आधी रात का स्वप्न (नाटक कहानी के रूप में) : विलियम शेक्सपियर
A Midsummer Night's Dream (English Play in Hindi) : William Shakespeare
एथेंस नगर में एक सनकी राजा राज्य करता था। उसका स्वभाव बड़ा विचित्र था। यही कारण था कि उसके राज्य के नियम-कानून भी बड़े विचित्र थे । उसके राज्य में यह कानून था कि युवा होने पर कोई भी लड़की कुंवारी नहीं रहेगी। उसे उसके पिता की पसंद के लड़के के साथ विवाह करना होगा । पिता उसका विवाह जिसके साथ चाहे कर सकता था। लड़की की इच्छा या अनिच्छा का कोई महत्त्व नहीं था । जो लड़की इस कानून को मानने से इनकार करेगी या इसका उल्लंघन करेगी, उसे फाँसी पर लटका दिया जाएगा।
मृत्यु के भय से अनेक लड़कियों ने पिता की पसंद के लड़कों के साथ खुशी-खुशी विवाह कर लिये । लेकिन कुछ लड़कियाँ ऐसी भी थीं, जिन्होंने इस प्रकार विवाह करने से इनकार कर दिया । उनकी प्राणरक्षा के लिए पिता ने कोई शिकायत नहीं की । उन्होंने पुत्रियों की पसंद को अपनी पसंद बना लिया।
परंतु एक दिन दरबार में एक ऐसा व्यक्ति उपस्थित हुआ, जो राजा के पास अपनी पुत्री की शिकायत लेकर आया था। उसने राजा को प्रणाम किया और गुहार लगाते हुए बोला, “महाराज, मेरी एक पुत्री है हर्मिया । मैंने बड़े लाड़-प्यार से उसका पालन-पोषण किया है। अब वह विवाह योग्य हो गई है। मैंने उसके लिए डिमिट्रियस नामक एक युवक का चयन किया था, परंतु उसने मेरी पसंद को ठुकरा दिया । वह लाइसेंडर नामक युवक से प्रेम करती है और उसी के साथ विवाह करना चाहती है । इसलिए आप उसे दंडित करें, जिससे मेरे मन को शांति मिल सके।"
राजा ने हर्मिया को बुलवाया। सैनिक उसे दरबार में ले आए। राजा ने पूछा, "हर्मिया, तुम्हारे पिता ने तुम्हारे विवाह के लिए एक योग्य वर का चयन किया है । फिर क्यों तुम उसे ठुकरा रही हो? क्या तुम नहीं जानतीं कि इस राज्य के कानून के अनुसार पुत्री को पिता की पसंद के युवक के साथ विवाह करना पड़ता है। यदि वह ऐसा नहीं करती तो उसे फाँसी पर लटका दिया जाता है ।"
हर्मिया बोली,“महाराज, पिताजी ने मेरे जिस युवक का चयन किया है, वह हेलेना नामक लड़की से प्रेम करता है। जब वह मुझसे प्रेम ही नहीं करता तो मैं उसके साथ विवाह कैसे कर सकती हूँ? मैं लाइसेंडर से प्रेम करती हूँ और उसी के साथ विवाह करना चाहती हूँ। वह भी मुझसे प्रेम करता है और विवाह के लिए तैयार है। यदि उसके साथ मेरा विवाह नहीं हुआ तो मैं जीवन भर कुँवारी रहना पसंद करूँगी।”
राजा उत्तेजित हो गया, "हर्मिया, प्रेम में अंधी होने के कारण तुम्हारी सोचने-समझने की शक्ति खत्म हो गई है। इसलिए तुम ऐसी बात कर रही हो । मैं तुम्हें तीन दिन का समय देता हूँ, डिमिट्रियस से विवाह कर लो, वरना फाँसी पर लटकने के लिए तैयार रहो।" दरबार से निकलकर हर्मिया सीधे लाइसेंडर के पास पहुँची और उसे सारी बात बताई। वह सोच में पड़ गया। कुछ गहरे सोच-विचार के बाद आखिरकार उसे एक उपाय सूझा।
वह उछलते हुए बोला, "हर्मिया, तुम चिंता मत करो। मुझे एक उपाय सूझा है। यदि हम उसके अनुसार चलेंगे तो शीघ हमारा विवाह हो जाएगा और तुम फाँसी की सजा से भी बच जाओगी।"
“सच! ऐसा क्या उपाय है, जिससे हमारा विवाह संभव हो सकता है? जल्दी बताओ, हमें क्या करना होगा?' "हर्मिया ने उत्सुकता प्रकट करते हुए पूछा।
"इस नगर की सीमा पर एक जंगल है। उसे पार करते ही दूसरे राज्य की सीमा आरंभ हो जाती है। वहाँ के नियम और कानून हमारे विवाह में बाधा नहीं डालेंगे। वहाँ मेरी एक मौसी रहती हैं। हम दोनों उन्हीं के पास चलेंगे और वहीं जाकर विवाह करेंगे ।"
लाइसेंडर एक ही साँस में सब बोल गया।
“ठीक है, हम दोनों आज ही एथेंस छोड़कर वहाँ चले जाएँगे ।"हर्मिया ने स्वीकृति देकर उसकी बात पर मुहर लगा दी।
और फिर उसी रात आँखों में भविष्य के सपने सँजोए दोनों प्रेमी दूसरे राज्य की ओर चल पड़े।
संयोगवश उसी रात डिमिट्रियस भी अपनी प्रेमिका हेलेना के साथ वन-भ्रमण के लिए उस जंगल में आया हुआ था। वे जहाँ भ्रमण कर रहे थे, उससे कुछ ही दूरी पर परियों के राजा ओबेरोन का निवास था । उसकी पत्नी का नाम टिटैनिया था। उस दिन किसी बात पर रूठकर टिटैनिया कहीं चली गई थी। ओबेरोन व्याकुल होकर उसके लौटने की प्रतीक्षा में बाहर नजरें गड़ाए था।
बाहर वन-भ्रमण के दौरान हेलेना और डिमिट्रियस बहुत थक गए, इसलिए एक- दूसरे के आगे-पीछे होकर चलने लगे। ओबेरोन उन्हें देखकर सोचने लगा कि शायद वे एक-दूसरे से रूठे हुए हैं, इसलिए कोई ऐसा उपाय करना चाहिए जिससे वे फिर एक हो जाएँ । उसने उसी समय पंक नामक परी को याद किया । परी प्रकट हुई।
वह परी बड़ी चंचल और शरारती थी। लोगों को मूर्ख बनाने और तंग करने में उसे बहुत आनंद आता था। अकसर वह ग्वालिनों के दूध के मटकों में मेढक का रूप धारण कर बैठ जाती। ग्वालिनें जब दूध पलटने के लिए मटका खोलतीं तो वह टर्राते हुए तेजी से बाहर की ओर छलाँग लगाती । तब भयभीत होकर ग्वालिनें मटके छोड़ देतीं और सारा दूध बिखर जाता। इस प्रकार शरारतों से वह सबको परेशान करती थी।
उसने ओबेरोन से पूछा कि उसे क्यों बुलाया है? वह उसे हरे रंग के द्रव्य की एक शीशी देते हुए बोला, “पंक परी, इस शीशी को सँभालकर अपने पास रखो। यह सम्मोहित करनेवाला द्रव्य है । यदि इसे किसी सोते हुए मनुष्य की दाईं आँख पर लगा दिया जाए तो जागने पर वह जिसे सबसे पहले देखेगा, उस पर मोहित हो जाएगा। पंक, इस समय डिमिट्रियस नामक एक युवक अपनी प्रेमिका हेलेना के साथ वन-भ्रमण पर है। ऐसा लगता है, किसी बात को लेकर उनमें मनमुटाव हो गया है। तुम इस द्रव्य की एक बूँद सोते हुए डिमिट्रियस की दाईं आँख पर लगा दो। जागने पर जब वह हेलेना को देखेगा तो उसके मन में प्यार का स्रोत फूट पड़ेगा । परंतु ध्यान रहे, हेलेना को इस बात का पता न चल पाए।"
"परंतु मैंने तो डिमिट्रियस को देखा नहीं है। मैं उसे कैसे पहचानूँगी?"
"उसने सुनहरे और हरे रंग के वस्त्र पहन रखे हैं । तुम उसे आसानी से पहचान लोगी। अब देर मत करो, जल्दी जाकर अपना काम पूरा करो।" ओबेरोन ने आदेश दिया।
पंक परी शीशी लेकर डिमिट्रियस को ढूँढ़ने चल पड़ी। वह उस स्थान पर पहुँच गई, जिस दिशा से लाइसेंडर और हर्मिया ने जंगल में प्रवेश किया था। थक जाने के कारण वे दोनों एक वृक्ष के नीचे सो रहे थे। लाइसेंडर ने भी सुनहरे और हरे रंग के वस्त्र पहन रखे थे। परी ने उसी को डिमिट्रियस समझकर उसकी दाईं आँख पर वशीकरण द्रव्य लगा दिया।
इधर, संयोगवश डिमिट्रियस और हेलेना एक-दूसरे से बिछड़ गए। भटकते-भटकते हेलेना भी उस स्थान पर पहुँच गई, जहाँ लाइसेंडर सो रहा था। कदमों की आहट से लाइसेंडर की नींद टूट गई और उसने उस ओर देखा जिस ओर से हेलेना आ रही थी । द्रव्य के प्रभाव के कारण वह हेलेना को देखते ही उस पर आसक्त हो गया। उसके मन में हेलेना के लिए प्रेम उमड़ आया और उसे प्रेम भरे स्वर में पुकारने लगा।
हेलेना और लाइसेंडर एक-दूसरे को पहले से ही जानते थे। आज तक वह उसे न जाने कितने अपशब्दों से पुकारता आया था। उसकी नजर में वह एक तुच्छ और नीच युवती थी । इसलिए उसके मुँह से अपने लिए ऐसे प्रेम भरे शब्द सुनकर वह विस्मित रह गई। उसने सोचा कि लाइसेंडर उसका मजाक उड़ा रहा है। इसलिए वह उसे आवारा और बेशर्म कहकर वहाँ से चल दी।
द्रव्य का प्रभाव निरंतर बढ़ रहा था । इसके फलस्वरूप लाइसेंडर मन में हेलेना के लिए प्यार बढ़ता जा रहा था। था। वह दीवानों की तरह उसके पीछे चल पड़ा।
इधर, हर्मिया की आँख खुली तो उसने इधर-उधर देखा, लाइसेंडर कहीं दिखाई नहीं दिया । जंगल में स्वयं को अकेला पाकर वह भयभीत हो गई और उसे ढूँढ़ते हुए उसी दिशा में चल पड़ी जिस ओर हेलेना व लाइसेंडर गए थे।
एक वृक्ष के पीछे छिपी पंक परी सारी घटना का भरपूर आनंद ले रही थी। हँस-हँसकर उसके पेट में बल पड़ रहे थे। सबके जाने के बाद वह ओबेरोन के पास पहुँची और अपनी हँसी पर काबू पाते हुए बोली, “महाराज, यह द्रव्य वास्तव में बहुत चमत्कारी और प्रभावशाली है। इसके प्रभाव से हरे वस्त्रवाला युवक पास सोई हुई युवती को छोड़कर दूसरी युवती के पीछे दीवाना बना घूम रहा है। जबकि वह युवती गालियाँ देते हुए उससे दूर भाग रही है। मुझे जिंदगी में इतना आनंद कभी नहीं आया।"
ओबेरोन कुछ देर के लिए सोच में पड़ गया। फिर बोला, "पंक परी, तुम्हारी बातों से लगता है कि इस समय वन में प्रेमियों के दो जोड़े हैं, जिन्होंने एक जैसे कपड़े पहने रखे हैं । अवश्य तुमने किसी गलत व्यक्ति की आँख पर द्रव्य लगा दिया है। मैं दो प्रेमियों को मिलाने का प्रयास कर रहा था, लेकिन लगता है कि तुमने दूसरे जोड़े को भी अलग कर दिया। अब तुम जल्दी से जाओ और दोनों जोड़ों के बीच में सुलह करवाकर आओ।"
आदेश पाते ही परी वहाँ से चली गई। इस बार वह सोते हुए डिमिट्रियस के पास पहुँची और उसकी दाईं आँख पर सम्मोहित करनेवाला द्रव्य लगा दिया।
उधर, लाइसेंडर से बचने के लिए हेलेना तेजी से उस दिशा की ओर भाग रही थी, जिधर डिमिट्रियस सोया पड़ा था। उसके पीछे दीवानों की तरह लाइसेंडर भाग रहा था और लाइसेंडर के पीछे हर्मिया थी। तीनों एक-एक कर डिमिट्रियस के पास पहुँच गए। तभी डिमिट्रियस की आँख खुली और उसने हेलेना को अपनी ओर आते देखा। वह हेलेना से प्यार करता था, लेकिन द्रव्य के प्रभाव के कारण वह उसे और अधिक चाहने लगा । उसने बाँहें फैला दीं और दीवानों की तरह बोला, "प्रिय, प्राणप्यारी! तुम कहाँ चली गई थीं? तुम्हारे बिना एक - एक पल काटना मुझे कितना मुश्किल लग रहा था । आओ, मेरी बाँहों में समा जाओ। मैं तुमसे बहुत प्रेम करता हूँ ।"
सहसा हेलेना के कदम थम गए। आज तक उसके मुँह से उसने कभी ऐसी बातें नहीं सुनी थीं। वह आश्चर्यचकित थी। एक ओर उसे गँवार और नीच समझनेवाला लाइसेंडर दीवानों की तरह उसके पीछे आ रहा था, दूसरी ओर डिमिट्रियस असभ्य शब्द बोलते हुए उसे बाँहों में लेने के लिए पागलों की तरह आतुर था। दोनों के विपरीत व्यवहार को देखकर वह सोच में पड़ गई।
तभी उसे हर्मिया दिखाई दी। उसने सोचा कि शायद उसने उसका उपहास उड़ाने के लिए लाइसेंडर को उसके पीछे लगाया था और स्वयं पीछे-पीछे तमाशा देखने आ गई थी। यह सोचकर वह क्रोध में भर गई और उसने हर्मिया को चुटिया पकड़कर नीचे गिरा दिया । हेलेना को देखकर हर्मिया ने सोचा कि वही लाइसेंडर को बहकाकर अपने साथ ले गई थी, इसलिए वह भी गुस्से में भरकर उससे लड़ने लगी।
उधर, डिमिट्रियस ने लाइसेंडर को हेलेना के पीछे आते देखा तो गुस्से से उसका चेहरा लाल हो गया। उसने सोचा कि हेलेना को छेड़कर वह उसकी हँसी उड़ा रहा है। उसने उसे दंडित करने के लिए तलवार निकाल ली और उसे युद्ध के लिए ललकारा। लाइसेंडर भी तलवार लेकर मैदान में कूद पड़ा । हेलेना को कोई और प्यार भरे शब्दों से पुकारे, यह बात लाइसेंडर को चुभ गई। यह सब उस द्रव्य का ही प्रभाव था, जो परी ने उनकी आँखों पर लगाया था। दोनों आपस में उलझ गए।
आकाश में खड़ी पंक परी यह सारा दृश्य देख रही थी । हँस-हँसकर उसका बुरा हाल हो रहा था । ऐसी घटना उसने कभी नहीं देखी थी। वह तेजी से उड़कर राजा ओबेरोन के पास पहुँची और हँसते हुए बोली, “चलिए महाराज, मैं आपको मुर्गों की लड़ाई दिखाती हूँ । उसे देखकर आप भी हँसते-हँसते लोट-पोट हो जाएँगे।"
“तुम इतनी हँस क्यों रही हो? और किस लड़ाई की बात कर रही हो? " ओबेरोन ने उत्सुकतावश पूछा।
"महाराज, आपने मुझे जिन प्रेमी जोड़ों के पास भेजा था, वे आपस में बुरी तरह से झगड़ रहे हैं।" पंक परी ने कहा।
ओबेरोन उसे डपटते हुए बोला, “पंक, तुम्हें इस प्रकार की शरारतें शोभा नहीं देतीं। मैंने तुम्हें प्रेमी जोड़ों में सुलह करवाने के लिए भेजा था और तुम उन्हें लड़वा आईं। अब मैं जैसा कहता हूँ, वैसा करो। दोनों युवकों में एक युवक का नाम लाइसेंडर है, जो हर्मिया से प्रेम करता है। दूसरा युवक डिमिट्रियस हेलेना का दीवाना था। लेकिन तुम्हारी गलती के कारण लाइसेंडर हर्मिया को छोड़कर हेलेना का दीवाना हो गया है। पंक, तुम जल्दी से जाओ और अदृश्य रहकर वहाँ संगीत की मधुर स्वर लहरियाँ बिखेर दो। इससे मोहित होकर वे लड़ना छोड़ देंगे और नाचने लगेंगे। नाच-नाचकर जब वे थककर सो जाएँ, तब तुम दोनों की बाइऔ आँख पर दिव्य द्रव्य लगा देना। इससे वे द्रव्य के सम्मोहन से मुक्त हो जाएँगे और पहले की तरह अपनी-अपनी प्रेमिकाओं को प्यार करने लगेंगे। ध्यान रहे, इस बार कोई गलती मत करना ।"
पंक परी आज्ञा का पालन करने चली गई ।
इसके बाद ओबेरोन उदास मन से टिटैनिया के महल की ओर चल पड़ा। उस समय वह शाही बाग में एक झूले के ऊपर लेटी हुई थी। आस-पास दासी परियाँ लोरियाँ गाते, चँवर डुलाते हुए उसे सुलाने की कोशिश कर रही थीं। ओबेरोन ने भौरे का रूप धरा और एक फूल के ऊपर बैठकर लोरी सुनता रहा। कुछ देर बाद टिटैनिया को नींद आ गई।
इतने में ओबेरोन को परीलोक का एक शेखचिल्ली दिखाई दिया, जो पास ही एक वृक्ष के नीचे सो रहा था। ओबेरोन को एक शरारत सूझी। उसने दिव्य द्रव्य की कुछ बूँदें टिटैनिया की दाई आँख पर लगा दीं। फिर उसने शेखचिल्ली के सिर को गधे के सिर में बदल दिया । फिर उसने ऐसी व्यवस्था कर दी कि नींद से उठते ही टिटैनिया की नजर सबसे पहले शेखचिल्ली पर पड़े।
थोड़ी देर बाद टिटैनिया ने आँखें खोलीं और शेखचिल्ली को देखा । द्रव्य के प्रभाव के कारण वह उस पर मोहित हो गई। उसने दासियों से कहा, "देखो, देवलोक से कितना सुंदर पुरुष यहाँ आकर सो रहा है। इसका मुख चंद्रमा की तरह चमक रहा है, कान सूर्य की किरणों जैसे सुनहरे हैं। इसे देखकर मेरे मन में प्रेम का सागर उमड़ रहा है।" एक गधे के लिए टिटैनिया का प्रेम देखकर आसपास खड़ी दासियाँ मंद-मंद मुस्काराने लगीं।
द्रव्य के प्रभाव से टिटैनिया के मन में शेखचिल्ली के लिए प्रेम बढ़ता गया । तभी वह 'ढेंचू-ढेंचू' करने लगा। टिटैनिया खुश होते हुए बोली, “वाह! यह दिखने में जितना सुंदर है, इसकी आवाज उतनी ही मधुर है । इसने चारों ओर रस की स्वर-लहरियाँ बिखेर दी हैं । जाओ और इसे आदर सहित लेकर मेरे पास आओ। इसे पाकर मैं स्वयं को धन्य समझँगी।”
अभी तक तो दासियाँ इसे मजाक समझकर हँस रही थीं। लेकिन जब टिटैनिया ने गधे को लाने का हुक्म दिया तो वे आश्चर्य से भर उठीं। फिर भी रानी की आज्ञा थी, इसलिए वे गधे को सम्मानपूर्वक वहाँ ले आईं।
टिटैनिया ने आगे बढ़कर गधे को चूम लिया और उसके सिर को गोद में रखकर प्यार करने लगी। ओबेरोन ने शेखचिल्ली पर ऐसा जादू कर दिया था कि वह गधे की तरह सोचने लगा, उसी के समान व्यवहार करने लगा। इसलिए टिटैनिया ने शेखचिल्ली से भोजन के बारे में पूछा तो वह बोला, "मुझे भोजन में हरी घास और चने की दाल चाहिए। मुझे यही पसंद है ।"
दासियों ने उसके भोजन का प्रबंध कर दिया। भोजन करने के बाद शेखचिल्ली की फरमाइश पर वे उसकी पीठ खुजलाने लगीं। फिर उसे टाट के कपड़े पहनाए गए। सब कामों से निबटकर शेखचिल्ली टिटैनिया की गोद में सिर रखकर सो गया। उसे देखकर टिटैनिया को भी नींद आ गई।
ओबेरोन अदृश्य रूप से यह सारा घटनाक्रम देख रहा था। हँसी से उसका हाल बुरा था। दोनों के सोते ही उसने शीघ्रता से रानी की बाईं आँख पर द्रव्य लगा दिया।
कुछ देर बाद जब टिटैनिया की नींद खुली तो अपनी गोद में गधे का सिर देख वह भयभीत हो गई। तभी ओबेरोन प्रकट हुआ और हँसते हुए बोला, "यह क्या कर रही हो, रानी ? मुझे छोड़कर किससे प्यार कर रही हो?" टिटैनिया घबराकर उठ खड़ी हुई और गधे को जोर से एक लात मारी।
ओबेरोन पुनः हँसते हुए बोला, "मेरी रानी, मेरी कसम खाकर कहो कि अब तुम मुझसे कभी नहीं रूठोगी? "
"कसम खाती हूँ कि आज के बाद मैं आपसे कभी नहीं रूठूँगी।"टिटैनिया ने दोनों कानों को पकड़कर कहा। इसके बाद ओबेरोन ने उन्हें सारी बात बताई, जिसे सुनकर हर कोई हँसने लगा।
इतने में पंक परी भी दोनों प्रेमी जोड़ों को लेकर वहाँ आ गई। ओबेरोन ने उन्हें अपना अतिथि बनाया। रात भर सब खान-पान और नाच-गान में डूबे रहे ।
अगले दिन सब अपनी-अपनी मंजिल की ओर चल पड़े। सबको ऐसा लग रहा था मानो उन्होंने आधी रात का कोई सपना देखा हो ।
(रूपांतर - महेश शर्मा)