आलसी लड़की और उसकी चाचियाँ : आयरिश लोक-कथा
A Lazy Girl and Her Aunts : Irish Folktale
एक समय की बात है कि एक गरीब विधवा अपनी एक सुन्दर सी बेटी के साथ रहती थी। उसकी बेटी थी तो दिन के उजाले जैसी सुन्दर पर वह आलसी बहुत थी जब कि वह स्त्री खुद बहुत ही मेहनती थी।
वह स्त्री हमेशा यही चाहती थी कि उसकी बेटी भी उसी की तरह से मेहनती बने परन्तु सब बेकार। उसके मुँह से तो शब्द भी इतनी मुश्किल से निकलते थे मानो उनको भी निकलने में आलस आ रहा हो।
एक दिन वह स्त्री अपनी बेटी को उसके आलसी होने पर डाँट रही थी कि उधर से एक राजकुमार अपने घोड़े पर सवार निकला। वह बोला — “लगता है माँ जी कि आपके घर में कोई खराब बच्चा है जो जिसको आप इतना डाँट रहीं हैं नहीं तो इतनी सुन्दर लड़की को तो कोई इस तरह नहीं डाँट सकता।”
स्त्री बोली — “योर मैजेस्टी, बिल्कुल नहीं। मैं तो बल्कि इस लड़की को इतना ज़्यादा काम करने से मना करने की कोशिश कर रही थी।
आप शायद विश्वास नहीं करेंगे कि यह एक दिन में तीन पौंड तक रुई कात लेती है, अगले दिन उस सूत का कपड़ा बुन लेती है और तीसरे दिन उस कपड़े की कमीजें बना लेती है।”
यह सुन कर तो राजकुमार की आँखें फटी की फटी रह गयीं। वह बोला — “अच्छा? तब तो यह लड़की मेरी माँ को बहुत पसन्द आयेगी क्योंकि मेरी माँ भी सूत बहुत जल्दी कातती हैं।
माँ जी, आप ऐसा कीजिये कि अपनी बेटी को मेरे घोड़े पर मेरे पीछे बिठा दीजिये। मेरी माँ इसको देख कर बहुत खुश होगी और हो सकता है कि एकाध हफ्ते में वह इससे मेरी शादी भी कर दे अगर आपकी बेटी राजी होगी तो।” भेद खुलने का डर भी था और रानी बन जाने की खुशी भी, सो उन दोनों को यह समझ में नहीं आ रहा था कि वे क्या करें परन्तु फिर भी उस लड़की की माँ ने अपनी बेटी को राजकुमार के घोड़े पर उसके पीछे बिठा दिया और राजकुमार उसको ले कर अपने घर चल दिया।
राजकुमार स्त्री को काफी धन दे कर उस लड़की को वहाँ ले गया।
लड़की के जाने के बाद उसकी माँ बहुत परेशान हुई कि कहीं उसकी बेटी के साथ कुछ बुरा न हो जाये। राजकुमार ने रास्ते में उससे कई सवाल किये पर उनसे उसको उस लड़की के बारे में किसी खास बात का पता नहीं चल सका।
उधर रानी ने जब राजकुमार के पीछे एक देहाती लड़की को घोड़े पर बैठे देखा तो वह भी सकते में आ गयी लेकिन जब रानी ने उसका सुन्दर मुखड़ा देखा और उसके कामों के बारे में सुना तब उसे कुछ तसल्ली सी हुई।
इसी समय राजकुमार ने अपनी माँ के कान में फुसफुसा दिया कि अगर वह लड़की राजी हो गयी तो वह उससे शादी भी कर सकता है।
शाम गुजर गयी और राजकुमार और वह लड़की जिसका नाम ऐन्टी था आपस में एक दूसरे को चाहने लगे। परन्तु ऐन्टी कातना बुनना आदि कामों के बारे में तो सोच कर ही काँप उठती थी।
रात को जब सोने का समय आया तो रानी उसको एक बहुत ही सुन्दर सजे हुए कमरे में सुलाने के लिये ले गयी। जब वह वहाँ से जाने लगी तो ऐन्टी से बोली — “बेटी, तुम इस रुई का सूत कातना। कल सुबह के बाद तुम इसे कभी भी शुरू कर सकती हो और यह सूत तुम मुझे परसों सुबह दे देना।”
रानी तो यह कह कर चली गयी परन्तु ऐन्टी को रात भर नींद नहीं आयी। वह रात भर यही सोच सोच कर रोती रही कि उसने अपनी माँ की सलाह मान कर यह सब काम क्यों नहीं सीखा।
सुबह होने पर उसे एक कमरे में अकेले बिठा दिया गया और उसे एक बहुत ही बढ़िया किस्म का चरखा दे दिया गया।
कपास भी बहुत बढ़िया थी और चरखा भी परन्तु उसका धागा तो बार बार टूट जाता था। कभी वह बहुत बारीक आता और कभी बहुत मोटा।
क्योंकि ऐन्टी ने तो सूत कभी काता ही नहीं था इसलिये उससे सूत कत ही नहीं रहा था। आखिरकार ऐन्टी ने तंग हो कर चरखा एक तरफ खिसका दिया और रोने लगी।
इतने में एक बड़े पैरों वाली छोटी बुढ़िया उसके सामने प्रगट हुई और बोली — “बेटी तुम्हें क्या दुख है?”
ऐन्टी बोली — “मेरे सामने यह इतनी सारी कपास पड़ी है इस सबका सूत कात कर मुझे कल सुबह तक देना है और मुझसे तो एक गज सूत भी नहीं काता जा रहा है।”
बुढ़िया बोली — “जब तुम्हारी शादी होगी तो क्या तुम मुझे बुलाओगी? अगर तुम ऐसा करो तो रात को जिस समय तुम सो रही होगी तुम्हारा यह सारा सूत कत जायेगा।”
लड़की बोली — “ठीक है। मैं तुमको अपनी शादी पर आने के लिये अभी से बुलावा देती हूँ और वायदा करती हूँ कि मैं तुमको ज़िन्दगी भर नहीं भूलूँगी।”
बुढ़िया बोली — “ठीक है। तुम शाम तक अपने कमरे में ही रहो और शाम को जब रानी आये तो उससे कहना कि वह सुबह आ कर अपना सूत ले जा सकती है।”
ऐसा ही हुआ। अगले दिन सुबह रानी ने जब सूत देखा तो उसको देख कर बहुत खुश हुई और बोली — “कल तुम इस सूत का कपड़ा बुनना।”
बेचारी ऐन्टी इस बार पहले से भी ज़्यादा परेशान थी क्योंकि उसको तो कपड़ा बुनना भी नहीं आता था और वह राजकुमार को खोना नहीं चाहती थी।
यही सोचती वह परेशान सी बैठी थी कि एक भारी कमर वाली छोटी सी स्त्री उसके सामने प्रगट हुई और उससे पहले वाली बुढ़िया की तरह सौदा किया कि अगर वह उसको अपनी शादी में बुलायेगी तो रात भर में उसके सूत का कपड़ा बुन जायेगा।
ऐन्टी ने उसको विश्वास दिलाया कि वह उसको अपनी शादी में जरूर बुलायेगी। ऐन्टी ने हाँ कर दी तो वह उससे बोली कि वह आराम करे और रात भर में उसका कपड़ा बुन जायेगा। और अगले दिन सुबह जब वह लड़की उठी तो उसके लिये तो बहुत ही बढ़िया कपड़ा बुन कर तैयार था।
अगले दिन सुबह रानी ने जब कपड़ा देखा तो वह तो बहुत ही खुश हो गयी। वह बोली — “बेटी अब तुम आराम करो कल मुझे इस कपड़े की कमीजें बना कर और दिखा देना। तुम एक कमीज मेरे बेटे को भी दे सकती हो, बस फिर तुम्हारी और राजकुमार की शादी हो जायेगी।”
अगले दिन तो ऐन्टी बहुत ही परेशान थी। वह राजकुमार के जितनी पास थी उतनी ही दूर भी थी। पर आज वह उतना घबरा नहीं रही थी क्योंकि उसको विश्वास था कि आज भी उसकी परेशानी दूर करने के लिये कोई न कोई आ ही जायेगा। वह दोपहर तक शान्ति से इन्तजार करती रही।
दोपहर बाद उसके सामने एक बड़ी लाल नाक वाली स्त्री प्रगट हुई और उसने भी उससे पहली दोनों स्त्रियों की तरह ही सौदा कर के उसकी बारह कमीजें सिल कर मेज पर तह कर के रख दीं। सुबह जब रानी आयी तो उन कमीजों को देख कर बहुत खुश हुई।
अब तो बस दोनों की शादी की ही बात होने लगी। शादी बहुत ही शानदार ढंग से हुई। ऐन्टी की माँ भी आयी हुई थी। रानी के मुँह पर केवल ऐन्टी की कमीजों की ही तारीफ थी। तभी एक पहरेदार ने आ कर ऐन्टी से कहा “राजकुमारी जी, आपकी चाची अन्दर आना चाहती हैं।”
ऐन्टी तो यह सुन कर घबरा गयी कि यह उसकी कौन सी चाची आ गयी क्योंकि उसकी जानकारी में तो उसकी कोई चाची थी ही नहीं।
वह अपनी उन तीनों स्त्रियों को बिल्कुल ही भूल गयी थी जिन्होंने उसको रुई कातने में, फिर उस सूत का कपड़ा बुनने में और फिर उनकी कमीजें बनाने में सहायता की थी।
पर राजकुमार बोला — “उनको कहो कि ऐन्टी का कोई भी रिश्तेदार हम लोगों के पास कभी भी आ सकता है।”
सो बड़े पैरों वाली एक स्त्री आयी और राजकुमार के पास आ कर बैठ गयी। बड़ी रानी को यह अच्छा नहीं लगा पर उसका कुशल मंगल पूछने के बाद रानी ने पूछा — “मैम, क्या मैं पूछ सकती हूँ कि आपके ये पैर इतने बड़े क्यों हैं?”
वह स्त्री बोली — “मैं ज़िन्दगी भर चरखे पर खड़े हो कर सूत कातती रही हूँ न, इसी लिये।”
यह सुन कर राजकुमार ऐन्टी से बोला — “प्रिये, मैं तो अबसे तुम्हें कभी सूत कातने ही नहीं दूँगा।”
तभी एक पहरेदार ने फिर आ कर ऐन्टी से कहा “राजकुमारी जी, आपकी कोई दूसरी चाची अन्दर आना चाहती हैं।”
राजकुमार फिर बोला — “उनसे कहो कि ऐन्टी का कोई भी रिश्तेदार हम लोगों के पास कभी भी आ सकता है।”
फिर एक भारी कमर वाली स्त्री आयी और आ कर बैठ गयी। रानी ने उसकी भी कुशल मंगल पूछने के बाद उससे पूछा — “मैम, क्या मैं पूछ सकती हूँ कि आपकी कमर बीच में से इतनी चौड़ी क्यों है?”
वह स्त्री बोली — “रानी जी, मैं सारी ज़िन्दगी बैठ कर कपड़ा बुनती रही हूँ न, इसी लिये।”
यह सुन कर राजकुमार बोला — “प्रिये, मैं तो आज से तुमको कपड़ा बुनने के लिये कभी करघे पर बैठने ही नहीं दूँगा।”
इसके बाद बड़ी लाल नाक वाली स्त्री आयी और वहाँ आ कर बैठ गयी। रानी ने उससे भी पूछा — “मैम, क्या मैं जान सकती हूँ कि आपकी नाक इतनी बड़ी और लाल क्यों है?”
वह स्त्री बोली — “क्योंकि मैं ज़िन्दगी भर सिर नीचा कर के कपड़े सिलती रही हूँ इसलिये मेरे शरीर का सारा खून मेरी नाक की तरफ खिंच आया है, इसी लिये।”
राजकुमार फिर उस लड़की से बोला — “प्रिये, मैं तो तुम्हें कभी सुई ही नहीं पकड़ने दूँगा।”
पर बच्चो, यह तो परियों की कहानी है। ऐसा भी कहीं होता है क्या? न तो आजकल राजकुमार हैं, न सहायता करने के लिये परियाँ हैं। सब कुछ अपने आप ही करना पड़ता है।
इसलिये इस कहानी से हमें यही सीखना चाहिये कि सबको अपनी ज़िन्दगी में बहुत काम करना चाहिये क्योंकि सभी लोग काम को प्यार करते हैं और हर जगह काम की ही तारीफ होती है।
1. This story is similar to Russian folktale Rumplestiltuskin.
2. Anty – name of the girl.
(साभार सुषमा गुप्ता जी, जिन्होंने लोक-कथाओं पर उल्लेखनीय काम किया है.)