आँख के अंदर चिड़िया : ओड़िआ/ओड़िशा की लोक-कथा
Aankh Ke Andar Chidiya : Lok-Katha (Oriya/Odisha)
एक राजा के पास सास-बहू पहुँचीं। दोनों ने राजा से एक पहेली पूछी। उन्होंने राजा से कहा, आप इस पहेली का उत्तर दे देंगे तो हम चले जाएँगे। मगर आप उत्तर नहीं दे पाए तो फिर हम जो चाहेंगे आपको वह देना होगा। राजा तैयार हो गए।
बहू ने पूछा, “आँख के अंदर चिड़िया
दोनों सास-बहू ने देखा
राजा के घर का यह धँधा
मर्द पड़ा है बँधा।”
राजा ने पंडितों से इस पहेली का अर्थ पूछा। पर कोई भी इसका जवाब नहीं दे पाया। तब राजा बहू से बोले, “तुम अपनी पहेली का उत्तर बता दो और बदले में जो वर माँगना है माँगो, हम देने को तैयार हैं।”
तब बहू पहेली का अर्थ बताते हुए बोली, “मेरा पति आपका बंदी है। मैं और मेरी सास ही घर में हैं। एक दिन नहाते समय मैंने तालाब के पास एक मरे हुए भैंसे की खोपड़ी पड़ी हुई देखी। उस खोपड़ी के अंदर एक 'शुइ' चिड़िया ने अंडा दिया है। उसी दृश्य को देखकर मैंने इस पहेली को हुज़ूर से पूछा। अब मेरे पति को आप ज़िंदा रखें चाहे मार दें।” राजा ने ख़ुश होकर उसके पति को बंदीगृह से मुक्त कर दिया।
(साभार : ओड़िशा की लोककथाएँ, संपादक : महेंद्र कुमार मिश्र)