भालू आदमी : अमरीकी लोक-कथा
A Bearman : American Lok-Katha
(Folktale from Native Americans, Cherokee Tribe/मूल अमेरिकी, चेरोकी जनजाति की लोककथा)
एक बार वसन्त के मौसम में उत्तरी अमेरिका की चेरोकी जाति का एक आदमी था जिसका नाम तेज़ हवा था। वह अपनी पत्नी से विदा ले कर एक कोहरा छाये हुए पहाड़ पर शिकार के लिये चल पड़ा।
रास्ते में एक जंगल पड़ता था। उस जंगल में एक भालू तीर से घायल पड़ा था। जब उस भालू ने तेज़ हवा को उधर से जाते देखा तो वह वहाँ से भागा। तेज़ हवा ने उसका पीछा किया और एक के बाद एक तीर मार कर उसे नीचे गिराने की कोशिश की परन्तु वह उसको गिरा नहीं सका।
तेज़ हवा को बड़ा आश्चर्य हुआ कि ऐसा कैसे हो रहा था। उसको मालूम ही नहीं था कि उस भालू के पास एक ऐसी अनजान ताकत थी जिससे वह बात भी कर सकता था और कोई आदमी क्या सोच रहा है यह तक भी बता सकता था।
आखिरकार वह काला भालू भागते भागते रुक गया और उसने अपने शरीर से सारे तीर निकाल कर तेज़ हवा को दे दिये। फिर वह उससे बोला — “तुम्हारे इन तीरों का कोई फायदा नहीं क्योंकि ये मेरा कुछ नहीं बिगड़ सकते। तुम मुझको नहीं मार सकते। आओ, तुम मेरे साथ आओ मैं तुम्हें दिखाता हूँ कि भालू कैसे रहते हैं।”
तेज़ हवा ने सोचा “यदि मैं इसके साथ गया तो यह मुझे मार डालेगा।”
अब क्योंकि भालू के पास तो वह अनजान ताकत थी जिससे वह दूसरों के मन की बात भी पढ़ लेता था इसलिये उसने तुरन्त ही यह जान लिया कि तेज़ हवा क्या सोच रहा था इसलिये वह भी तुरन्त ही बोला — “तुम मेरे साथ चलो तो, मैं तुम्हें कोई नुकसान नहीं पहुँचाऊँगा। तुम मेरे साथ निडर हो कर आ सकते हो।”
तेज़ हवा ने फिर सोचा “यदि मैं इसके साथ गया तो वहाँ मैं खाऊँगा क्या?”
भालू ने यह भी जान लिया सो वह फिर बोला — “तुम खाने की बिल्कुल भी चिन्ता न करो मेरे पास तुम्हारे लायक बहुत खाना है।”
सो वे दोनों वहाँ से चल दिये। तेज़ हवा को साथ ले कर भालू एक गुफा तक आया और बोला — “हम यहाँ रहते तो नहीं हैं पर आज हम लोग यहाँ एक मीटिंग कर रहे हैं। तुम भी देखो कि हम लोग क्या करते हैं।”
वे लोग अन्दर आये तो तेज़ हवा क्या देखता है कि वह गुफा तो अन्दर आ कर बहुत बड़ी हो गयी है और वहाँ पर छोटे बड़े, जवान बूढ़े, काले कत्थई सभी प्रकार के भालू बैठे हुए हैं। वहाँ एक बड़ा सफेद भालू भी था जो उन सबका सरदार दिखायी दे रहा था।
तेज़ हवा भी वहीं एक तरफ को बैठ गया परन्तु सभी भालुओं को तुरन्त ही उसकी बू आ गयी।
एक भालू बोला — “यह आदमी की बू कहाँ से आ रही है?”
सफेद भालू बोला — “ऐसा न बोलो। आज हमारे बीच में एक अजनबी बैठा है। उसे ऐसे ही बैठा रहने दो।”
यह सुन कर भालुओं ने अपनी मींिटंग शुरू कर दी। तेज़ हवा को यह देख कर बड़ा आश्चर्य हुआ कि उसको उनकी सारी बातें समझ में आ रही थीं।
वे भालू पहाड़ों पर खाने की कमी के बारे में बात कर रहे थे कि उनको उस खाने की कमी को खत्म करने के लिये क्या करना चाहिये। वे इसका कोई तरकीब निकालने की कोशिश में थे।
मीटिंग के बाद उन्होंने नाचना शुरू कर दिया। जब वे नाच रहे थे तो एक भालू की नजर तेज़ हवा के तीर कमान पर पड़ गयी। वह बोला — “यही तो है वह जिससे आदमी हम लोगों को मारता है। देखें हम भी इसे इस्तेमाल कर सकते हैं या नहीं।”
ऐसा कह कर उसने तेज़ हवा का तीर कमान उठा लिया और उस पर तीर चढ़ाने की कोशिश करने लगा। जैसे ही उसने कमान की रस्सी खींची कि वह रस्सी उसके पंजों में फँस गयी और तीर नीचे गिर पड़ा। यह देख कर सारे भालू हँस पड़े। फिर उसने वह तीर कमान तेज़ हवा को वापस दे दिया।
मीटिंग समाप्त होने के बाद तेज़ हवा उस काले भालू के साथ
एक छोटी गुफा में आया। भालू उसको वह गुफा दिखाते हुए बोला
— “देखो मैं यहाँ रहता हूँ।”
तेज़ हवा को अब तक बहुत ज़ोर की भूख लग आयी थी पर उसको वहाँ खाना कहीं भी नहीं दिखायी दे रहा था।
भालू ने जान लिया कि वह क्या सोच रहा है सो वह तुरन्त ही अपने पिछले पैरों पर खड़ा हो गया और उसने अपने आगे वाले पैरों से हवा में कुछ निशान बनाये और फिर उन पंजों को तेज़ हवा की तरफ बढ़ा दिया।
तेज हवा ने देखा कि उसके पंजों में चेस्टनट भरे हुए थे। उसने यह जादू दोबारा किया तो अबकी बार उसके पंजों में रसभरियाँ थीं।
इसी तरह उसने तेज़ हवा को कई सारी खाने की चीज़ें दीं। और इस तरह तेज़ हवा उस भालू के पास उस गुफा में कई महीनों तक रहा।
कुछ महीनों के बाद उसने देखा कि उसके शरीर पर भालू की तरह के बाल उग आये हैं और उसने भालुओं जैसा खाना खाना भी शुरू कर दिया है। वह भालुओं की तरह बर्ताव भी करने लगा है। पर भगवान का लाख लाख धन्यवाद था कि वह अभी खड़े हो कर ही चलता था भालू की तरह चार पैर पर नहीं।
एक साल बीत गया था। अब फिर से वसन्त आ गया था। एक दिन भालू बोला कि आज मैंने सपना देखा कि चेरोकी लोग एक बड़े शिकार की तैयारी कर रहे हैं।”
तेज़ हवा ने पूछा — “क्या मेरी पत्नी अभी तक मेरा इन्तजार कर रही है?”
भालू बोला — “हाँ, वह अभी तक तुम्हारा इन्तजार कर रही है। पर तुम तो अब एक भालू आदमी बन चुके हो इसलिये अगर तुम अपने लोगों के बीच वापस जाना चाहते हो तो तुमको बिना खाये पिये किसी ऐसी बन्द जगह पर रहना होगा जहाँ लोग तुमको देखें नहीं। उसके बाद तुम फिर आदमी बन जाओगे।”
कुछ ही दिनों बाद चेरोकी शिकारियों की एक टोली वहाँ आ गयी। काला भालू और तेज़ हवा दोनों ही गुफा में छिप कर बैठ गये पर शिकारी कुत्तों ने उन दोनों का पता लगा लिया।
भालू बोला — “देखो, अब मेरी तीर न खाने की ताकत खत्म हो गयी है इसलिये तुम्हारे लोग तो मुझे अब मार ही डालेंगे पर वे तुमको कोई नुकसान पहुँचायेंगे।
वे तुमको घर ले जायेंगे। सो अगर तुम वाकई आदमी बनना चाहते हो तो जो कुछ मैंने तुमसे कहा है उसे अच्छी तरह याद रखना।
और भी एक बात सुनो। वे लोग मुझे मार मार कर बाहर खदेड़ देंगे और मेरे टुकड़े टुकड़े कर डालेंगे। इसके बाद तुम मेरे शरीर के टुकड़ों को पत्तियों से ढक देना। जब वे तुमको ले जा रहे होंगे तब अगर तुम पीछे मुड़ कर देखोगे तो तुमको कुछ दिखायी देगा।”
भालू ने जैसा तेज़ हवा से कहा था लोगों ने उसके साथ वैसा ही किया। पहले उन्होंने भालू को मार डाला, फिर वे उसे गुफा के बाहर घसीट कर ले गये और फिर उसके शरीर के टुकड़े टुकड़े कर दिये।
तेज़ हवा इस डर से गुफा के अन्दर ही छिपा रहा कि वे लोग उसे कहीं भालू न समझ लें और उसको भी उसी तरीके से न मार दें जैसे उन्होंने भालू को मारा था। परन्तु कुत्ते उस गुफा के बाहर ही भौंकते रहे अन्दर नहीं आये।
इस पर शिकारियों ने गुफा के अन्दर झाँका तो उन्होंने देखा कि एक बालों वाला आदमी सीधा खड़ा हुआ है। उन शिकारियों में से एक आदमी उसको पहचान गया कि वह तेज़ हवा था।
यह सोचते हुए कि वह भालुओं का बन्दी था उन्होंने उससे पूछा कि क्या वह उन लोगों के साथ घर लौट जाना चाहेगा?
पर उन लोगों ने साथ में उसको यह भी बताया कि अगर वह आदमी बनना चाहता है तो उसको कम से कम सात दिन बिना कुछ खाये पिये एक कमरे में बन्द रहना पड़ेगा।
तेज़ हवा तैयार हो गया और शिकारी उसको साथ ले कर चल दिये।
गुफा से बाहर निकलने से पहले भालू के शरीर के टुकड़ों को तेज़ हवा ने पत्तियों से ढक दिया और आगे बढ़ गया। कुछ दूर जाने के बाद उसने पीछे मुड़ कर देखा तो उन पत्तियों के नीचे से भालू उठ कर अपनी गुफा की तरफ जा रहा था।
जब शिकारी घर पहुँचे तो वे तेज़ हवा को एक खाली मकान में ले गये और उस मकान का दरवाजा बन्द कर दिया।
तेज़ हवा ने उनको किसी से कुछ भी कहने को मना कर दिया था पर किसी ने गाँव में कहीं कुछ कह दिया सो अगले ही दिन तेज़ हवा की पत्नी को पता चल गया कि उसका पति उसी गाँव में आ गया है।
बस फिर क्या था तेज़ हवा की पत्नी जल्दी जल्दी उन शिकारियों के पास पहुँची और उनसे अपने पति को दिखा देने की प्रार्थना की।
शिकारियों ने उसको बहुत समझाया कि उसको अपने पति को देखने के लिये अभी सात दिन तक इन्तजार करना चाहिये उसके बाद ही वह बिल्कुल वैसे ही रूप में उसके सामने आ पायेगा जिस रूप में उसने यह गाँव एक साल पहले छोड़ा था। पर यह बात उसकी समझ में ही नहीं आयी।
तेज़ हवा की पत्नी यह सुन कर बहुत निराश हुई और घर चली गयी लेकिन वह उन शिकारियों के पास रोज आती रही और उनसे बराबर कहती रही कि वे उसको उसके पति से मिलवा दें।
आखिर पाँचवें दिन जब उसने बहुत जिद की तो वे उसको उस घर की तरफ ले चले जिसमें तेज़ हवा बन्द था। वहाँ आ कर उन्होंने उस घर का दरवाजा खोल दिया और तेज हवा को बाहर आने को कहा। तेज़ हवा बेचारा बाहर आ गया।
समय से पहले निकलने की वजह से उसके शरीर पर अभी भी कुछ बाल बाकी बचे थे पर उसकी पत्नी उसको देख कर इतनी अधिक खुश हुई कि वह उसको जिद कर के अपने घर ले आयी। तेज़ हवा उसके साथ चला तो गया परन्तु कुछ ही दिनों बाद वह मर गया।
चेरोकी लोगों ने यह जान लिया कि यह काम उस भालू का है जिसके पास वह रहता था।
आज भी उस गाँव में वसन्त के पहले कुछ दिनों में दो भालू देखे जाते हैं – एक चार पैर पर चलता हुआ और दूसरा दो पैर पर चलता हुआ।
(साभार सुषमा गुप्ता जी, जिन्होंने लोक-कथाओं पर उल्लेखनीय काम किया है)