अमा - बूबू की मन की बात (पहाड़ी भाषा कहानी) : श्याम सिंह बिष्ट

Amma - Bubu Ki Man Ki Baat (Pahari Bhasha) : Shyam Singh Bisht

अमा - बूबू की मन की बात (पहाड़ी भाषा कहानी) श्याम सिंह बिष्ट

आज बुबु,अमा एकांत अपने बड़े से घर के आंगन मैं बैठे हुए थे, आज उनके घर का आंगन सुनसान सा मालूम दिखाई पड़ रहा था। मैं जैसे ही बुबु के घर पहूचा -
बुबु बोले - आ रे नातिया कदु दिनक छूटी लयर छे ?
मेरा जवाब- बुबु पैला, आम काछु ? दिखाई नी दिराय,
बुबु - नातिया, बायव हगे पाणी लियूह जै रै नह ।
मेरा जवाब- अच्छा, बुबु मि लै बार, पंद्रह दिनक छुटी ऐ रि ।
बुबु - ठीक हय, बाखई मैं ब्या छी, ये लिजी आनलेह ?
मेरा जवाब - होय बुबु, सब ठीक ठाक है गो ।
बूबू- ठीक हय ।
मेरा जवाब - बुबु - नानतिन, दाद, बोऊज, दिखाई नि दि राय ? का जरी ?
बुबु - थोड़ा उदास होते हूऐ - अब तीगें के बतू नाति, ऊ नातिनागें ली बे लेह गो ।
मेरा जवाब- हाय की ले बुबु के झकर, मार, पथोंर, है छो के ?
बुबु - अरे नातिया कस बुलारण छे, तू ले य ब्याव पड़ी, मी अब बुड़याव क़ाव यस करूल के ।
मेरा जवाब - ना बुबु म्यर कुरणक यस मतलब नी छी । तली पनाह स्कूल तो बन्द है गी अब तो ऊ जुलाई मां खुलालल नानतिन बड़ जल्दी लह गि ।
बुबु- अरे नातिया मिल तो कअ, गोपिह (बुबु जी का लड़के का नाम ) आलेए जबेए के करछे तली पनाह गर्म बहुत है रो, नातिन ओर बवाइर तब तक येए हापि रूनी, य पहारक ठंड़, हाव,पाण खै जाल, पर म्यर को सूनू । गोपियल लै बवारिक हाथ पकड़ छ फलअ, फलअ लैह पड़ी ।
मेरा जवाब - बुबु थोड़ा दिन रुक जा छीया तो भोलह हूं छी, तमर ओर आमक मन नातिनक मां लाग जा छि । उसी लै बार,बार उण जारण कां है पाआं ।

इसी बीच अमा नह से पानि ले कर आ रही थी ।
मैंने कहाँ - अमा पैला तबियत ठीक छ: ?
अमा - ज्यूँ जा नातिया, होय ठीक छूउ । बैठ चहा पि जा लै ।
बुबु - ओर नातिया कस मौसम है रो ? तली पनाह ?
मेरा जवाब - बुबु गर्म है रो, आज कल ।
इसी बीच अमा चाय लाते हूऐ,
अमा - अब नाती तिगें के बतू, मिलअ कअ गोपीही, नातिनग ओर बवाईर को येँ छोड़ जा, जब ईनार स्कूल खुल जाल तब अजेअ ईनूगूअ लिहूअ पर य गोपियल म्यर एक बात लै नि मानिअ ।
मेरा जवाब - पर अमा तमर बात किलेअ नि मानि ?
अमा - कूउ रो ईपनाह के कराल, तली पनाह इनर tution लगे दयूल किताब पराल, ओर तो ओर मिकेल अब रवाट लै नि बनन ।
अमा - अब नातिया तू बता हम ऊनोगें कसि रोक छि ?

इसी बीच बुबु बोलते हूऐ - छोड़ नातिया इन बातोंगें, उनार नानतिन हापी करनी जे करनी, हम अब पाँच, छह साल ओर ज्यूँऊल, वै बाद घर आल या नि आल उनर मर्जी । तू चहा पी, चीनी ठीक हर छ चहा मै ?
मेरा जवाब - होय ।

मैंने अमा बुबु को पैला किया और चल दिया, ओर सोचा क्या हमारे पास अपने मां-बाप के लिए इतना भी वक्त नहीं है कि हम एक, दो महीने उनके पास आकर रह सके ?

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