ऐन्डर्स की नयी टोपी : स्वीडिश लोक-कथा
Anders’ New Cap : Folktale Sweden
यह बहुत पहले की बात है कि स्वीडन के एक गाँव में ऐन्डर्स नाम का एक लड़का रहता था। उसको एक नयी टोपी मिल गयी थी। यह टोपी उसकी माँ ने उसके लिये खास कर के बुनी थी।
वह टोपी बहुत सुन्दर थी। उतनी सुन्दर टोपी कभी किसी ने नहीं देखी थी। ऐन्डर्स की माँ ने करीब करीब सारी टोपी में लाल रंग की ऊन लगायी थी सिवाय थोड़ी सी जगह पर हरे रंग की ऊन के, क्योंकि उसके पास लाल रंग की ऊन खत्म हो गयी थी। टोपी के ऊपर के हिस्से पर उसने नीले रंग का फुँदना लगाया था।
ऐन्डर्स ने अपने सिर पर अपनी टोपी पहनी, अपनी जेब में अपने हाथ डाले, अपना सिर ऊँचा किया और घर के बाहर घूमने चल दिया।
उसको मालूम था कि हर आदमी उसकी तरफ देख रहा था। और उसको यह भी मालूम था कि वह उसकी तरफ क्यों देख रहा था। असल में हर आदमी उसकी नयी टोपी की तरफ देख रहा था।
पहला आदमी जो ऐन्डर्स को मिला वह था एक किसान जो अपने घोड़े को साथ लिये जा रहा था। ऐन्डर्स उसकी तरफ देख कर मुस्कुराया और अपना सिर हिलाया।
उस किसान ने भी अपना टोप उतार कर उसको काफी नीचे तक झुक कर सलाम किया। ऐन्डर्स ने सोचा कि इस किसान ने मेरी यह टोपी जरूर ही बहुत पसन्द की होगी।
आगे जाने पर उसको लार्स मिला। वह एक खाल रंगने वाले का बेटा था। वह अपने पिता को गाय की खालों को चमड़ा बनाने में सहायता करता था।
लार्स एक बड़ा लड़का था। उसने बड़े साइज़ के जूते पहन रखे थे जिनको पहन कर वह और भी बड़ा लग रहा था। लार्स बोला — “आओ हम लोग अपनी अपनी टोपियाँ बदल लें। और मैं तुमको अपना जैक चाकू भी दे दूँगा।”
ऐन्डर्स ने बहुत सोचा। आजकल सारे आदमी लोग जैक चाकू लिये घूमते हैं। वे उसको रस्सी काटने के लिये इस्तेमाल करते थे, लकड़ी के खम्भों में कुछ खोदने के लिये इस्तेमाल करते थे और कुछ और दूसरे कामों के लिये भी इस्तेमाल करते थे।
लार्स का जैक चाकू करीब करीब नया था। उसका केवल एक फल टूटा हुआ था और उसके हैन्डिल में बस एक दरार पड़ी हुई थी। पर नहीं वह केवल उसकी वजह से अपनी माँ की बनायी हुई टोपी उसकी टोपी से नहीं बदल सकता था।
ऐन्डर्स आगे चला तो उसको एक बुढ़िया मिली। एन्डर्स ने
उससे पूछा कि उसको उसकी टोपी कैसी लगी तो वह बोली —
“तुम तो इस टोपी में बहुत ही अच्छे लग रहे हो ऐन्डर्स। तुमको तो
राजा के यहाँ नाच में जाना चहिये।”
और इतना कह कर उसने भी एन्डर्स को अपने घुटने मोड़ कर झुक कर सलाम किया। ऐन्डर्स ने सोचा — “मैं राजा के यहाँ नाच में जाऊँ? यह तो है। यह मेरी टोपी तो सचमुच ही इतनी अच्छी लग रही है कि मुझको राजा के यहाँ नाच में जाना ही चाहिये।”
सो वह राजा के महल की तरफ चल दिया। जब महल के पहरेदारों ने उसको महल में जाते हुए देखा तो उन्होंने उसको रोक कर पूछा — “तुम कहाँ जा रहे हो?”
वह बोला — “मैं राजा के महल में नाचने के लिये जा रहा हूँ।”
उनमें से एक पहरेदार बोला — “पर तुम नाचने के लिये बिना यूनीफौर्म पहने तो जा नहीं सकते।”
तभी वहाँ राजकुमारी आयी। वह सफेद सिल्क की पोशाक पहने हुए थी जिसके ऊपर सुनहरी रिबन और बो लगी हुई थी। उसने ऐन्डर्स और पहरेदार की बातें सुन ली थीं।
वह उनसे बोली — “इस लड़के ने इतनी सुन्दर टोपी पहन रखी है यही नाच के लिये ठीक यूनीफौर्म है। इसको अन्दर आने दो।” कह कर उसने ऐन्डर्स का हाथ पकड़ा और उसको अपने साथ अन्दर महल में ले गयी।
ऐन्डर्स राजकुमारी के साथ महल के अन्दर गया। वहाँ वह संगमरमर की सीढ़ियाँ चढ़ा और कई पहरेदारों के सामने से गुजरा।
जब वे दोनों पहरेदारों के सामने से गुजरते थे तो वे सब उनको सिर झुकाते थे तो ऐन्डर्स सोचता “ये लोग मेरी इतनी सुन्दर टोपी की वजह से मुझे जरूर ही राजकुमार समझते होंगे।”
राजकुमारी ऐन्डर्स को पहले एक लम्बी मेज के पास ले गयी जिसके ऊपर सोने के प्याले ओर प्लेटें सजी हुई थीं। वहाँ बहुत सारा माँस, केक़ डबल रोटी आदि रखे हुए थे।
राजकुमारी जा कर अपनी जगह पर बैठ गयी और एन्डर्स को उसने अपने पास ही एक सुनहरी कुर्सी पर बिठा लिया और उससे बोली — “तुमको अपनी टोपी पहन कर खाना नहीं खाना चाहिये।” यह कह कर वह उसकी टोपी उतारने लगी।
एन्डर्स बोला — “नहीं नहीं, मैं अपनी टोपी पहन कर भी खाना खा सकता हूँ और अपनी टोपी उतार कर भी खा सकता हूँ।” उसने अपना एक हाथ अपनी टोपी पर रख लिया और दूसरे हाथ से खाना अपने मुँह में भरने लगा।
उसने सोचा अगर उसने अपनी टोपी उतार दी तो वह शायद उसको फिर कभी न देख पाये।
राजकुमारी बोली — “तुम मुझको टोपी दो तो मैं तुमको एक चुम्मी दूँगी।”
ऐन्डर्स ने सोचा “हे भगवान, यह राजकुमारी तो बहुत सुन्दर है।” ऐन्डर्स को उसकी चुम्मी चाहिये तो थी पर अपनी माँ की बनायी टोपी की कीमत पर नहीं। उसकी माँ ने उसकी वह टोपी बनायी थी वह उस टोपी को तो उस राजकुमारी को भी नहीं दे सकता था।
एन्डर्स ने दोनों हाथों से अपनी टोपी पकड़ ली और उसको कस कर अपने सिर से लगा लिया।
राजकुमारी ने एन्डर्स की जेबें केक से भर दीं। फिर उसने एक भारी सी सोने की जंजीर अपने गले से निकाली और ऐन्डर्स के गले में डाल दी। फिर वह ऐन्डर्स की तरफ झुकी और उसने उसके गाल पर एक चुम्मी दे दी।
ऐन्डर्स ने फिर एक बार अपनी टोपी कस कर अपने सिर से चिपका ली। उसी समय राजा यूनीफौर्म पहने, पंख वाले टोप पहने और कई मेडल लगाये कई लोगों के साथ वहाँ आया। राजा ने एक बहुत बड़ा सुनहरा ताज अपने सिर पर पहना हुआ था।
वह राजकुमारी को पहले ही ऐन्डर्स की टोपी उतारते देख चुका था सो वह मुस्कुरा कर लड़के से बोला — “तुम्हारी यह टोपी बहुत सुन्दर है बेटे।”
एन्डर्स बोला — “हाँ है तो। मेरी माँ ने इसे सबसे अच्छी ऊन से बनाया है। उसने इसको अपने हाथों से बुना है और अपने प्यार से भरा है। हर आदमी मेरी टोपी लेना चाहता है।”
राजा बोला — “क्या तुम अपनी टोपी मेरे टोप से बदलना पसन्द करोगे?” कहते हुए उसने अपना सोने का भारी ताज अपने सिर से उतारा और उसको एन्डर्स की तरफ बढ़ाया।
एन्डर्स तुरन्त ही अपनी कुर्सी से बाहर कूद गया और महल के बड़े बड़े कमरों में से होता हुआ महल की सीढ़ियाँ उतरता हुआ बाहर की तरफ भाग गया।
वह इतनी तेज़ भागा कि उसके गले से राजकुमारी का दिया हुआ सोने का हार निकल गया, उसकी जेब से केक भी निकल गये पर उसने अपनी टोपी अपने सिर से नहीं गिरने दी।
उसने उसको दोनों हाथों से कस कर पकड़ रखा था। वह जितनी तेज़ भाग सकता था उतनी तेज़ भागता हुआ अपने घर आ गया और आ कर अपनी माँ की गोद में छिप गया।
साँस आने पर उसने अपनी माँ को अपनी सारी कहानी बतायी। जब वह अपनी कहानी सुना रहा था तो ऐन्डर्स के सब भाई बहिन मुँह खोले खड़े थे।
उसके बड़े भाई ने कहा — “तुम बेवकूफ थे जो तुमने राजा को अपनी टोपी दे कर उसका ताज नहीं लिया।”
ऐन्डर्स बोला — “कोई ताज मेरी माँ की बनायी टोपी से अच्छा नहीं हो सकता भैया। मैं उसको राजा के ताज से भी नहीं बदल सकता था।”
ऐन्डर्स की माँ ने खुशी से ऐन्डर्स को गले से लगा लिया। वह जानता था कि उसकी माँ की बनायी टोपी सबसे सुन्दर टोपी थी।
(साभार सुषमा गुप्ता जी, जिन्होंने लोक-कथाओं पर उल्लेखनीय काम किया है)