अनाथ बालक : सिक्किम की लोक-कथा

Anath Balak : Lok-Katha (Sikkim)

यह कहानी बहुत समय पहले की है। एक गाँव में एक बालक जंगपो रहता था। उसके माता-पिता का देहांत हो चुका था और वह अपने चाचा-चाची के साथ रहता था। चाचा-चाची जो कहते, वह वैसा ही करता। वह बहुत ही सीधा और आज्ञाकारी बालक था। सवेरे से शाम तक बिना शिकायत के वह घर-बाहर का काम करता। सवेरे वह गायों के लिए घास काटने जाता। खाना खाने के बाद दिन के समय बैल-बकरियों को चराने के लिए जंगल में जाता। एक दिन जंगल में उसकी एक गाय खो गई, उसने गाय को आसपास बहुत खोजा, पर उसे गाय कहीं नहीं मिली। अंत में हार मान वह घर लौट आया। उसके चाचा-चाची को जैसे ही गाय खोने की खबर मिली, उन्होंने तुरंत उसे गाय खोज लाने को कहा और आदेश दिया कि जब तक गाय उसके हाथ नहीं लगती, वह घर वापस नहीं आ सकता। अपनी खोई गाय को खोजते-खोजते नदी, नाले, जंगल को पार करते हर ओर गाय की तलाश की, पर गाय कहीं हाथ नहीं लगी।

निराश होकर अंत में वह एक पेड़ के नीचे बैठ गया। रात हो चुकी थी, पर घर लौटना उसके लिए संभव नहीं था, इसलिए वहीं पेड़ के नीचे बैठे-बैठे उसे झपकी आने लगी। मध्य रात्रि में उसे एक भयानक ध्वनि सुनाई दी, जिसके कारण वह जाग गया। उसने देखा, एक राक्षस उसकी ओर बढ़ा चला आ रहा है, डर के मारे प्राण उसके निकलने लगे। उसने सोचा, वह साँस रोक लेगा, ताकि राक्षस उसे मरा जानकर छोड़ जाएगा। राक्षस ने पास आकर उसे अपने कंधों पर उठा लिया और अपनी गुफा में ले आया। उसे वहाँ छोड़कर वह बाहर चला गया। उसने भयभीत होकर गुफा के चारों ओर देखा। जहाँ उसने एक कोने में ताजा मानव का मृत शरीर देखा, वहीं दूसरे कोने में उसने बहुत भारी मात्रा में सोना, चाँदी और मोती देखे। राक्षस के आने का भय उसके मन में था, उसने जल्दी से कुछ सोना, चाँदी और मोती उठा लिये और वहाँ से भाग निकला।

इसके बाद बहुत ही कम समय में जंगपो ने अपने जीवन में प्रगति की। आसपास, विशेषकर उसके चाचा-चाची उसकी समृद्धि देखकर जल-भुन जाते। एक बार दोनों ने मिलकर उसकी समृद्धि के रहस्य को जानना चाहा। जंगपो ने बिना कोई बात छिपाए सारी घटना कह सुनाई। लालच में आकर उसके चाचा एक शाम जंगल को निकले। उन्होंने उसी पेड़ के नीचे विश्राम करने की सोची, जहाँ जंगपो ने किया था। आधी रात को राक्षस वैसे ही आया। चाचा ने भी मरे हुए व्यक्ति सा नाटक किया। जबकि राक्षस बहुत क्रोध में था कि कैसे एक बालक उसे छलकर उसकी संपत्ति को लेकर भाग सकता है? ‘यह आदमी फिर मेरे साथ वैसा नाटक कर मुझे लूटना चाहता है, इसलिए मैं इसे दुबारा वह मौका नहीं दूँगा’, कहकर उसने चाचा को वहीं मौत के घाट उतार दिया। उस दानव ने उस दिन मानव मांस से अपनी भूख को शांत किया।

(साभार : डॉ. चुकी भूटिया)

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