अनमोल उपहार : इतालवी लोक-कथा

Anmol Uphaar : Italian Folk Tale

बहुत पुरानी बात है, इटली के जेनोआ शहर में अंतोनियो नाम का एक व्यापारी रहता था। एक बार अंतोनियो ने अपने जहाज को सामान से लादा और दूर दराज के द्वीपों में व्यापार करने के लिए निकल पड़ा। वह सामान के बदले में ऐसे मसाले खरीदने निकला था जिनकी उस समय इटली में बहुत मांग हुआ करती थी।

अंतोनियो एक द्वीप से दूसरे द्वीप की यात्रा करता रहा। उसने अपना मखमल बेचकर दालचीनी खरीदी। यूरोपियन गुड़िया बेचकर लौंग खरीदी। चमड़े की बेल्टें बेचीं और जायफल ख़रीदे।

इसी तरह माल खरीदते बेचते वह एक द्वीप पर पहुंचा। द्वीप का राजा बहुत ही अच्छा और भला व्यक्ति था और विदेशों से आने वाले व्यापारियों का बहुत सम्मान करता था। उसने अंतोनियो का जोरदार स्वागत किया और रात को अपने साथ भोजन करने के लिए आमंत्रित किया।

अंतोनियो नियत समय पर खाने के लिए राजा के महल में पहुंचा। खाने की टेबल पर जब वह राजा के साथ बैठा तो उसने बड़ा अजीब दृश्य देखा। उसने देखा कि टेबल के चारों तरफ दसियों लाठीधारी सैनिक तैनात हैं और उन्होंने लाठियां कुछ इस तरह से पकड़ी हुई हैं जैसे कि अभी मारने वाले हों।

अंतोनियो यह दृश्य देखकर हैरान परेशान हो गया। उसकी समझ में नहीं आया कि आखिर ये सिपाही एकदम आक्रमण करने की मुद्रा में टेबल के चारों तरफ क्यों खड़े हुए हैं। लेकिन जैसे ही खाना परोसा गया, वैसे ही उसे उसके सवाल का जवाब मिल गया।

भोजन की गंध से आकर्षित होकर अचानक सैकड़ों चूहे टेबल की तरफ आते दिखाई दिए। उन चूहों को देखते ही सिपाहियों ने लाठियों से उन्हें मारना भगाना शुरू कर दिया।

उधर चूहों के साथ सिपाहियों का संग्राम चल रहा था और इधर राजा के साथ अंतोनियो का भोजन।

अंतोनियो यह सब देखकर बहुत घबरा गया।

उसने कहा - "महाराज, क्या आपके द्वीप पर बिल्लियाँ नहीं हैं ?"

राजा अंतोनियो की बात सुनकर चकरा गया।

बिल्लियाँ ? उनके बारे में तो उसने कभी सुना भी नहीं था। "ये क्या होती हैं ?", राजा ने पूछा।

"बिल्लियाँ छोटे और प्यारे जानवर होते हैं जिन्हें चूहों का शिकार करना पसंद होता है।" अंतोनियो ने उत्तर दिया। "बिल्लियाँ कुछ ही समय में इस द्वीप को चूहों से छुटकारा दिला देंगी।" अंतोनियो ने कहा।

"सच में ?", राजा ने आश्चर्य से कहा। "यदि आप हमारे लिए कुछ बिल्लियाँ ला देंगे तो उनके लिए हम आपको मुंहमांगी कीमत देंगे। हम किसी भी कीमत पर चूहों से मुक्ति चाहते हैं।" राजा ने अनुनय करते हुए कहा।

"मुझे बिल्लियों के लिए पैसों की जरूरत नहीं है।" अंतोनियो ने कहा। "मेरे जहाज पर कई बिल्लियाँ हैं। आपको कुछ बिल्लियाँ देकर मुझे ख़ुशी होगी।"

खाने के बाद अंतोनियो अपने जहाज पर गया और वहाँ से एक मादा और एक नर बिल्ली लेकर जल्दी से राजा के महल में लौटा। बिल्लियों को जब डाइनिंग हाल में छोड़ा तो वे चूहों को देखकर उन पर झपटी। चूहे बिल्लियों को देखते ही जान बचाकर भागे।

"क्या अद्भुत जानवर है ...", राजा ने खुश होकर कहा।

फिर इसके बाद राजा को खाने के वक़्त कभी भी लाठियों वाले सैनिक तैनात करने की जरूरत नहीं पड़ी। बिल्लियों ने आते ही अपना जलवा दिखा दिया। कई चूहे मारे गए और बाकी पता नहीं कहाँ गायब हो गए।

बिल्लियों के जोड़े की करामात देखकर राजा की ख़ुशी का तो जैसे कोई पारावार ही न था।

"धन्यवाद मेरे दोस्त, अब मैं आपको बदले में कुछ देना चाहता हूँ।" राजा ने अंतोनियो से कहा, जो अब द्वीप से प्रस्थान की तैयारी कर रहा था। राजा ने अंतोनियो को बेशकीमती पत्थरों और चमचमाते हीरे जवाहरातों से भरा एक संदूक भेंट किया।

"नहीं महाराज, इसकी कोई आवश्यकता नहीं है।" अंतोनियो ने एतराज़ करते हुए कहा लेकिन राजा बिल्लियाँ पाकर इतना खुश था कि उसने उसकी एक न सुनी।

राजा कहने लगा - "मेरे दोस्त, मेरे इस द्वीप पर इतने सारे रत्न हैं लेकिन तुमने जो उपहार मुझे दिया है उसकी कीमत का कोई भी नहीं। मैं तो बस शुक्रिया के तौर पर तुम्हें ये थोड़े से रत्न और गहने दे रहा हूँ। इन्हें तो तुम्हें लेना ही होगा।"

आखिर बिल्ली जैसे मामूली तोहफे के बदले अंतोनियो को न चाहते हुए भी कीमती रत्नों से भरा वह संदूक उपहारस्वरुप लेना पड़ा।

फिर अंतोनियो इटली लौटा। उसने सबको अपनी यात्रा की कहानी सुनाई। शहर के सबसे अमीर और अंतोनियो के प्रतिद्वंद्वी व्यापारी लुइगी ने जब यह खबर सुनी तो उसे ईर्ष्या होने लगी। "उस द्वीप के राजा ने अंतोनियो को दो निकम्मी बिल्लियों के बदले इतने कीमती रत्न और गहने दिए !"

फिर वह सोचने लगा, "जब बिल्लियों के बदले वह इतना दे सकता है तो अगर मैं उस राजा के लिए सचमुच कोई बहुमूल्य उपहार ले जाऊं तो बदले में तो वह मुझे मालामाल ही कर देगा !"

फिर लुइगी ने अपने जहाज को बहुमूल्य मूर्तियों, कीमती पेंटिंग्स और बेहतरीन कपड़ों से भरा और उस द्वीप की ओर चल दिया। कुछ दिनों बाद उसका जहाज उस द्वीप पर जा पहुंचा।

जैसा कि हमने पहले बताया कि राजा बाहर से आने वाले व्यापारियों का बहुत सम्मान करता था, उसने लुइगी को भी अपने साथ भोजन पर बुलवाया। लुइगी अपने उपहारों के बक्से लेकर राजा के महल में पहुंचा। राजा लुइगी के उपहारों को देखकर दंग रह गया।

"मैं आपकी उदारता से बहुत प्रभावित हुआ हूँ श्रीमान लुइगी !" राजा ने कहा, "समझ में नहीं आता कि इन बेशकीमती चीज़ों के बदले में आपको क्या दूँ ?"

राजा देर तक अपने सलाहकारों से सलाह-मशविरा करता रहा। फिर लुइगी को शाही कक्ष में बुलवाया गया।

"हम आपको क्या उपहार दें, इस बात पर हमने लम्बी चर्चा की है। लुइगी, मुझे आपको यह बताते हुए बहुत ख़ुशी हो रही है कि आखिरकार एक ही चीज़ पर हमारी सहमति बनी है। वो चीज़ हमारे लिए सबसे अनमोल है। हमारे द्वीप पर ऐसा कुछ भी नहीं जो उसकी बराबरी कर सके।" राजा ने कहा।

इसके साथ ही राजा ने अपने सेवकों को उपहार लाने का आदेश दिया।

लुइगी बड़ी मुश्किल से अपनी ख़ुशी को दबा पा रहा था। जो सोचकर वह आया था, वह उम्मीद उसे पूरी होती हुई दिखाई दे रही थी। उसे विश्वास हो गया कि राजा उसे अंतोनियो से कम से कम बीस गुना ज्यादा कीमत के रत्न और जवाहरात देगा।

राजा ने लुइगी को मखमली कपडे से ढंका एक रेशमी तोहफा भेंट किया।

जब लुइगी ने कपड़ा हटाया तो वह अवाक रह गया। वहाँ फर की एक गेंदनुमा चीज़ बैठी थी। जब वह गेंद थोड़ी हिली डुली तो लुइगी को समझ में आया कि वह फर की गेंद दरअसल ....

.... एक बिल्ली का बच्चा था !

"इटली के हमारे एक दोस्त व्यापारी ने हमें दुनिया का सबसे अनमोल तोहफा.... दो बिल्लियाँ दीं थीं। उन बिल्लियों के अभी कुछ बच्चे हुए हैं। क्योंकि आपने हमें इतने भव्य उपहार भेंट किये, तो हमारा भी फ़र्ज़ बनता था कि आपको कोई ऐसी चीज़ भेंट करें जो हमारे लिए अनमोल हो। हमारे द्वीप पर इससे अनमोल कुछ भी नहीं है।" राजा ने कहा।

जब लुइगी ने राजा के मुस्कुराते चेहरे को देखा तो वह समझ गया कि राजा के दिमाग में, वो छोटा सा बिल्ली का बच्चा, लुइगी द्वारा दिए गए बहुमूल्य उपहारों से कहीं अधिक मूल्यवान है।

लुइगी अनुभवी व्यापारी था। वह जानता था कि इस वक़्त उसे मुस्कुराकर राजा के दिए उपहार से खुश होने का दिखावा करना ही पड़ेगा।

और उसने वही किया भी ।

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