अलकैमिस्ट : चीनी लोक-कथा

Alchemist : Chinese Folktale

एक बार की बात है कि चाँग एन जगह में चिया ज़ू लुंग नाम का एक आदमी रहता था। वह एक बहुत बड़ा विद्वान था। एक दिन उसने एक बड़ा सभ्य सा दिखायी देने वाला अजनबी देखा। उसने उसके बारे में पूछताछ की तो पता चला कि वह कोई मिस्टर चेन था जो बड़ी मुश्किल में रह रहा था।

चिया उसके घर गया और अपना कार्ड अन्दर भिजवाया पर वह उससे मिल न सका। वह उस समय घर से बाहर गया हुआ था। ऐसा तीन बार हुआ। आखिर चिया ने किसी आदमी को कह कर रखा कि वह उसके घर की निगरानी करे और उसे बताये कि कि मिस्टर चेन कब घर पर था।

इसके बाद भी चेन अपने मेहमान को बुलाने के लिये नहीं आया। तब चिया को ही उसके घर के अन्दर जाना पड़ा और उसको बाहर लाना पड़ा।

दोनों में बातचीत शुरू हुई और जल्दी ही एक दूसरे के पहचान वाले हो गये। दोनों ने एक दूसरे को मोह लिया।

चिया ने एक नौकर को शराब खरीदने के लिये पास की शराब की दूकान पर भेजा। मिस्टर चेन एक भला साथी साबित हुआ और जब शराब करीब करीब खत्म हो गयी तो वह एक बक्से की तरफ गया उसमें से कुछ शराब के प्याले निकाले और एक बहुत सुन्दर जेड का बड़ा सा प्याला निकाला।

उसने एक छोटे प्याले से बड़े वाले प्याले मे एक प्याला शराब पलटी तो वह बड़ा वाला प्याला तुरन्त ही ऊपर तक भर गया। तब उन्होंने उस बड़े प्याले से अपने आप ही ले ले कर शराब पी। पर वे उसमें से कितनी भी शराब निकालते मगर उस प्याले की शराब तो खत्म होती नजर नहीं आती।

चिया तो यह देख कर दंग रहा गया। उसने मिस्टर चेन से विनती की कि वह इसका राज़ उसे बता दे।

मिस्टर चेन बोले — “आह। मैं तुमसे मिलने के लिये इसी लिये बचता रहा क्योंकि तुममें एक बहुत बड़ी बुराई है और वह यह कि तुम बहुत बड़े लालची हो। यह कला जो मैं इस्तेमाल करता हूँ यह केवल अमर लोगों को ही मालूम है। तो इसे मैं तुम्हें कैसे बता सकता हूँ।”

चिया फिर बोला — “यह तुम मेरे साथ गलत कर रहे हो कि तुम मुझे लालची कह रहे हो। तो गरीब लोग तो हमेशा से ही लालची होते हैं।”

मिस्टर चेन हँसे और उस दिन के लिये उससे विदा ली पर उस दिन के बाद वे हमेशा साथ ही रहे। सारा काम वे एक साथ करते थे। चिया को जब भी पैसे की जरूरत होती तो मिस्टर चेन अपना काला पत्थर लाते कुछ जादू पढ़ते और किसी भी टाइल या ईंट से उसे रगड़ते तो वह चाँदी में बदल जाती।

यह चाँदी वह चिया को दे देते और वह बस उतनी ही होती जितनी कि चिया को जरूरत होती – न तो कम न ज़्यादा। और अगर कभी चिया और माँगता तो मिस्टर चेन उसको उसके लालचीपने पर एक भाषण दे देते।

आखिर एक दिन चिया ने उस पत्थर को लेने का प्लान बनाया। एक दिन जब मिस्टर चेन शराब पी कर धुत पड़े सो रहे थे तो उसने उसे उनके कपड़ों में से निकालने की कोशिश की। पर मिस्टर चेन को तुरन्त ही पता चल गया। वे बोले कि उस समय से उनकी दोस्ती खत्म और वह वह जगह छोड़ कर चले गये।

इस घटना के एक साल बाद चिया एक दिन नदी के किनारे घूम रहा था कि वहाँ उसने एक बहुत सुन्दर पत्थर देखा। यह पत्थर वैसा ही था जैसा कि मिस्टर चिया के पास था। उसने उसको एकदम पहचान लिया और उसे उठा कर उसको अपने घर ले गया।

कुछ दिन बीत गये कि अचानक मिस्टर चेन चिया के घर आये और चिया को बताया कि उस पत्थर में इतनी ताकत थी कि वह किसी भी चीज़ को सोने में बदल सकता था। वह उनको एक ताओ पुजारी ने बहुत पहले कभी दिया था जब वह उस पुजारी के शिष्य थे। अफसोस फिर मुझसे वह खो गया पर दैवीय ताकत ने मुझे बता दिया कि वह वहाँ है तो अगर तुम उसको मुझे ला कर दे दोगे तो मैं तुम्हारी मेहरबानियों का बदला चुका दूँगा।”

चिया बोला — “तुम्हें दैवीय ताकत ने ठीक बताया है। वह पत्थर मेरे पास है। अगर तुमको याद हो तो गरीब कुआन चुंग ने अपने दोस्त पाओ शू की सम्पत्ति बाँटी थी।”

मिस्टर चेन को इशारा मिल गया था। यह सुन कर वह बोले — “मैं तुम्हें उसके लिये 100 औंस चाँदी दूँगा।”

चिया बोला — “ठीक है यह तो अच्छा प्रस्ताव है।” और उसने उनसे कहा कि वह उसको जितनी जल्दी से जल्दी हो सके वह जादू सिखा दे जिसको पढ़ कर वह उससे खुद सोना बना सके।”

पर मिस्टर चेन को डर लग रहा था। इस पर चिया बोला — “तुम तो खुद अमर हो। तुमको तो पता होना चाहिये कि मैं एक दोस्त को कभी धोखा नहीं दूँगा।”

सो मिस्टर चेन को वह जादू उसे बताना पड़ा। तब चिया उसे एक बहुत बड़े कपड़े धोने वाले पत्थर पर आजमाने के लिये ले गया। जब वह उसको उस पत्थर पर आजमाने जा ही रहा था जो वहीं पास में ही पड़ा हुआ था तो मिस्टर चेन ने उसका हाथ पकड़ लिया और विनती की कि वह इतना बड़ा काम न करे।

तब चिया ने एक ईंट उठायी और उसको उस कपड़े धोने के पत्थर पर रखा और मिस्टर चेन से कहा — “मुझे लगता है कि यह छोटा सा टुकड़ा तो कोई ज़्यादा नहीं है।”

सो मिस्टर चेन ने उसके हाथ पर से अपनी पकड़ ढीली कर ली और चिया को वह करने दिया जो वह करना चाहता था। बस चिया ने उस आधी ईंट को तो अनदेखा कर दिया और जल्दी से वह काला पत्थर जादू के शब्द पढ़ कर कपड़े धोने वाले पत्थर पर मल दिया।

जब मिस्टर चेन ने चिया को यह करते देखा तो वह तो पीले पड़ गये और उससे वह काला पत्थर छीनने के लिये उसकी तरफ दौड़े। पर तब तक तो बहुत देर हो चुकी थी। वह कपड़े धोने वाला पत्थर तो खालिस ठोस चाँदी का बन चुका था। चिया ने चुपचाप वह पत्थर मिस्टर चेन को वापस दे दिया।

मिस्टर चेन ने करीब करीब रोते हुए कहा “उफ़ अब क्या करें? अगर धरती के किसी आदमी को इतनी सारी सम्पत्ति अचानक ही दे दी जाये तो उसके लिये भगवान मुझे जरूर ही सजा देगा। ओह काश तुम मुझे बचा सकते। तुम ऐसा करो कि 100 ताबूत और 100 सूट बनवा कर दान में दे दो।”

चिया बोला — “दोस्त। पैसा पाने का मेरा उद्देश्य कंजूस की तरह उसको इकठ्ठा कर के रखना नहीं था।”

मिस्टर चेन को यह सुन कर बड़ी तसल्ली सी हुई। अगले तीन सालों में चिया ने उस पैसे से खूब व्यापार किया। उसने मिस्टर चेन से किया गया अपना वायदा निभाया।

तीन साल के बाद मिस्टर चेन फिर से चिया के पास आये और चिया का हाथ पकड़ कर उससे कहा — “ओ मेरे अच्छे दोस्त तुम वाकई विश्वास करने लायक हो।

जब हम लोग अलग हुए थे तब “खुशी की आत्मा” ने मुझे भगवान के सामने बहुत बेइज़्ज़त किया था और मेरा नाम देवदूतों की लिस्ट से निकाल दिया गया था पर क्योंकि अब तुमने मेरी विनती मान ली है तो भगवान ने मेरी वह सजा माफ कर दी है। जैसे तुमने शुरू किया था अब तुम वैसे ही बिना रुके करते रहो।” चिया ने मिस्टर चेन से पूछा कि स्वर्ग में उसका क्या काम था। यानी वह वहाँ क्या करता था।

मिस्टर चेन बोले — “मैं तो वहाँ केवल एक लोमड़ा था जो अपनी पापरहित ज़िन्दगी की वजह से सत्य को साफ तरीके से पहचान सका था जो अमरता की तरफ ले जाता है।”

उसके बाद शराब मँगवायी गयी। दोनों दोस्तों ने उसे आनन्द ले कर एक साथ बैठ कर पिया जैसे पहले पिया करते थे। चिया जब तक 90 साल का भी हो गया तब तक भी वह लोमड़ा उसके घर आता रहा।

(साभार सुषमा गुप्ता जी, जिन्होंने लोक-कथाओं पर उल्लेखनीय काम किया है.)

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