एक महाकाय आदमी का शिष्य : ब्राज़ील की लोक-कथा

A Giant’s Pupil : Lok-Katha (Brazil)

यह बहुत दिनों पुरानी बात है कि जंगल के किनारे पर एक लड़का रहता था जिसका नाम मनोइल था। वह अपने माता पिता के साथ रहता था। उसके माता पिता इतने गरीब थे कि वे उसको पढ़ने के लिये स्कूल नहीं भेज सकते थे।

अब वह क्योंकि स्कूल नहीं जाता था तो वह सारा सारा दिन खेलता ही रहता था। कभी मैदानों में कभी नदी के किनारे कभी जंगल के किनारे जहाँ महाकाय आदमी रहता था।

एक दिन जब मनोइल खेलने के लिये जंगल की तरफ गया हुआ था तो उसको वह महाकाय आदमी मिल गया। महाकाय आदमी जंगल में क्योंकि अकेला रहता था तो उसको वहाँ बड़ा अकेलापन लगता था। मनोइल के देख कर उसको लगा कि उसके पास भी मनोइल जैसा एक लड़का हो तो कितना अच्छा हो।

सो जैसे ही उसने मनोइल को देखा तो वह तो उसको बहुत ही अच्छा लगा। बस फिर क्या था उस दिन के बाद से वे दोनों रोज ही साथ साथ रहने लगे।

बड़े साइज़ के आदमी ने मनोइल को जंगल के बहुत सारे भेद बताये। उसने उसको हवा बारिश गरज और बिजली के भी भेद बताये। फिर उसने उसको जंगली जानवरों चिड़ियों और साँपों के बारे में भी बहुत कुछ बताया।

इस तरह से उस बड़े साइज़ के आदमी के साथ सीखते सीखते मनोइल एक बहुत ही अक्लमन्द लड़का बन गया। उसके माता पिता को उसकी अक्लमन्दी पर बड़ा घमंड होने लगा यहाँ तक कि उसके गुरू बड़े साइज़ के आदमी को भी।

एक दिन राजा का एक दूत घोड़े पर चढ़ कर राजा की बेटी का सन्देश ले कर राज्य में आया कि राजा की बेटी सुन्दर राजकुमारी केवल उसी से शादी करेगी जो उससे कोई ऐसी पहेली पूछेगा जिसका वह जवाब नहीं दे सकेगी।

वे सब राजकुमार जिन्होंने उसके छज्जे के नीचे प्रे्रम के गीत गाये थे वे सब बेवकूफ थे। राजकुमारी तो किसी ऐसे आदमी से शादी करना चाहती थी जो उससे ज़्यादा अक्लमन्द हो।

जब मनोइल ने राजकुमारी का यह सन्देश सुना तो उसने अपने माता पिता से कहा — “पिता जी मैं राजकुमारी से एक पहेली पूछने के लिये उसके महल जा रहा हू। मुझे पूरा यकीन है कि वह मेरी पहेली नहीं बूझ पायेगी।”

उसकी माँ ने कहा — “हमें मालूम है बेटा कि तुम एक बहुत ही होशियार और चतुर लड़के हो पर वहाँ महल में तो बहुत सारे सुन्दर राजकुमार और कुलीन लोग होंगे जो राजकुमारी से अपनी अपनी पहेलियाँ पूछ रहे होंगे। बेटे तब क्या होगा जब राजकुमारी एक मैले से कपड़े पहने हुए लड़के की पहेली सुनेगी ही नहीं।”

मनोइल बोला — “माँ तुम चिन्ता न करो मैं उसको अपनी पहेली सुना कर ही रहूँगा।”

मनोइल के पिता ने पूछा — “तुम उससे कौन सी पहेली पूछोगे बेटा?”

लड़का बोला — “मैंने उसके बारे में अभी कुछ सोचा नहीं है पिता जी। जब मैं महल जा रहा होऊँगा तब मैं अपनी पहेली बनाऊँगा। और मैं वहाँ तुरन्त ही जाना चाहता हूँ।”

दयालु बड़े साइज़ के आदमी को जो अब तक मनोइल का दोस्त बन चुका था जब इसका पता चला तो उसने मनोइल को आशीर्वाद दिया और उसकी खुशकिस्मती के लिये प्रार्थना की।

लड़के की माँ ने उसके लिये उसके साथ ले जाने के लिये खाना बनाया। उसका पिता घर के दरवाजे के बाहर बैठ कर अपने सब पड़ोसियों से यह डींग हाँकने लगा कि उसका बेटा राजा की बेटी से शादी करने जा रहा है।

मनोइल ने अपनी माँ से अपना खाना लिया और यात्रा में अपने साथ के लिये अपना कुत्ता साथ ले लिया ओर राजा के महल की तरफ चल दिया।

मनोइल चलता रहा चलता रहा। उसने जंगल पार किये नदी पार की। आखिर उसकी माँ का दिया हुआ खाना खत्म हो गया। जब उसको फिर भूख लगी तो रास्ते में पड़े एक शहर में उसने अपने आखिरी पैसे से कुछ रोटी खरीदी। उसको ले कर वह उसे खाने के लिये जंगल की तरफ चलता चला गया।

पर उसको खुद खाने से पहले उसने उसका एक टुकड़ा तोड़ कर अपने कुत्ते को खिलायी। उसको खा कर उसका कुत्ता तुरन्त ही मर गया क्योंकि वह रोटी जहरीली थी।

मनोइल को अपने कुत्ते का इस तरह मरता देख कर रोना आ गया सो वह वहीं रास्ते में रुक गया। तभी उसने देखा कि तीन बाज़ उड़ते हुए वहाँ आये और उसके कुत्ते को खा गये। अब क्योंकि कुत्ता जहर खाने से मरा था तो वे भी उसके कुत्ते को खाते ही मर गये।

उसी समय लड़के ने कुछ आवाजें सुनीं तो उसने देखा कि सात घुड़सवार उधर चले आ रहे थे। ये लोग डाकू थे और हालाँकि उनकी जेबों में बहुत सोना था पर उनके पास खाना नहीं था।

उन्होंने जब तीन बाज़ मरे पड़े देखे तो उन डाकुओं के कप्तान ने कहा — “हमें बहुत भूख लगी है। हम लोग यह मरे हुए बाज़ तो खा ही सकते हैं।”

सो उन डाकुओं ने लालची तरीके से वे तीनों बाज़ उठा लिये और उनको जल्दी जल्दी खाने लगे। उन बाज़ों को खाते ही वे भी मर गये क्योंकि वे बाज़ भी जहरीले हो चुके थे।

मनोइल ने सोचा “तीन बाज़ों ने मेरे कुत्ते को चुराया तो वे मेरे हो गये। और जब सात डाकुओं ने मेरे तीन बाज़ चुराये तो वे डाकू मेरे हो गये।”

यह कहते हुए उसने सातों डाकुओं की जेबों से सारा सोना निकाला और उन डाकुओं के कप्तान के कपड़े पहन लिये क्योंकि उन सबमें उसी के कपड़े सबसे अच्छे थे। फिर वह उसी कप्तान के घोड़े पर चढ़ा क्योंकि उन सबमें उसी का घोड़ा सबसे अच्छा था। इस तरह वह उनके कपड़े पहन कर और उनके घोड़े पर सवार हो कर राजा के महल को चल दिया।

कुछ दूर चलने के बाद उसको प्यास लगी तो उसने पानी ढूँढने की कोशिश की पर उसको कहीं पानी नहीं मिला तो उसने अपने घोड़े को बहुत तेज़ भगा दिया। इससे उसे पसीना आ गया सो उसी के पसीने से उसने अपनी प्यास बुझायी। वह फिर महल की तरफ चल पड़ा। डाकुओं के कप्तान के कपड़े पहन कर और उसके बढ़िया घोड़े पर सवार हो कर महल में घुसने में उसको कोई परेशानी नहीं हुई। उसको अपनी पहेली बूझने के लिये तुरन्त ही राजकुमारी के सामने ले जाया गया।

राजकुमारी ने मनोइल की आँखों में जंगल के बहुत सारे भेदों को देखा जो उसको उस बड़े शरीर वाले आदमी ने सिखाये थे। राजकुमारी ने सोचा “हूँ, तो यह नौजवान मुझसे एक पहेली पूछने आया है। इसकी पहेली तो सुनने के लायक होनी चाहिये।”

अब तक पड़ोसी राज्यों के जितने भी राजकुमारों और कुलीन लोगों ने उससे पहेलियाँ पूछी थीं वे सब पहेलियाँ बेवकूफी से भरी हुई थीं। वह उन सबसे ऊब चुकी थी। वह हमेशा ही उनकी पहेलियाँ उनके पहेलियाँ पूरी तरह से कहने से पहले ही बूझ देती थी।

लड़के को देख कर वह बोली — “पूछो तुम कौन सी पहेली पूछना चाहते हो?”

लड़का बोला —

मैं घर से जेब भर कर चला पर वह बहुत जल्दी ही खाली हो गयी
पर वह फिर भर गयी
मैं घर से एक साथी के साथ चला था मेरी भरी हुई जेब ने मेरे साथी को मार दिया
मेरे मरे हुए साथी ने तीन को मारा तीन ने सात को मारा
उन सातों में से मैंने सबसे अच्छे को चुना
मैंने वह पानी पिया जो ऊपर से नहीं गिरा था
और मैं दुनियाँ की सबसे सुन्दर राजकुमारी के सामने खड़ा हूँ

राजकुमारी ने उसकी पहेली बहुत ध्यान से सुनी। फिर बोली
— “इसे ज़रा दोबारा कहो।” मनोइल ने अपनी पहेली दोहरा दी। राजकुमारी ने सोचा और सोचा पर वह उसका कोई हल नहीं सोच सकी। और केवल वही नहीं महल में कोई और भी उस्सकी पहेली को हल नहीं कर सका।

तो राजकुमारी ने उसी को अपनी पहेली का हल बताने के लिये कहा। जब मनोइल ने अपनी पहेली का हल बताया तो वह बोली
— “लगता है कि “नोसा सिन्हौरा” ने खुद ने तुम्हें मेरे पास भेजा होगा। क्योंकि मैं कभी किसी बेवकूफ आदमी को तो अपना पति स्वीकार कर ही नहीं सकती थी।”

"नोसा सिन्हौरा" पुर्तगाली भाषा में "हमारी महिला" के लिए प्रयुक्त होता है, और पुर्तगाली भाषी देशों में यह ईसा मसीह की माता, वर्जिन मैरी के लिए एक सामान्य उपाधि है।

(साभार सुषमा गुप्ता जी, जिन्होंने लोक-कथाओं पर उल्लेखनीय काम किया है.)

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