आबोतानी और जोंक (गालो जनजाति) : अरुणाचल प्रदेश की लोक-कथा
Abotani Aur Jonk : Folk Tale (Arunachal Pradesh)
प्राचीन काल में आबोतानी ने दोयी मुमी से शादी करने से पहले ओयोर (काँटेदार शाक-सब्जी), पजक (चिड़िया), तातिक (मेढक ) और कोसुक (सूखे पत्ते) से शादियाँ कीं। सबसे पहले उन्होंने ओज्योर से शादी की। ओज्योर उन्हें हमेशा मछली आदि पानी से मिलनेवाले स्वादिष्ट भोजन खिलाती रहती थी। आबोतानी के पूछने पर भी कि 'तुम इतनी सारी मछलियाँ हमेशा कहाँ से लाती हो ?' ओञ्योर कोई जवाब नहीं देती थी। इस बात को जानने के लिए ही जब एक दिन ओञ्योर सब्जी लेने जंगल जा रही थी तो आबोतानी ने उसका पीछा किया। उस समय आबोतानी ने देखा कि रास्ते में एक जगह ओयोर द्वारा नदी के किनारे पेशाब करने पर उसके पेशाब के जहर से नदी की मछली, झींगा, आदि सब मरने लगती हैं। उन्हीं मरे हुए मछली, झींगा को ओब्योर अपने घर ले जाती हैं और आबोतानी को खिलाती है। इस बात से आबोतानी ओज्योर से बहुत नाराज हो गए और उसे उन्होंने छोड़ दिया। उसके बाद ओर भी जंगल में चली गई। यही कारण है कि आज भी मनुष्य जब हिबोक (नदी में बाँध बनाकर मछली पकड़ना) करते हैं तो उसमें ओज्योर के बीज को पीसकर पानी में डालते हैं, जिससे उसके जहर से मछली, झींगा आदि मर जाते हैं या बेहोश हो जाते हैं।
ओयोर को छोड़ने के बाद आबोतानी ने पजक (चिड़िया) से शादी की। पजक का बनाया हुआ खाना बहुत ही स्वादिष्ट होता था । आबोतानी ने पजक से स्वादिष्ट भोजन बनाने का राज पूछा तो पजक ने भी जवाब नहीं दिया। फिर एक दिन आबोतानी ने सोने का अभिनय करके चुपचाप देखा तो पजक खाने के बरतन में बैठकर वहाँ अपनी पूँछ को लकड़ी से हिला रही थी। इसे देखकर आबोतानी क्रोधित हो गए और उन्होंने पजक को भी छोड़ दिया।
उसके बाद फिर उन्होंने तातिक (मेढक ) से विवाह किया। तातिक हमेशा शाम को खेतों पर से लौटकर आबोतानी को इक (घास साफ करनेवाला औजार) बनाने के लिए कहती थी। एक बार आबोतानी ने सोचा कि यह मुझे हमेशा इक बनाने के लिए कहती रहती है, इतने सारे इक का वह करती क्या है ? इसका पता लगाना चाहिए। यह पता लगाने के लिए एक दिन आबोतानी तातिक को खेती के लिए जाने देकर उसके पीछे-पीछे गए और झाड़ियों के पीछे छिपकर देखा तो तातिक इक से घास को साफ न करके उसे पत्थर पर घिस रही थी । आबोतानी इसे देखकर तातिक पर जब गुस्सा हुए, तो वह मेढक बन पानी में फुदक गई । यही कारण है कि मेढक आज भी पानी में ही रहते हैं।
मेढक को छोड़ने के बाद आबोतानी ने फिर कोसुक (सूखा एक्काम पत्ता) से विवाह किया। को से विवाहोपरांत उसने जोंक को जन्म दिया। उस कोसुक के पास अपने बच्चे को पिलाने के लिए दूध नहीं था, इसलिए जोंक हमेशा रोता रहता था। इससे परेशान होकर आबोतानी ने अपने घुटने को काटकर जोंक को अपना खून पिला दिया।
गालो जनजाति में जोंक को भी आबोतानी का बच्चा मानते हैं। आबोतानी द्वारा अपने घुटने को काटकर जोंक को अपना खून पिलाए जाने के कारण ही आज भी जोंक मनुष्य का खून चूसते हैं।
(साभार : पेयिर कारगा)