एक लड़का जो भालुओं के साथ रहा : अमरीकी लोक-कथा

A Boy Who Lived With Bears : American Lok-Katha

(Folktale from Native Americans, Iroquois Tribe/मूल अमेरिकी, इरक्वॉइ जनजाति की लोककथा)

एक बार एक लड़का था जिसके माता पिता मर गये थे इसलिये वह दुनियाँ में अकेला ही था। उसकी देखभाल करने वाला केवल उसका एक मामा था पर वह मामा भी उसके लिये बहुत बेरहम था।

उसका मामा हमेशा ही यह सोचता था कि वह लड़का उसके ऊपर एक बोझ था सो उसको वह खाने के लिये बस अपने खाने की बचे खुचे टुकड़े दे दिया करता था।

पहनने के लिये वह उसको फटे पुराने कपड़े और टूटे हुए जूते देता था। रात को वह आग से दूर मामा के घर के बाहर सोता था।

पर उस लड़के को कोई गम नहीं था। उसको अपने मामा से कोई शिकायत भी नहीं थी क्योंकि उसके माता पिता ने उसको हमेशा बड़ों का आदर करना सिखाया था।

एक दिन उसके मामा ने उससे पीछा छुड़ाने की सोची सो उसने उस लड़के को बुलाया और उससे कहा — “चलो शिकार करने चलते हैं।”

लड़का तो यह सुन कर बहुत खुश हो गया क्योंकि उसका मामा पहले कभी उसको शिकार पर नहीं ले गया था। वह अपने मामा के पीछे पीछे चल दिया। पहले उसके मामा ने एक खरगोश मारा और उसे उस लड़के को दे दिया।

लड़का उसको ले कर घर जाने को मुड़ा पर उसके मामा ने उसको घर जाने के लिये मना कर दिया और कहा कि अभी वह घर न जाये वह अभी कुछ और शिकार करेगा। वे और आगे बढ़े तो उसके मामा ने एक मोटा सा मुर्गा मारा।

यह देख कर वह लड़का बहुत खुश था कि आज उसका मामा इतना सारा माँस ले कर घर जा रहा था तो आज रात को उसको भी खूब पेट भर कर अच्छा खाना मिलेगा।

ये शिकार ले कर वह लड़का फिर घर जाने के लिये मुड़ा तो उसके मामा ने फिर उसको जाने से रोक लिया कि अभी घर नहीं जायेंगे बल्कि अभी और शिकार करना है।

और आगे जाने पर वे लोग जंगल के एक ऐसे हिस्से में पहुँच गये जो उस लड़के ने कभी देखा नहीं था। वहाँ एक बहुत बड़ी पहाड़ी थी और उसमें एक गुफा का दरवाजा था जो उस पहाड़ी में जाता था।

गुफा का दरवाजा इतना छोटा था कि उसमें से केवल एक छोटा आदमी ही घुस सकता था। मामा लड़के को वह गुफा दिखा कर बोला — “यहाँ पर बहुत सारे जानवर छिपे रहते हैं। तुम इसके अन्दर जाओ और उनको दौड़ा कर बाहर निकाल लाओ ताकि मैं उनको अपने तीरों से मार सकूँ।”

गुफा अँधेरी थी और ठंडी थी पर लड़के को याद था जो उसके माता पिता ने उसको सिखाया था सो वह उस गुफा में घुस गया। गुफा में पत्तियाँ और पत्थर तो पड़े हुए थे पर उसको उसमें जानवर कहीं दिखायी नहीं दिये।

वह उस गुफा के आखीर तक चला गया और फिर वहाँ से बाहर की तरफ लौटा। उसको बहुत शर्म आ रही थी कि वह अपने मामा की इच्छा पूरी नहीं कर सका।

पर जब वह बाहर आ रहा था तो उसने देखा कि उसका मामा उस गुफा के मुँह को एक बड़े से पत्थर से बन्द कर रहा था और कुछ ही पल में वहाँ चारों तरफ अँधेरा छा गया।

उस लड़के ने उस पत्थर को वहाँ से हटाने की बहुत कोशिश की परन्तु वह उसे नहीं हटा सका। वह उस गुफा में बन्द हो गया था। पहले तो वह बहुत डरा पर फिर उसको अपने माता पिता की बात याद आ गयी।

उसके माता पिता ने कहा था कि जो लोग दिल से अच्छे होते हैं उनकी इच्छा की ताकत भी बहुत मजबूत होती है। अगर तुम अच्छा करते हो और उस अच्छे में विश्वास करते हो तो तुमको भी अच्छी ही चीज़ें मिलेंगी।

यह सोच कर वह लड़का खुश हो गया और एक गीत गाने लगा। उसका यह गीत उसके अपने बारे में था कि उसके माता पिता नहीं थे और उसको दोस्तों की जरूरत थी।

जैसे जैसे वह अपना गीत गाता जा रहा था उसकी आवाज तेज़ होती जा रही थी। गाते गाते वह बिल्कुल ही भूल गया कि वह एक गुफा में बन्द है।

कुछ देर बाद ही उसने बाहर के पत्थर पर कुछ खुरचने की आवाज सुनी तो उसने अपना गाना बन्द कर दिया। उसने सोचा कि शायद उसका मामा उसको गुफा से बाहर निकालने के लिये आ गया है पर वहाँ कोई एक आवाज नहीं थी बल्कि कई आवाजें थीं।

उसने कई आवाजों में से सबसे पहले जो आवाज सुनी उससे वह पहचान गया कि वह गलत था। वह ऊँची आवाज उसके मामा की नहीं थी।

उस ऊँची आवाज ने कहा — “हमको इस लड़के की सहायता जरूर करनी चाहिये।”

इसके जवाब में एक गहरी सी आवाज ने कहा — “हाँ हाँ हमें इसकी सहायता जरूर करनी चाहिये।” लड़के को लगा कि उसकी आवाज प्यार से भरी थी।

उसी आवाज ने फिर कहा — “यह लड़का यहाँ अकेला है और इसको हमारी सहायता की जरूरत है।”

“हाँ इसमें कोई शक नहीं है कि हमको इसकी सहायता करनी चाहिये।”

एक और आवाज़ बोली — “हममें से किसी एक को इसको गोद ले लेना चाहिये।”

और उसके बाद तो फिर कई आवाजों ने कई भाषाओं में बोल कर उस आवाज की हाँ में हाँ मिलायी।

सबसे ज़्यादा आश्चर्य की बात तो यह थी कि वे सब आवाजें उसके लिये अजीब थीं और भाषा भी पर भाषा अजीब होने के बावजूद वह लड़का उनकी सब बातें समझ रहा था।

कुछ ही देर में गुफा के मुँह पर से वह पत्थर हटा और रोशनी गुफा के अन्दर आयी। बहुत देर तक गुफा में अँधेरे मे रहने की वजह से उस रोशनी से एक बार को तो उस लड़के की आँखें ही चौंधिया गयीं।

लड़का धीरे धीरे गुफा से बाहर निकला। वह गुफा की ठंड में ठंडा और जमा हुआ सा हो रहा था। उसने जब अपने चारों तरफ नजर डाली तो उसने देखा कि वह तो बहुत सारे जानवरों से घिरा खड़ा है।

तभी एक छोटी सी आवाज़ उसके पैरों के पास से बोली —
“अब जब हम लोगों ने तुमको इस गुफा से निकाल लिया है तो अब तुम हममें से एक को अपना माता पिता चुन लो।”

लड़के ने यह सुन कर नीचे देखा तो उसने देखा कि उसके पैरों के पास एक मोल (mole) खड़ा था।

पास में एक पेड़ के पास खड़े हिरन (moose) ने कहा
— “हाँ तुमको हममें से एक को तो चुनना ही पड़ेगा।”

लड़का बोला — “तुम सबको बहुत बहुत धन्यवाद। तुम तो सब ही मेरे ऊपर बहुत दयालु हो तो मैं किसी एक को अपना माता पिता कैसे चुनूँ?”

मोल बोला — “पहले हम इसको यह तो बता दें कि हम कैसे हैं और हम किस तरीके से रहते हैं तभी तो यह लड़का तय करेगा कि यह हममें से किसको अपना माता पिता चुने।”

सब जानवर इस बात पर राजी हो गये सो वे एक एक कर के लड़के के पास आने लगे।

मोल बोला — “पहले मैं शुरू करता हूँ। मैं जमीन के नीचे रहता हूँ। जमीन के नीचे मैं सुरंगें खोद लेता हूँ। नीचे मेरी सुरंगों में बहुत अँधेरा और गर्म रहता है और हमें वहाँ बहुत सारे कीड़े आदि भी खाने को मिल जाते हैं।”

लड़का बोला — “यह तो बहुत अच्छा है पर मुझे डर है कि मैं सुरंगों में जाने के लिये बहुत बड़ा हूँ।”

फिर बीवर यानी ऊदबिलाव आया और बोला — “तब तुम मेरे साथ आओ और मेरे साथ रहो। मैं एक तालाब के बीच में रहता हूँ। हम बीवर लोग सबसे मीठे पेड़ की सबसे अच्छी छाल खाते हैं, पानी में डुबकी मार लेते हैं और जाड़ों में अपने अपने घरों में सो जाते हैं।”

लड़का बोला — “तुम्हारी ज़िन्दगी भी बहुत अच्छी है पर मैं पेड़ों की छाल नहीं खा सकता और मुझे मालूम है कि मैं तालाब के ठंडे पानी में तो जम ही जाऊँगा।”

भेड़िया बोला — “मेरे बारे में तुम्हारा क्या ख्याल है? मैं जंगलों में भागता फिरता हूँ और जिन छोटे जानवरों को मैं खाना चाहता हूँ उनको पकड़ लेता हूँ। मैं एक गर्म घर में रहता हूँ और तुम मेरे साथ आराम से रहोगे।”

लड़का बोला — “भेड़िये भाई, तुम भी बहुत दयालु हो। लेकिन क्योंकि सारे जानवर मेरे ऊपर इतने मेहरबान हैं कि मैं उनमें से किसी को भी खाना नहीं चाहूँगा।”

इतने में हिरन बोला — “तब तुम मेरे बच्चे बन कर रहो। हमारे साथ जंगलों में भागो, पेड़ों की डंडियाँ खाओ और मैदानों की घास खाओ।”

लड़का बोला — “नहीं दोस्त हिरन. तुम बहुत सुन्दर हो और बहुत अच्छे हो पर तुम इतने तेज़ हो कि भागने में तो मैं तुमसे हमेशा ही पीछे रह जाऊँगा।”

उसके बाद एक बूढ़ी मादा भालू उस लड़के के पास आयी और उसको बहुत देर तक ऊपर से नीचे तक देखती रही। फिर जब वह बोली तो उसकी आवाज फटी फटी सी थी।

वह बोली — “तुम हमारे साथ आ सकते हो और एक भालू बन कर रह सकते हो। हम भालू धीरे धीरे चलते हैं और सख्त आवाज में बोलते हैं। पर हमारा दिल बहुत नर्म है।

हम बैरीज़ (berries) और जड़ें खाते हैं जो जंगलों में उगते हैं। लम्बे जाड़ों के मौसम में हमारे बाल तुमको गर्म रखने में सहायता करेंगे।”

लड़का बोला — “हाँ मैं भालू के साथ चलूँगा। मैं तुम्हारे साथ चलूँगा और तुम्हारे परिवार में रहूँगा।” सो वह लड़का जिसका कोई परिवार नहीं था भालू के साथ रहने चला गया।

उस माँ भालू के दो बच्चे और भी थे। वे उस लड़के के भाई बन गये। वे सब एक साथ लुढ़कते और खेलते। जल्दी ही वह लड़का भालू जितना ताकतवर हो गया।

माँ भालू ने उस लड़के को कहा — “तुम सावधान रहना। तुम्हारे भाइयों के पंजे बहुत तेज़ हैं। जहाँ भी वे तुमको उनसे खुरच देंगे वहीं पर तुम्हारे उन जैसे बाल उग आयेंगे।”

इस तरह वे लोग जंगल में बहुत दिनों तक रहे और माँ भालू ने उस लड़के को बहुत कुछ सिखाया।

एक दिन वे सब जंगल में बैरीज़ ढूँढ रहे थे कि माँ भालू ने उनको चुप रहने को कहा। वह बोली — “लगता है कोई शिकारी है यहाँ।” उन सबने ध्यान से सुना तो वाकई उनको किसी आदमी के पैरों की आवाज सुनायी दी।

बूढ़ी माँ भालू मुस्कुरा कर बोली — “हमें इस शिकारी से डरने की जरूरत नहीं है। इसके कदम भारी हैं और जिधर भी यह जायेगा पत्तियाँ और डंडियाँ हमें बता देंगी कि यह कहाँ है।”

एक दूसरे समय पर माँ भालू ने फिर से उन सबको चुप रहने के लिये कहा — “सुनो, एक दूसरा शिकारी।” उन्होंने फिर सुनने की कोशिश की तो उनको गाने की आवाज सुनायी पड़ी।

बूढ़ी माँ भालू फिर मुस्कुरा कर बोली — “यह भी कोई खतरनाक शिकारी नहीं है। यह तो बोलने वाला है जैसे जैसे यह चलता जाता है वैसे वैसे बोलता जाता है।

जो शिकार के समय बोलता रहता है वह यह भूल जाता है कि जंगल में हर चीज़ के कान होते हैं। हम भालू लोग तो वह गाना भी सुन लेते हैं जो लोग गाते भी नहीं केवल सोचते ही हैं।”

इस तरह वे सब आनन्द से रह रहे थे कि एक दिन बूढ़ी माँ भालू ने उनको फिर से चुप किया। इस बार उसकी आँखों में डर दिखायी दे रहा था।

वह बोली — “सुनो, वह जो दो टाँगों पर और चार टाँगों पर शिकार करता है वह हमारे लिये बहुत खतरनाक है। हमको हमेशा यह प्रार्थना करते रहना चाहिये कि वह हमको न ढूँढ सके।

क्योंकि चार टाँग वाले जो दो टाँग वाले के साथ शिकार करते हैं हम जहाँ भी जायें वे हम लोगों को ढूँढ सकते हैं। और वह आदमी भी जो उनके साथ होता है जब तक चैन से नहीं बैठता जब तक कि उसको जो शिकार चाहिये उसको पकड़ नहीं लेता।”

उसी समय उन्होंने एक कुत्ते के भौंकने की आवाज सुनी। बूढ़ी माँ भालू चिल्लायी — “भागो भागो. अपनी जान बचाओ। चार पैर वालों को हमारी खुशबू आ गयी है।”

बस चारों भाग लिये। उन्होंने नाले पार किये. पहाड़ियाँ चढ़े पर फिर भी कुत्तों ने उनका पीछा नहीं छोड़ा।

वे दलदल में से भागे, वे घनी झाड़ियों में से भागे पर फिर भी शिकारी लोग उनके पीछे थे। वे घाटियों में से भागे वे कँटीली जमीन में से हो कर भागे पर कुत्तों की आवाज से नहीं बच सके।

आखिर वे थक कर चूर हो गये। इतने में वे चारों एक खोखले लठ्ठे के पास आ गये। बूढ़ी माँ भालू बोली — “बस यही हमारी आखिरी उम्मीद है अब तुम सब इस लठ्ठे में घुस जाओ।”

वे सभी उस लठ्ठे में घुस गये और हाँफते और डरते साँस रोक कर बैठ गये। कुछ देर तक तो कोई शोर नहीं सुनायी दिया पर फिर थोड़ी ही देर में कुत्ते उनको सूँघते हुए उस लठ्ठे के पास आ पहुँचे।

बूढ़ी माँ भालू बहुत ज़ोर से उनके ऊपर गुर्रायी तो वे उनके पास नहीं जा पाये। सो कुछ देर के लिये फिर से सब कुछ शान्त हो गया। लड़के को लगा कि अब उसका परिवार सुरक्षित है पर ऐसा नहीं था। उसको धुँए की खुशबू आयी।

उस शिकारी ने कुछ पत्तियाँ और लकड़ियाँ इकठ्ठी कर ली थीं और उनको उस लठ्ठे के पास ला कर उनमें आग लगा दी थीं ताकि वे उस धुँए की खुशबू सूँघ कर बाहर निकल आयें।

अब उस लड़के से नहीं रहा गया वह चिल्लाया — “मेहरबानी कर के मेरे दोस्तों को कोई नुकसान मत पहुँचाइये।”

इसके जवाब में उसको बाहर से एक जानी पहचानी आवाज सुनायी दी — “कौन बोल रहा है यह? क्या कोई आदमी इस लठ्ठे के अन्दर है?”

फिर उस लठ्ठे के पास से लकड़ियाँ हटाने की आवाज आयी और धुँआ भी अन्दर आना बन्द हो गया। वह लड़का लठ्ठे में से बाहर निकल आया और उस शिकारी की तरफ देखा तो वह तो उसका मामा था।

उसका मामा आँखों में आँसू भर कर चिल्लाया — “ओ मेरे भानजे। क्या यह वाकई में तुम हो? मैंने तुमको गुफा में छोड़ने के बाद सोचा कि मैं तो बहुत ही बेवकूफ और बेरहम आदमी हूँ जो अपने भानजे को इस तरह से गुफा में बन्द कर के चला आया। सो मैं तुमको ढूँढने के लिये फिर गुफा पर आया पर तब तक तुम वहाँ से जा चुके थे। वहाँ बहुत सारे जानवरों के पैरों के निशान भी थे सो मुझे लगा कि उन्होंने तुमको मार दिया।”

और सच भी यही था। मामा को घर पहुँचने से पहले ही लगा कि वह बहुत ही नीच आदमी था। सो वह तुरन्त ही वापस लौट पड़ा और निश्चय किया कि वह अपनी बहिन के लड़के को अपने बेटे की तरह से रखेगा।

वह और भी ज़्यादा दुखी हो गया था जब उसने देखा कि उस गुफा से उसका भानजा गायब हो गया था।

लड़का बोला — “हाँ मामा मैं ही हूँ। आपके छोड़ जाने के बाद इन्हीं भालुओं ने मेरी देखभाल की। ये अब मेरे परिवार की तरह हैं। मामा इनको मारना नहीं।” मामा ने हाँ में सिर हिलाया और अपने शिकारी कुत्ते एक पेड़ से बाँध दिये।

अभी भी डरते हुए वह बूढ़ी माँ भालू अपने बच्चों के साथ लठ्ठे में से बाहर निकली। वे जब उस लड़के से बात कर रहे थे तो उनके शब्द उस लड़के के मामा को तो केवल उनकी गुर्राहट से ज़्यादा कुछ नहीं लगे। पर उन्होंने कहा कि अब उसको एक आदमी बन जाना चाहिये।

बूढ़ी माँ भालू ने उस लड़के से कहा — “हम आपस में हमेशा दोस्त रहेंगे। तुम खुश रहना।”

और वह अपने दोनों बेटों को ले कर जंगल में चली गयी। वह लड़का अपने मामा के साथ घर चला आया और खुशी खुशी उसके साथ रहा।

बहुत दिनों तक वह उस जानवर के प्रेम को याद करता रहा और जितने दिन जिया उतने दिनों तक जानवरों का दोस्त बना रहा।

(साभार सुषमा गुप्ता जी, जिन्होंने लोक-कथाओं पर उल्लेखनीय काम किया है)

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