अक्लमन्द भेड़िया : इथियोपिया की लोक-कथा
Akalmand Bhediya : Ethiopia Folk Tale
एक समय की बात है कि इथियोपिया के एक जंगल में एक शेर रहता था। समय गुजरता गया तो वह शेर बूढ़ा होता गया और साथ में कमजोर भी होता गया।
अब उसको शिकार करने में कठिनाई होने लगी। धीरे धीरे उसकी यह कठिनाई इतनी बढ़ी कि अब उसको खाना खाये बिना कई कई दिन गुजर जाते।
इस भूख से बचने के लिये एक दिन उसके दिमाग में एक तरकीब आयी जिससे उसको घर बैठे खाना मिल सकता था। उसने चारों तरफ यह अफवाह उड़ा दी कि शेर बहुत बीमार है और वह अपने बिस्तर से उठ भी नहीं सकता।
यह खबर तो बहुत बड़ी खबर थी। अब क्या था जंगल के सभी जानवर निडर हो कर शेर को देखने के लिये आने लगे। इधर जो कोई भी जानवर शेर को देखने जाता, शेर मौका देख कर उसको मार कर खा जाता।
एक सुबह एक भेड़िया भी बीमार शेर को देखने के लिए गया। पर वह गुफा के अन्दर नहीं गया। उसने शेर जी को भी बाहर से ही सलाम करके उनकी कुशल पूछी।
शेर बीमार की सी आवाज में बोला "अरे कौन है भाई? क्या तुम भेड़िये हो? आओ भाई अन्दर आ जाओ। मेरी तबियत तो बहुत दिनों से खराब चल रही है।"
भेड़िये ने कहा - "नहीं शेर जी, मैं अन्दर नहीं आ पाऊंगा। आप मुझे वहीं से अपना हाल बता दें।"
शेर ने कई बार उससे पूछा भी कि वह अन्दर क्यों नहीं आ पायेगा और कई बार उसे प्रेम से अन्दर बुलाने की कोशिश भी की परन्तु भेड़िया अन्दर नहीं गया।
उसको शेर की नीयत पर शक हो चुका था इसलिए वह शेर के कई बार बुलाने पर भी गुफा के अन्दर नहीं गया और इस तरह उसने अपनी जान बचायी।
क्या तुमको मालूम है कि भेड़िये ने अपनी जान कैसे बचायी?
भेड़िये ने देखा कि शेर की गुफा में जानवरों के जाते हुए पैरों के निशान तो थे पर बाहर आते पैरों के किसी के निशान नहीं थे। बस वह समझ गया कि जो भी जानवर अन्दर गया वह बाहर नहीं आया।
इसलिये अगर वह भी गुफा के अन्दर गया तो वह भी बाहर नहीं आ पायेगा। इसलिए वह अन्दर गया ही नहीं और इस तरह उसने अपनी जान बचायी।
(साभार : सुषमा गुप्ता)