कट्टर दुश्मन व देशद्रोही थे, जिन लोगों के बीच उन्होंने आजीविका व घर ढूँढ़ लिया था।’’

वह आगे बोला, ‘‘मैंने युद्ध की घोषणा के समय से यहाँ अपने प्रति लोगों के मामूली वर्ग के आचरण में एक अंतर देखा है। अगर बड़ा युद्ध हुआ, जैसा कि जल्दी ही होने वाला है,

निस्संदेह भावना पराकाष्ठा तक बढ़ जाएगी, जो मेरे लिए— एक मामूली से पेशे के छद्मवेशी व्यक्ति के लिए यहाँ रहना मुश्किल हो जाएगा। तुम्हारे साथ, जिसके कर्तव्य व पूर्ववर्ती ज्ञात हैं, काम कठिन होगा; लेकिन फिर भी सुखद नहीं होगा। अब मैं यह प्रस्तावित करता हूँ। तुमने शायद यह देखा होगा कि कैसे तुम्हारे साथ मेरी गहन सहानुभूति बहुत जल्दी एक स्नेहमयी भावना में बदल गई है; और मेरा कहना यह है कि क्या तुम मुझे अपना हाथ देकर मुझे सम्मान देते हुए तुम्हारी रक्षा करने के लिए एक उपाधि दोगी? मैं तुमसे उम्र में बड़ा हूँ, यह सच है; लेकिन एक पति-पत्नी के रूप में हम एक साथ इंग्लैंड छोड़कर जा सकते हैं और पूरी दुनिया को अपना देश बना सकते हैं। हालाँकि मैं कनाडा में क्यूबेक का नाम ऐसे स्थान के रूप में प्रस्तुत करना चाहता हूँ, जहाँ रहने के लिए उपयुक्त स्थान मिल जाता है।’’

‘‘हे भगवान्! तुमने मुझे आश्चर्यचकित कर दिया।’’ वह बोली। ‘

‘पर क्या तुम मेरा प्रस्ताव स्वीकार करती हो?’’

‘‘नहीं, नहीं!’’

‘‘और फिर भी मुझे लगता है कि तुम किसी दिन करोगी।’’

‘‘मुझे नहीं लगता।’’

‘‘अब मैं तुम्हें और परेशान नहीं करूँगा।’’

‘‘बहुत-बहुत धन्यवाद..। तुम्हें अच्छा देखकर मुझे खुशी हो रही है। मेरा मतलब है कि तुम अब स्वस्थ लग रहे हो।’’

‘‘ओह, हाँ! मेरी सेहत में सुधार हो रहा है। मैं रोज धूप में सैर करता हूँ।’’

और लगभग रोज ही वह उसे देखती—कई बार बहुत रूखे ढंग से सिर हिलाते हुए, कई बार औपचारिक शिष्टाचार का पालन करते हुए।

‘‘तुम अभी तक नहीं गए।’’ उसने ऐसे ही एक अवसर पर कहा।

‘‘नहीं, इस समय मैं तुम्हारे बिना जाने की बात नहीं सोच सकता।’’

‘‘लेकिन यहाँ तो तुम बहुत असहज महसूस कर रहे थे?’’

‘‘थोड़ा-बहुत। तो तुम कब मेरे ऊपर दया करोगी?’’

उसने अपना सिर हिलाया और अपने रास्ते चली गई। फिर भी वह थोड़ी द्रवित हो गई थी।

‘‘उसने सिद्धांतों के लिए किया।’’ वह बुदबुदाती, ‘‘उसके मन में उसके प्रति कोई वैर नहीं था और उससे कोई फायदा भी नहीं हुआ।’’

वह सोचती कि वह कैसे रहता था। यह तो स्पष्ट था कि वह इतना गरीब भी नहीं था, जैसा कि उसने सोचा था। उसकी दिखावे की गरीबी हो सकती है, बचने की निशानी हो। वह कह नहीं पाई, पर वह जानती थी कि वह खतरनाक रूप से उसमें दिलचस्पी लेने लगी थी। और उसका स्वास्थ्य सुधरता गया, जब तक कि उसका पतला व पीला चेहरा अधिक भरा-भरा और कसा हुआ नहीं हो गया। जैसे-जैसे वह ठीक होता गया, उसे उसके अनुरोध का सामना करना पड़ा, जिसमें और अधिक दृढ़ आग्रह जुड़ता जा रहा था।

इन दो अकेले प्रवासियों और एक ही देश के लोगों के लिए उस मौसम के लिए सम्राट् और दरबार का आगमन हमेशा की तरह चरम पराकाष्ठा का मामला लेकर आया था। फ्रांस के साथ ऐसी खतरनाक नजदीकी में समुद्र-तट के एक हिस्से के रूप में सम्राट् की अजीब पसंद ने यह अनिवार्य बना दिया कि राजसी निवासियों की चौकसी करने के लिए एक कड़ी सैन्य निगरानी का पालन किया जाए। खाड़ी के पार की रेखा पर हर रात जलपोत तैनात और

प्रहरियों की दो कतारें की जाती थीं—एक पानी के किनारे पर और दूसरी एस्प्लेनेड के पीछे, जो प्रत्येक रात आठ बजे के बाद समुद्र के आगे के पूरे हिस्से को घेर लेती थी। इस विचित्र फ्रेंच शिक्षक और लेखन-गुरु के प्रति उसकी मित्रता, जिसके पास कोई भी शिष्य नहीं था, को कई लोगों ने महसूस किया, जो थोड़ा-बहुत भी उसे जानते थे। जनरल की पत्नी, जिसके यहाँ वह काम करती थी, उसने उसके इस परिचित के लिए चेतावनी दी; जबकि हेनोवेरियन और विदेशी सेना के अन्य सैनिक, जिनको उसके मित्र की राष्ट्रीयता का पता लग गया था, अंगे्रजी सैन्य वीरों से कहीं अधिक उग्र थे, जिन्होंने उसपर नजर रखना अपना काम बना लिया था।

इस तनावग्रस्त स्थिति में उसके उत्तर और अधिक आक्रोश भरे हो गए।

‘‘आखिर मैं तुमसे कैसे शादी कर सकती हूँ?’’ वह कहती।

‘‘तुम करोगी, तुम अवश्य ही करोगी!’’ उसने फिर उत्तर दिया, ‘‘मैं तुम्हारे बिना नहीं जाऊँगा। और अगर मैं यहाँ रहा तो जल्दी ही मजिस्ट्रेट के सामने पूछताछ के लिए बुला लिया जाऊँगा; संभवतः जेल में डाल दिया जाऊँ। तुम आओगी?’’

उसे लगा कि उसकी प्रतिरक्षा के सारे रास्ते खत्म हो रहे हैं। सारे कारणों और परिवार के सम्मान के विपरीत, किसी असामान्य इच्छा के तहत, उसके प्रति एक नरमी से भर रही थी। कई बार दूसरों की तुलना में उसकी स्नेहमयी भावनाएँ कम जलती थीं और तब उसके आचरण की घोरता अपने आप कहीं ज्यादा चकाचौंध करनेवाले वर्णों में दिखाई देती।

इसके तुरंत बाद वह अपने चेहरे पर एक संतुष्ट भाव के साथ आया।

‘‘यह वैसा है, जैसी कि मैंने उम्मीद की थी।’’ वह बोला, ‘‘मुझे जाने का संकेत मिला है। देखा जाए तो मैं न तो कोई बोनापार्टिस्ट हूँ—मैं इंग्लैंड का दुश्मन नहीं हूँ; लेकिन किसी स्पष्ट पेशे के बिना सम्राट् की उपस्थिति एक विदेशी के लिए कि बड़े शहर में रहना असंभव बना देती है और जो हो सकता है, जासूस हो। अधिकारी शिष्ट है, पर कठोर हैं। वे केवल समझदार हैं। ठीक है, मुझे जाना चाहिए। तुम भी मेरे साथ चलो।’’

वह कुछ नहीं बोली। पर उसने सिर हिलाकर स्वीकृति दी और उसकी आँखें झुक गईं।

एस्प्लेनेड में अपने घर की ओर वापस जाते हुए उसने स्वयं से कहा, ‘‘मैं खुश हूँ, मैं खुश हूँ। मैं अन्यथा नहीं कर सकती। यह बुराई के लिए अच्छा हुआ है।’’ पर वह जनमी थी कि उसने इसमें स्वयं का मजाक उड़ाया है और यह कि उसे स्वीकारने में भौतिक सिद्धांत ने रत्ती भर भी काम नहीं किया है। वास्तव में, वह भावनाओं की पूरी उपस्थिति को समझ नहीं पाई थी, जो उसके अंदर अनजाने में ही इस अकेले और कठोर व्यक्ति के लिए बढ़ गई थी, जो उसकी परंपरा के अनुसार प्रतिहिंसक और अधर्मी प्रवृत्ति का था। प्रतीत होता था कि उसने उसके पूरे स्वभाव को आत्मसात् कर लिया है और उसे नियंत्रित करने के लिए आत्मसात् कर रहा है।

शादी के लिए जो दिन तय किया गया था, उससे एक या दो दिन पहले उसके अपने ही देश की एकमात्र परिचिता की तरफ से एक पत्र के आने की उम्मीद थी, जो इंग्लैंड में रहती, जिसे उसने अपने विवाह करने की सूचना बिना यह बताए कि वह किससे शादी कर रही है, भेजी थी। उसकी इस मित्र का दुर्भाग्य उसके दुर्भाग्य से कुछ-कुछ मिलता था, जो उनकी आत्मीयता का एक कारण भी था। उसकी मित्र की बहन, मोंटमार्टरे के एंबे की एक मठवासिनी, उसी ‘कोमिट द सेलुट पस्लिक’ के हाथों द्वारा दी गई फाँसी पर मर गई थी, जिसने मिस वी को क्रमांकित किया था, उसके सदस्यों में वाग्दत्ता थी। लेखक ने उसकी स्थिति को काफी देर बाद महसूस किया, वह बोली, युद्ध के दुबारा होने के बाद से और पत्र लेखकों के आपसी शोक और होनेवाली मुश्किलों के ताजे दोषारोपण के साथ भेजा गया।

उसमें जो लिखा था, उसने मिस वी पर वैसा ही असर किया, जैसा कि निद्राचारी पर पानी की बालटी उड़ेल दी जाए। इस आदमी को स्वयं को सौंपने में वह क्या कर रही है? क्या वह घटना के बाद स्वयं को एक पितृहंता नहीं बना रही है? इस संकट के समय में उसकी भावनाओं में उसके प्रेमी ने उसे पुकारा। उसने अपने आपको काँपने से रोका और उसके प्रश्न के उत्तर में उसने आवेगी निष्कपटता में अपने नैतिक संकोच को बता दिया।

वह ऐसा नहीं करना चाहती थी, पर उसके कोमल आदेश के दृष्टिकोण ने उसे स्पष्टवादिता को अपनाने को बाध्य किया। उसके बाद उसने ऐसा आक्रोश प्रदर्शित किया, जो पहले उसमें दिखाई नहीं दिया था। वह बोला, ‘‘लेकिन वे सब अतीत की बातें हैं। तुम परोपकार का प्रतीक हो और हमने विगत को भुलाने की शपथ ली है।’’

उसके शब्दों ने एक क्षण के लिए उसे सुकून पहुँचाया; लेकिन वह एकदम चुप थी और वह चला गया।

उस रात उसने एक दैवी शक्ति द्वारा भेजे स्वप्न को देखा, जिस पर वह अपने जीवन के अंतिम दिनों तक विश्वास करती रही। उसके मृत रिश्तेदारों का जुलूस—पिता, भाई, चाचा, चचेरा भाई—ऐसा लगा कि उसके पलंग व खिड़की के बीच उसे कक्ष से गुजरे और जब उसने उनकी शक्लों को पहचानने का प्रयास किया तो उसने पाया कि वह सिर-विहीन है और उसने केवल उनके कपड़ों द्वारा उन्हें पहचाना। सुबह वह अपने अंदर के इस दृश्य के प्रभावों को झटक नहीं पाई। उस पूरे दिन उसके अपने प्रणय याचक को नहीं देखा। वह उनके जाने का प्रबंध करने में व्यस्त था। शाम तक शादी से एक दिन पहले वह बढ़ गया; पर उसको भरोसा दिलाने वाले आगमन के बावजूद उसका परिवार के प्रति कर्तव्य ज्यादा प्रबल हो गया कि अब वह अकेली रह गई है। फिर भी, उसने स्वयं से पूछा कि वह आखिर कैसे अकेले व और असुरक्षित ऐन वक्त पर जा सकती है और एक वाग्दत्त पति को जाकर कह सकती है कि वह उससे शादी नहीं कर सकती और नहीं करेगी, जबकि वह इसके साथ-साथ यह भी कहना चाहती है कि वह उससे प्यार करती है? स्थिति ने उसे निराशा से भर दिया। उसने गवर्निस के रूप में अपनी नौकरी को छोड़ दिया और इस समय कोच-ऑफिस के पास वह अस्थायी रूप से एक कमरे में रह रही थी, जहाँ से वह सुबह उसे फोन करके यह कहने वाली थी कि एक होने और जाने की बात का पालन किया जाए।

समझदारी से या मूर्खतापूर्ण ढंग से मिस वी एक निष्कर्ष पर पहुँच गई थीं कि उसकी सुरक्षा केवल भागने में ही है। उसके सामीप्य ने इतनी समझदारी से उसे प्रभावित किया था कि उसके पास कोई वजह नहीं थी। इसलिए जो थोड़ा-बहुत सामान उसके पास था, उसे समेटते हुए और वह भेज थोड़ा सा धन, जो उसके पास था, उसे रखते हुए वह चुपचाप चली गई। लंदन कोच में अंतिम उपलब्ध सीट को सुरक्षित किया और इससे पहले कि पूरी तरह से अपने कदम पर विचार करती, वह सितंबर माह की शाम को झुटपुटे में शहर से बाहर निकल रही थी।

इस आश्चर्यजनक कदम को उठाने के बाद वह अपने कारणों पर विचार करने लगी। वह उस दुःखद समिति में से एक था, जिसके नाम की ध्वनि तक सभ्य दुनिया के लिए एक आतंक थी। फिर भी, वह अनेक सदस्यों में से एक था और प्रतीत होता था, सबके सक्रिय सदस्यों में उसकी गिनती नहीं होती थी, उसने नामों को सिद्धांत के आधार पर चिह्नित किया था। उसकी

अपने द्वारा पीड़ित हुए लोगों के प्रति कोई निजी दुश्मनी नहीं थी और वह जिस कार्यालय में था, उसके बाहर उसने स्वयं को पैसा खाकर संपन्न भी नहीं बनाया था। इस बीच वह उससे प्यार करता रहा और उसका हृदय उसकी ओर उतना ही झुकता, जितना कि वह स्वयं को विगत से अलग करना चाहती। आखिर क्यों नहीं, जैसा कि उसने कहा था, यादों को दफना दो और इस मिलन के द्वारा एक युग का शुभारंभ करो? दूसरे शब्दों में, आखिर क्यों नहीं उसके स्नेह को अपनाया जाए, क्योंकि उसे नकारने से कुछ अच्छा नहीं होगा।

इस प्रकार, वह कैस्टरब्रिज और शॉटस्फोर्ड और मैनचेस्टर में व्हाइट हार्ट से गुजरते हुए, जिस स्थान पर उसके नवीनतम इरादों के सारे तंतु सिकुड़ गए थे, कोच में अपनी सीट पर बैठी स्वयं से ही बात करती रही। इतनी दूर निकल आने पर मजबूत रहना ही ठीक है। चीजों को अपनी दिशा स्वयं ही तय करने दो और निर्भय होकर उस व्यक्ति से शादी कर लो, जिसने उसे इतना प्रभावित किया था। वह कितना महान् था; वह कितनी छोटी थी! और उसने अनुमान लगाया कि उसने उसके बारे में जो सोचा है, वही सही है। कोच में हड़बड़ी में अपना स्थान छोड़ना, जो उसके उठाए कदम का प्रतीक था, जब तक गाड़ी चल न दी, उसने तब तक इंतजार किया। तारों से चमकते आसमान के नीचे बाहर के यात्रियों की जाती हुई आकृतियाँ उसे अंचभित कर रही थीं, जो उसे बाद में याद आ रही थीं। इस समय जानेवाली कोच ‘द मॉर्निंग हेरॉल्ड’ ने शहर में प्रवेश किया और उसने शीघ्रता से ऊपर की सीट ले ली।

‘‘मैं अडिग रहूँगी। मैं उसकी रहूँगी, चाहे इसके लिए मुझे अपने प्राण ही क्यों न देने पड़ें!’’ वह बोली और हाँफती हुई साँसों के साथ वह वापस उस सड़क पर चल दी, जहाँ से अभी-अभी आई थी।

जब तक सुबह हुई, वह हमारे राजसी पनघट पर पहुँच गई और उसका पहला लक्ष्य था उस किराएवाले कमरे तक वापस पहुँचना, जहाँ उसने अपने पिछले कुछ दिन बिताए थे। जब मिस वी के घबराए हुए स्वर में बार-बार पुकारने के जवाब में मकान मालकिन बाहर आई, उसने अपने अचानक जाने और वापसी के बारे में जितना संभव था, अच्छे ढंग से उसे समझाया और उसके कमरे को दुबारा किराए पर लेने में कोई आपत्ति नहीं प्रकट की गई। वह अपने कमरे में गई और हाँफती हुई बैठ गई। वह एक बार फिर से वापस आ गई थी और उसकी अजीब सी टाल-मटोल उससे छिपी हुई थी, जिनसे उनका मतलब था।

अँगीठी-थानस पर एक बंद पत्र रखा है।

‘‘हाँ, यह तुम्हारे लिए है मिस।’’ उसके पीछे-पीछे आ रही महिला ने कहा, ‘‘पर हम सोच रहे थे कि उसका क्या करें। जब तुम पिछली रात चली गई थीं तो नगर का एक संदेशवाहक इसे लाया था।’’

जब मकान मालकिन चली गई, मिस वी ने पत्र खोला और पढ़ा—

‘‘मेरे प्रिय व सम्माननीय मित्र, तुम हमारे परिचय के पूरे समय अपनी आशंकाओं के बारे में पूरी तरह से स्पष्ट थीं। लेकिन अपनी आशंकाएँ छिपाए रखीं। हमारे बीच वही अंतर है। तुमने शायद यह अनुमान नहीं लगाया होगा कि हमारे विवाह के संदर्भ में प्रत्येक आशंका जो तुमने महसूस की, वह मेरे हृदय में भी पूरी तरह से समान रूप से थी। इससे यह हुआ कि कल अनजाने में तुम्हारा पश्चात्ताप बाहर आ निकला; हालाँकि तुम्हारी उपस्थिति में मेरे द्वारा मशीनी ढंग से विरोध किया गया था, जो हमारे एक होने की समझदारी पर मेरे संशय की आखिरी चीज थी, जिसने उन्हें एक बल दिया कि मैं अब और विरोध नहीं कर सकता। मैं घर आया और

सोचने पर, जितना मैं तुम्हारा सम्मान करता हूँ, मैंने तुम्हें मुक्त करने का निश्चय किया।

‘‘ऐसे व्यक्ति के रूप में जिसका जीवन समर्पित है और हो सकता है कि स्वतंत्रता की खातिर मेरी बलि चढ़ जाए, मैं तुम्हारे निर्णय (संभवतः स्थायी) को उस भावना के द्वारा, जो केवल अस्थायी है, को मुक्त करने के अलावा बंधन-रहित नहीं कर सकता।’’

‘‘यह हम दोनों के लिए ही किसी यंत्रणा से कम नहीं होगा कि मैं यह निर्णय कहकर तुम्हें सुनाऊँ। इसलिए मैंने लिखने के कम पीड़ादायक तरीके को अपनाया है। जब तुम्हें यह मिलेगा, मैं लंदन के लिए शाम की कोच से निकल चुका होऊँगा, जिस शहर में पहुँचकर मेरी गतिविधियों के बारे में किसी को नहीं बताया जाएगा।’’

‘‘मिस, मुझे मृत समझ लो और मेरे सम्मान, स्मृति और स्नेह के नवीनीकृत आश्वासनों को स्वीकार करो।’’

जब वह आश्चर्य और दुःख के अपने आघात से बाहर निकली तो उसे याद आया कि भोर से पहले मैनचेस्टर से बाहर निकलने पर कोच के चलने पर तारों भरे आकाश के नीचे बाहर निकलते यात्रियों की आकृति के बीच एक आकृति ने उसे क्षणिक हैरानी से भर दिया था; क्योंकि वह काफी कुछ उसके मित्र से मिलती-जुलती थी कि दूसरे के इरादों से अनजान और अँधेरे में एक-दूसरे से छिपे हुए। उन्होंने एक ही वाहन से शहर को छोड़ा था।

‘‘वह बड़ा दृढ़प्रतिज्ञ; मैं, छोटी, वापस लौट आई!’’ वह बोली।

अपनी भाव-शून्यता से वापस आने के बाद मिस वी ने अपने नियोक्ता के बारे में फिर से सोचा। मिसेज न्यूबोल्ड, जिन्हें हाल की घटनाओं ने उदासीन कर दिया था। उस महिला के पास वह पूरे मन से गई और हर बात बता दी। मिसेज न्यूबोल्ड ने घटना के उसके विचार को अपने तक रखा और उस छोड़ी हुई दुलहन को परिवार की गवर्नस की पुरानी नौकरी पर दुबारा से रख लिया।

वह अपने जीवन के आखिरी दिनों तक गवर्नस ही रही। फ्रांस के साथ अंतिम शांति समझौता होने के बाद वह अपनी माँ से अवगत हुई, जिसके साथ उसने इन अनुभवों को धीरे-धीरे बाँटा। जब उसके बाल सफेद हो गए और उसके नैन-नक्श सिकुड़ते गए, मिस वी सोचती कि अगर वह जिंदा होगा तो आखिर दुनिया के किस कोने में उसका प्रेमी होगा और क्या वह दुबारा उसको मिल पाएगी? पर जब बीसवें दशक में उसकी मौत हुई, तब उसकी उम्र बहुत ज्यादा भी नहीं थी। सुबह के तारों के नीचे वह आकृति उसकी अंतिम झलक के रूप में रही, जिसे कभी उसने अपने परिवार का दुश्मन माना था जो, कभी उसका वाग्दत्त पति था।

(अनुवाद : सुमन वाजपेयी)