आलू और बैगन सुंदरी (बाल कहानी) : सुमित्रानंदन पंत

Aaloo Aur Baigan Sundari (Hindi Story) : Sumitranandan Pant

एक खरगोश था। उसका नाम था- आलू। सब लोग उसे चिढ़ाते थे- कैसा अजीब नाम है, आलू। आलू तो तरकारी होती है। आलू बेचारा रोने लगता। एक खरगोश उसे नहीं चिढ़ाता था। एक दिन आलू ने उससे उसका नाम पूछा तो उसने कहा, ‘मेरा नाम बैगन सुंदरी है।’

आलू को हँसी आ गई, ‘अरे, कैसा अजीब नाम है? बैगन तो तरकारी होती है। काली-कलूटी, छिः छिः’

बैगन सुंदरी यह सुनकर रोने लगी। उसे रोते देख आलू को बुरा लगा। उसने बैगन सुंदरी से कहा, ‘रोती क्यों हो? हम दोनों के नाम तरकारी के हैं। आओ, हम लोग दोस्त बन जाएं। बाकि खरगोशों को चिढ़ाने दो। उनका ही मुंह थकेगा और वे चुप हो जाएंगे।’ आलू लड़का था, बैगन सुंदरी लड़की थी। दोनों ने कहा—‘हम लोग शादी कर लेते हैं। साथ-साथ रहेंगे।’

दोनों की शादी धूमधाम से हो गई। शहनाई बजी और आतिशबाजी छोड़ी गई। ढेरों बराती आए। फूलों से सजे मण्डप में दूल्हा-दुल्हन बैठे और सात फेरे लिए गए। फिर सबने खूब मिठाइयां खाईं। चिढ़ानेवाले खरगोशों ने तो इतनी अधिक मिठाइयां खाई कि उनसे बैठा ही नहीं गया। वे वहीं पर सो गए। अब और खरगोशों ने उन्हें सोने नहीं दिया। उन्हें खूब चिढ़ाया और कहा कि पहले दूल्हा-दुल्हन के पैर छुओ तब सोने देंगे। बेचारों ने, लाचार होकर, उनके पैर छुए और धीमे से कहा, ‘माफ करना, अब कभी नहीं चिढ़ाएंगे।

बैगन सुंदरी आलू के घर आ गई। आलू के घर में भीड़ बहुत थी। रात होने तक मेहमान अपने-अपने घर चले गए। आलू और बैगन सुंदरी बहुत थक गए थे। मेहमानों के जाते ही वे मिट्टी की चारपाई पर सो गए। दूसरे दिन उन्होंने अपना घर अच्छा बना लिया। घर की खूब सफाई की, न गंदगी रहने दी और न मकड़ी के जाले। आलू बाजार से चारपाई, गद्दा- चादर, तकिया और मसहरी खरीद लाया। अब रात को वे लोग मसहरी लगी चारपाई पर सोने लगे। उन्हें बहुत बढ़िया सपने आते थे – फूल, तितली, परी, चिड़िया, चंदा मामा, सूरज मामा, तारे और भगवान जी स्वप्न में दिखते थे।

एक दिन वे सो रहे थे। उनको सपना आया कि उनके तीन सुंदर बच्चे हो गए हैं। वे तीनों भूखे हैं, रो रहे हैं। एक बच्चे की नीली आंखें हैं, एक की गुलाबी आंखें हैं और एक की भूरी आंखें हैं। तीनों बच्चों के सफेद बाल हैं, जैसे कि बर्फ। दोनों की नींद टूट गई। उन्होंने देखा कि उनकी चारपाई पर सचमुच के बच्चे हैं। वे बहुत खुश हो गए। उन्होंने बच्चों को प्यार किया और उनके लिए बढ़िया खाना लाए।

सवेरा होने पर आलू बच्चों के लिए कपड़े लाया। तीनों बच्चे लड़कियां थीं। बैगन सुंदरी ने तीनों के लिए फ्रॉक सी दिए। गुलाबी आंख वाली बच्ची के लिए गुलाबी फ्रॉक बनाया, नीली आंख वाली के लिए नीला फ्रॉक बनाया और भूरी आंख वाली के लिए भूरा फ्रॉक बनाया। तीनों फ्रॉकों में गोटा लगा दिया। फ्रॉक चमकने लगे।

आलू ने गुलाबी आंख वाली बच्ची का नाम रखा मीना, नीली आंख वाली बच्ची का नाम रखा मीनू और भूरी आंख वाली बच्ची का नाम रखा सना। तीनों बच्चियां आपस में खूब खेलती थीं। एक दूसरे से प्यार करती थीं, लड़ती नहीं थीं। उनको खेल देखकर बैगन सुंदरी और आलू खुश होते थे। बच्चियों के साथ उन्हें बहुत अच्छा लगता था। उनके दिन खुशी से बीतने लगे।

(कहानी संग्रह : आलू और बैगन सुंदरी 'से'
साभार : सुमिता पंत)

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