कालिका बैसी - एक यात्रा आस्था की : श्याम सिंह बिष्ट

Kalika Baisi - Ek Yatra Aastha Ki : Shyam Singh Bisht

समय कैसे व्यतीत हो जाता है यह क्षण भर में पता ही नहीं चलता, अभी भी आंखों के सामने कालिका वैसी का मनमोहक दृश्य बार बार अभी भी आंखों के सामने आ पड़ता है ।कालिका वैसी में आने के लिए देश -परदेश व क्षेत्रीय जनता ने
जो सहयोग और समर्थन दिया वह गांव की एकता और अपने कुल देवों के प्रति भक्ति के भाव को दर्शाता है । जो अपने आप में संपूर्ण आसपास के क्षेत्रों के लिए एक मिसाल कायम करता है और सीख देता है एकजुट रहने की ।

गांव का इस बार ऐसा कोई घर नहीं था जिनके बंद दरवाजे ना खुले हो ।तारीफ करनी होगी गांव की उन समस्त नवयुवकों, वहां के कार्यकारी सदस्य, और जनता जिन्होंने पूरी कालिका बैसी के दौरान अपना तन से मन से धन से भरपूर सहयोग दिया, चाहै वह रात्रि का पहर हो या सुबह का पहर ।
बैसी को सफलतापूर्वक, और सुचारु ढंग से प्रारंभ करने के लिए पहले कालका मंदिर का मंडप तैयार किया, जिससे क्षेत्र की जनता को व देवों के डंगरियौ को धूप और बारिश सै दिक्कतों का सामना ना करना पड़े । प्रथम दिन से ही कालिका वैसी, देखने के लिए लोगों की तादाद काफी थी मानो ऐसे लग रहा था जैसे लोग संपूर्ण भक्ति और भाव में डूबे हुए हो लोगों में एक ऐसा जोश और जुनून था जो इन शब्दों में बयान नहीं किया जा सकता। साक्षात अपने कुलदेवता, देवियों के दर्शन इतने सालों बाद करना अपने आप में एक गौरवान्वित करनै वाला क्षण था, हमारे 102 साल के चिण वाले बूबू जी, का उत्साह उस समय सब पर भारी पड़ गया जब वह इतनी उचाई पर पैदल चलकर कालिका वैसी देखने के लिए मंदिर व माता के दर्शन के लिए पहुंचे, उनका यह एक सराहनीय कदम पूरे गांव के लिए एक मिसाल बन गया ।
सुबह सूर्योदय से पहले ही कालिका मंदिर से भक्ति गीतों की आवाज कानों में ऐसे पढ़ती जैसे माता रानी अपने भक्तों को पुकार रही हो और कह रही हो कर लो भक्ति हो जाए जाएगा बेड़ा पार। और बीच-बीच में लाउडस्पीकर द्वारा आने वाले दिनों की दिनचर्या का मार्गदर्शन होता रहा ।।
सभी भक्तों का हुजूम सुबह-शाम टेढ़े -मेढ़े, ऊंचे-नीचे रास्ते से पैदल चल पर पहुंच जाते, जय मैया, जय मैया करके अपने कूल देवों के दर्शन करने के लिए।
दिन व्यतीत होती गए लोगों को अपनी हर समस्या का हल मिला जिन्हें विश्वास था अपने ऊपर अपने देवों के ऊपर जहां विश्वास है वहां भक्ति है जहां भक्ति है वही देव हैं।
गंगा स्नान वाले दिन का दृश्य ऐसा था मानो जैसे हिमालय से स्वयं शिव धरती पर गंगा स्नान दृश्य को देखने के लिए धरती पर आ गयै हो। सुबह से ही मौसम में थोड़ी धूप व नमी थी।

इस अदभुत दृश्य को देखने के लिए सुबह से भक्तों की तादात मंदिर परिसर में ऐसी उमड़ी जैसे हर कोई भक्ति में रंग जाना चाहता हो ।जैसे ही कालिका माता और अन्य देवियों व दैवो का डोला ऊठा वैसे हे माता रानी व कूल दैवो के नारे समस्त वातावरण में गूजनै लगै। यही वो पल था जो भी इसका भागीदार बना उसका समस्त तन उस वक्त भक्तिमय हो गया, सिर्फ मन से एक ही आवाज निकलती जय मैया- जय मैयाे ।इस आलोकित दृश्य को देखने के लिए आसपास के क्षेत्रीय वासियों जनता का हुजूम शिव मंदिर में दिखाई दे रहा था। माता रानी स्वयं सिंह पर सवार होकर अपने भक्तों के साथ जय जय कार के नार के साथ चारों दिशाओं में गूंज रहे थे, रंग-बिरंगे पहनाओ के साथ पूरी जनता माता रानी के दर्शन के लिए बेचैन सी हो रही थी ।धन्य है वो भूमि, धन्य है वह लोग, धन्य है देवों के वै समस्त डंगरी, जिन पर साक्षात भगवान स्वयं अवतरित हुए। ईश्वर का वजूद मानने वालों के लिए कण-कण में भगवान हैं और ना मानने वालों के लिए स्वयं प्रभु भी आ जाएं तो वह उनके लिए सिर्फ एक खेल ही होता है। कालका बैसी की दिनचर्या दिन पर दिन व्यतीत होती गयी समय अपने पंख लगा कर कब चला गया पता ही नहीं चला। कालका वैसे मैं पूरा गांव 11 दिन के लिए भक्तिमय हो गया लोग एक दूसरे से मिलते हाल समाचार पूछते और सुबह शाम माता रानी की वैसी का आनंद उठाते।
कालका बैसी के अंतिम चरण वाला दिन बहुत भाउक व हृदय और मन को प्रफुल्लित करने वाला था समस्त क्षेत्रवासियों की जनता ने अपने कुल देवो कुल देवियों और साक्षात कालिका माता के दर्शन किए। दोपहर बाद भंडारे के प्रसाद का वितरण किया गया और यह महायज्ञ उन सभी लोगों की मेहनत कर्तव्य निष्ठा भक्ति भावना से पूर्ण हुआ जो इस यज्ञ से जुड़े रहे।

बोलो कालिका माता की जय हो, गौलु दैवता की जय हो, समस्त कुल देव -कुल देवियों की जय हो!

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