एंडालूशियन मल्लयुद्ध (स्पेनिश कहानी) : सेराफिन एस्टेबंज कालड्रोन

Andalusian Mallayuddha (Spanish Story in Hindi) : Serafin Estebanez Calderon

सेंट अन्ना के स्क्वेअर से होते हुए सर्विले के एक शराबखाने में, जहाँ अति उत्तम शराब बड़े-बड़े घूँटों में पी जाती थी, गिने-चुने कदमों से चलते हुए दो आदमी आए। उनके व्यवहार से पता चलता था कि किस मिट्टी ने उनको जन्म दिया था। वह जो सड़क पर चल रहा था, दूसरे से लगभग एक अंगुल लंबा था और एसीजा की चौड़ी और टेढ़ी टोपी असावधानी से पहने हुए था, जिसमें शीशे के मनकों से पिरोए झब्बे और उसके पापों की तरह काले फीते लगे हुए थे। वह अपने चोगे को इकट्ठा करके बाएँ बाजू के नीचे थामे हुए था और दायाँ नीलमणि अस्तर से निकलता हुआ चाँदी के बलकस के साथ मेमने की खाल के ऊनी वस्त्र को उघाड़ रहा था ।

चरवाहे के सफेद जूते, तुर्की के बटनों के साथ, घुटनों को ढाँपते हुए चोगे के नीचे लाल चमकीला जाँघिया और सबके ऊपर उसकी शक्तिशाली मांसल आकृति; काले घुँघराले बाल और अंगारे की तरह लाल आँखें दूर से प्रकाशित करती थीं कि सब मिलकर उस व्यक्ति से संबंधित है जो अपने घुटनों में घोड़ों को समाप्त कर देता है या अपनी बल्लम से बैलों को थका देता है । वह अपने साथी से विवाद करता हुआ चलता रहा । साथी अपने आपमें अतिव्ययी की अपेक्षा अल्पव्ययी था, परंतु अद्भुत ढंग से मृदु और कोमल था।

पिछला व्यक्ति जूते पहने हुआ था; जुराबें गेटसों के साथ जाँघिए से मिली हुई थीं। वास्कट का रंग बेंत जैसा था; उसका पटका हलके हरे रंग का था। कंधों की बनावटी गाँठें, कान का निचला भाग, बटनों की पक्तियों से सजी ऊँट, रंगी जैकट, खुला चोगा, कानों तक खिंची टोपी, उसके छोटे पर साफ कदम, उसके अवयव और चंचलता एवं लचीलेपन की चाल - बिना परीक्षा यह सिद्ध करते थे कि अखाड़े में लाल कपड़ा हाथ में लेकर उन्मत्त जरामा बैलों या पुटरेरा के अति उत्तम सींगोंवाले जंगली पशुओं की हँसी उड़ा सकता था।

मैं ऐसे आदमियों की प्रशंसा करता हूँ और उनके लिए मरता हूँ, भले ही इस अभिनंदन को लौटाया न जाए। मैं भी धीरे-धीरे उनकी पूजा करने लगा और अपने आपको काबू न करते हुए उनके साथ उसी शराबखाने या कहो, जलपानगृह में प्रवेश कर गया; क्योंकि वहाँ कुछ उत्तेजक चीजें और शराब भी पेश की जाती थी, और मैं, जैसाकि मेरे पाठक देखते हैं, चीजों को उनके ठीक नाम से पुकारता हूँ। मैंने प्रवेश किया और तुरंत बैठ गया - इस ढंग से कि कोई मेरे ओलीवर और रोलैंड में विघ्न न डाल सके और मुझे देख न सके; यह विश्वास करते हुए कि वे अकेले थे, उन्होंने अपनी बाँहें प्यारपूर्वक एक-दूसरे के गले में डालकर बातचीत शुरू की।

“पलपेटे!” लंबे ने कहा, "क्योंकि अब हम हाथ में चाकू लेकर एक-दूसरे से मिलने वाले हैं - तुम यहाँ, मैं वहाँ...एक दो... संभालो अपने आपको... ट्रिज, ट्रिज...लो, इसको संभालो... और इसको जो जी में आए हो... आओ, पहले कुछ पैसे संगीत पर खर्च करके गाने सुनें। "

“सीनोट बलबेजा, ” पलपेटे ने सफाई से चाकू का रुख एक तरफ करते हुए जूतों की सुंदरता देखते हुए कहा, "मैं इस प्रकार का आदमी नहीं हूँ कि जोरजा या उसकी तरह के सांसारिक मामले या फिर मेरी लोहे की जबान मेरे शरीर में हैं, या मेरा गला कटा हुआ है या ऐसी ही कोई दूसरी छोटी-मोटी बात है, जिससे बलबेजा जैसे मित्र को उकसाया या खिजलाया जाए। शराब आ जाने दो, फिर हम गाएँगे; उसके पश्चात् रक्त—कटार की मूठ तक रक्त! "

ऑर्डर दे दिया गया। उन्होंने गिलास खनखनाए और एक-दूसरे को देखते हुए सेलवियन गीत गाए ।

इसके बाद उन्होंने अपने चोगे शान से उतारकर फेंके और चाकुओं को नंगा किया, जिनसे एक-दूसरे पर वार करना था । एक के पास सफेद दस्तेवाला फ्लेमिश चाकू था और दूसरे के पास मूठ पर ढकना चढ़ा गाडेक्स। दोनों के फल चमक रहे थे; पेट और आँतों को काटने के लिए कम और मोतियाबिंद को काटने के लिए अधिक घिसकर तेज किए गए थे। वे कई बार अपने चाकुओं से हवा को चीर चुके थे। उनके चोगे बाएँ बाजू में लिपटे हुए थे-पहले पास-पास, फिर पीछे को । और अब अधिक साहसी उछाल के साथ पलपेटे ने विवादार्थ झंडा लहराया और कहा, "बलबेजा, मेरे मित्र, मैं तुमसे अनुग्रह की भीख माँगता हूँ कि अपने जुइलोन चाकू से मेरे चेहरे पर चोट न करना, क्योंकि वह मेरे चेहरे को इस तरह चीर देगा कि मुझे पैदा करनेवाली मेरी माँ भी मुझे पहचान नहीं सकेगी और मैं कुरूप कहलाना भी नहीं चाहता; न ही यह ठीक जँचता है कि जिसको परमात्मा ने अपने अनुरूप बनाया है, उसे नष्ट किया जाए ।

" मान लिया, ” बलबेजा ने उत्तर दिया – “तुम्हारे निचले भाग पर चोट करूँगा।"

“मेरे पेट को छोड़कर, क्योंकि मैं हमेशा स्वच्छता का मित्र रहा हूँ। मैं अपने को गंदा होता नहीं देख सकता, यदि तुम्हारे हाथ और चाकू ने मेरे जिगर और आँतों से बुरा खेल खेला।"

"मैं ऊपर वार करूँगा, परंतु आओ, अब शुरू करें। "

"मेरी छाती का ध्यान रखना, यह हमेशा दुर्बल रही है।"

" फिर तुम ही मुझे बताओ, मित्र, मैं तुम्हें कहाँ मारूँ?"

“मेरे प्यारे बलबेजा, एक व्यक्ति को आघात पहुँचाने के लिए काफी समय और स्थान होता है । यहाँ मेरे बाएँ बाजू पर मांस की गाँठ है, तुम उससे जैसा चाहो मांस बना सकते हो।"

“तो उसके लिए यह लो।" बलबेजा ने कहा और तीर की तरह उसपर झपटा, दूसरे ने अपने चोगे से बचाव किया और दोनों ने कुशल लिखनेवालों की तरह 'एस' को ढूँढ़ते हुए, चाकुओं की चोटों से, बिना त्वचा के एक कण को छोड़ते हुए हवा में हस्ताक्षर किए।

मैं नहीं जानता कि मार-काट का अंत क्या होता, क्योंकि मेरा धार्मिक, शुष्क और संकुचित व्यक्तित्व इस योग्य नहीं था कि दो लड़नेवालों के बीच चिल्लाहट का बिंदु बन सकता और यह जानने के लिए कि क्या हो रहा है, शराबखाने के मालिक ने कोई कष्ट नहीं उठाया, क्योंकि पैरों की टकटक तथा बरतनों और स्टूलों के गिरने की आवाज को दबाने के लिए गिटार पर लोक संगीत को जितना ऊँचा कर सकता था, कर दिया था, अन्यथा वह ऐसा शांत था, जैसे दो मूर्तिमान शैतानों की बजाय दो फरिश्तों का मन बहला रहा हो ।

मैं नहीं जानता, मैं दोहराता हूँ कि इस दृश्य का अंत कैसे होता जब एक श्रेष्ठ व्यक्ति देहली पार करके नाटक के विकास में भाग लेने के लिए आया । मैं कहता हूँ, बीस-बाईस वर्ष की एक महिला— शरीर से संकीर्ण, धृष्टता और सुंदरता में अतुल्य, साफ-सुथरे जूते और जुराब, कमरबंद लगा छोटा काला फड़फड़ाता पेटीकोट, सिर का पहनावा अथवा गरदन के पिछले भाग पर आपस में पकड़ी हुई चील-सिल्क की झालरदार बड़ी ओढ़नी, जिसका किनारा कंधे को ढके हुए था - कूल्हे मटकाती, हाथ लटकाए और सिर को इधर-उधर घुमाती मेरी आँखों के सामने से गुजरी, जैसे वह अपने चारों ओर देखती हो।

उसको देखकर शराबखाने के मालिक ने अपना साज रख दिया और मुझे ऐसी व्याकुलता ने घेर लिया जिसका अनुभव मुझे गत तीस वर्षों में नहीं हुआ था ( अंत में मैं केवल मांस और रक्त ही तो हूँ), परंतु इन आकृतियों के लिए न रुकते हुए वह युद्धक्षेत्र की ओर बढ़ गई।

जब यह सब उत्साहपूर्वक चल रहा था — डॉन पलपेटे और डॉन बलबेजा ने डोना गोरजा को प्रकट होते देखा, जो गड़बड़ी और भावी विजय के लिए पारितोषिक का पहला कारण थी, तो उन्होंने बनावटी आक्रमणों को, हिलने-डुलने को, उछालों और घावों को, झुकने और अवरोधों को, बाल तक को बिना छुए बढ़ा दिया। हमारी हैलन ने चुपचाप देर तक इस ऐतिहासिक दृश्य को नारीसुलभ प्रसन्नता के साथ देखा, जैसे ईव की बेटियाँ ऐसे दोषग्राही अवसरों का आनंद लेती हैं, परंतु धीरे-धीरे उसकी सुंदर भौंहों पर पसीना आने लगा, जब तक उसने अपने कोमल कान से फू ल या बाली नहीं, बल्कि सिगार का हूँठ नहीं निकाला और उसको लड़ाकुओं में नहीं फेंका। स्पेन के गत मल्लयुद्ध में चार्ल्स पंचम की छड़ी ने ऐसा अनुकूल प्रभाव नहीं डाला था। दोनों औपचारिक आदर के साथ तुरंत आगे आए और हर एक ने अपने व्यक्तित्व और कपड़ों की व्याकुलता के आधार पर उस पदवी के लिए अनुमान लगाया, जिससे वह फड़फड़ानेवाले कपड़ोंवाली सुंदरी के सामने अपनी प्रशंसा कर सकें। भले ही वह चिंताग्रस्त थी उसका ध्यान हथियारों के चलने के ढंग पर था । उसने दृढ़ निश्चय के साथ कहा-

"क्या यह सब मेरे लिए हैं?"

'और किसके लिए होगा ? न मेरे लिए... न किसी और के लिए...।" उन्होंने उसी अंदाज में उत्तर दिया ।

“सुनो, सज्जनो!” उसने कहा, "स्त्रियाँ, जैसीकि मैं हूँ और मेरे अवयवों, आकर्षण और कुलीनता— ला गुतसा की पुत्री, ला मेंडीज की भतीजी और ला अल्ट्रोसा की पोती — के लिए यह समझ लो कि इस प्रकार के इकरारनामे, सट्टे या इस तरह की व्यर्थ की चीजों की कोई कीमत है क्या? जब आदमी एक- दूसरे को ललकारते हैं तो चाकू को अपना काम करने दो, लाल रक्त को बहने दो, ताकि मेरी माँ की बेटी को दूसरे पर अवज्ञापूर्वक अपनी अंगुलियाँ चटकाकर तोड़ने का अवसर न मिले। यदि तुम मेरे लिए लड़ने का बहाना करते हो तो यह झूठ है। तुम आधी नहीं, पूरी गलती करते हो। मैं तुम दोनों में से किसी को प्यार नहीं करती। जोफरा का मिंगलारिपोस मेरी रुचि का है और वह तथा मैं तुम्हें घृणा और अपमान से देखते हैं। नमस्कार, मेरे बहादुरो, यदि तुम चाहो तो मेरे आदमी से पूछताछ कर सकते हो।"

वह बोली, थूका और पलपेटे तथा बलबेजा के चेहरों को भरपूर देखते हुए अपने जूते की नोक पर लार को साफ किया और वैसी ही चाल से बाहर चली गई जिस चाल से प्रवेश किया था ।

दोनों सादे दंभियों ने अपनी आँखों से साहसी डोना गोरजा का पीछा किया। फिर घृणित भाव से अपने कफों से चाकुओं को निकाला, जैसे उस रक्त को पोंछ रहे हों जो निकला नहीं था और उनको म्यानों में डाला। दोनों ने साथ-साथ कहा, "औरतों के द्वारा संसार नष्ट हो गया, औरतों के द्वारा स्पेन नष्ट हो गया, परंतु इसका कभी पता नहीं चला। न अल्हाओं या भाँडों ने बताया, न अंधे भिखारियों ने गाया; न ही उसको चौराहों एवं बाजारों में सुना और दो बहादुरों ने दूसरे प्रेमी के लिए एक-दूसरे को मार डाला। "

"मुझे घूँसा मारो, डॉन पलपेटे!"

"तुम्हारा हाथ, डॉन बलबेजा!"

उन्होंने बात की और सड़क की ओर चल दिए - चल दिए संसार में दो श्रेष्ठ मित्रों की तरह और ऐसी चंचलता पर हैरान होने के लिए मुझे छोड़ गए !

(अनुवाद: भद्रसेन पुरी)

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