आलसी बेटे : इथियोपिया की लोक-कथा
Aalsi Bete : Ethiopia Folk Tale
कई साल पुरानी बात है कि इथियोपिया के एक गाँव में एक किसान अपने छह बेटों के साथ रहता था। वह किसान बहुत दुखी था क्योंकि उसके छहों बेटे बहुत ही कामचोर और निकम्मे थे। किसान तो रोज अपने काम पर जाता था पर उसके सब बेटे घर पर ही रहते थे।
वे सुबह देर तक सोते रहते, या कभी किसी के घर चले जाते, या सारे दिन खेलते रहते और इसी तरह अपना समय बरबाद करते रहते। वे पैसा तो खर्च करना चाहते थे पर कमाना नहीं चाहते थे। यह सब देख देख कर किसान बहुत दुखी और चिन्तित रहता था।
धीरे धीरे वह आदमी बूढ़ा हो चला पर उसके बेटे न सुधरे। एक बार वह बीमार पड़ गया। वह बिस्तर पर पड़ा पड़ा अपने खेतों के बारे में सोचता रहा।
बारिश का मौसम शुरू होने वाला था। खेतों को गोड़ना था, फिर उसमें बीज बोना था।
पर किसान तो बीमार था, वह तो यह सब कुछ कर नहीं सकता था और उसके बेटों के तो यह सब करने का सवाल ही पैदा नहीं होता था। इसलिये वह दिन रात चिन्ता में घुलता रहा।
डाक्टरों ने जवाब दे दिया तो एक सुबह उसने अपने बेटों को बुलाया और कहा - "मेरे बेटों, मैं एक बूढ़ा आदमी हूं। कई हफ्तों से बीमार पड़ा हूं। डाक्टर कहते हैं कि मेरे बचने की अब कोई उम्मीद नहीं है। मैंने अपनी सारी सम्पत्ति अपने खेतों में गाड़ दी है। मेरे मरने के बाद उसे निकाल कर तुम सब उसे आपस में बाँट लेना।"
सबसे बड़े बेटे ने तुरन्त पूछा - "कहाँ पिता जी?"
पर किसान उसके इस सवाल का जवाब देने से पहले ही मर गया।
सारे बेटे अपने पिता की सम्पत्ति चाहते थे सो पिता का अन्तिम संस्कार करने के बाद वे सभी खेतों में पहुंच गए। अब उन्हें किसी खास जगह का तो पता था नहीं कि उनके पिता ने अपनी सम्पत्ति कहाँ गाड़ी है सो वे सभी फावड़े ले कर खेत को खोदने में जुट गये।
रात दिन मेहनत करके उन्होंने अपने सारे खेत खूब गहरे गहरे खोद डाले पर जब उन्हें कहीं कुछ नहीं मिला तो वे बहुत निराश हुए और अपने पिता पर अपना गुस्सा निकालने लगे।
इतने में सबसे बड़े बेटे ने देखा कि सारे खेत खुद चुके हैं और सोना मिला नहीं है तो उसने सोचा कि क्यों न घर में रखी तैफ़ ही इनमें बो दी जाये।
सो अनमने मन से वे लोग घर गये और तैफ़ के बीज ला कर खेतों में बिखेर दिये। पर क्योंकि सभी आलसी और निकम्मे थे इसलिये वे महीनों तक अपने खेतों की तरफ गये ही नहीं।
परन्तु खेत इतनी अच्छी तरह खुद चुके थे कि उनको अब किसी तरह की देखभाल की जरूरत ही नहीं थी। कुछ महीनों बाद फसल तैयार हो गयी तो पड़ोसियों ने उनको खबर दी कि उनके खेतों में तो बहुत ही बढ़िया फसल तैयार खड़ी है। वे जा कर उसे काट लायें।
छहों भाई जब फसल काटने पहुंचे तो सचमुच ही उनके खेत की फसल तो आसपास के खेतों की फसल से कहीं ज़्यादा अच्छी थी। खुशी खुशी वे उसको काट कर बाजार में बेचने के लिए ले गये तो उनको अपने अनाज के और किसानों से भी सबसे ज़्यादा दाम मिले।
क्योंकि खेतों में खुदाई बहुत अच्छी हुई थी इसलिए फसल भी बहुत अच्छी हुई और उसके पैसे भी खूब अच्छे आये।
अब उनकी समझ में आया कि उनके पिता के कहने का क्या मतलब था।
अब वे खूब मेहनती हो गये थे और अपनी मेहनत के बल पर वे खूब फले फूले।
(साभार : सुषमा गुप्ता)