झगड़े की जड़ : स्वप्निल श्रीवास्तव (ईशू)

Jhagde Ki Jad : Swapnil Srivastava Ishoo

“बिल्लू की मम्मी, बाहर आओ…….अरे क्या नालायक बच्चे की माँ है….बाहर आओ….” पिंकू की माँ गुस्से में चीखती हुई बोली।
अगले घर से बिल्लू की माँ गरजी, “क्या हो गया क्यों चीख रही हो….”
पिंकू की माँ भड़कते हुए बोली, “अरे तेरा लौंडा है या जानवर…कोई तहज़ीब सिखाई है या नहीं….”
“ए…. आवाज़ नीची कर….क्या भौक रही है….सास से डांट खा कर आई है क्या?” बिल्लू की माँ पलट कर बोली।
पिंकू की माँ गुस्से में तमतमाई हुई बोली, “ए तू देख अपने को, और अपना घर….जानवर जैसी औलाद पैदा की है….देख कितनी ज़ोर से मारा है मेरे पिंकू को…”

बिल्लू की माँ ने बिल्लू को देखा, पूरी तरह धूल में सना खड़ा था, वो बोली, “बिल्लू…बिल्लू… हाय राम, क्या हो गया तुझे….ये कमीज़ कैसे फट गई….चुड़ैल देख अपनी औलाद को….क्या हाल कर दिया रे मेरे बच्चे का।”
पिंकू की माँ गरजी, “ए…. जबान संभाल…. तू चुड़ैल… तू डायन….अरे संभाल तेरे जानवर को…”

बिल्लू की माँ ने बराबर की टक्कर देते हुए कहा “जबान संभाल कर बात कर….तेरी गज़ भर लंबी जबान काट कर चूल्हे में डाल दूंगी। देख रही हो बहन,…इसी जबान के चलते रोज़ घर पर लात खाती है….न पति सेठता है न सास…..अरे दो बार तो घर से निकाल भगाया था”
अब तो पिंकू की माँ और भी भड़क गई थी, बोली, “जा जा कमीनी….तू देख अपना घर….पति घर पर पड़ा रहता है और खुद दिन भर बाहर घूमती फिरती है…”
बिल्लू की माँ बोली, “चुड़ैल, इलजाम लगाती है…तू देख अपना घर…अरे सुनते हो जी! देखो तो बिल्लू का मार- मार कर क्या हाल कर दिया है….बाहर आओ।”

पिंकू की माँ भी अपने पति को बुलाते हुए बोली, “अरे जा-जा….बुला तेरे मरद को …देखती हूँ उसे भी….सुनो! बाहर आओ जी! ये चुड़ैल अपनी औकात दिखा रही है।”
बिल्लू के पापा बाहर आते हुए बोले, “अरे क्या हो गया बिल्लू की माँ, क्यों चीख रही हो?”
“देखो जी, बिल्लू की क्या हालत कर दी है, दरिंदे की तरह नोच डाला है, पूरी कमीज का सत्यानाश कर दिया।” बिल्लू की माँ बोली
बिल्लू के पापा, पिंकू की माँ की ओर मुखातिब हुए और बोले, “पिंकू की मम्मी, समझाओ अपने पिंकू को, क्या है यह सब?”

उधर पिंकू के पापा कमीज पहनते हुए बाहर आए और गरजे, ” ए… इधर देख कर बात कर…औरत से क्या बात कर रहा है….साले अपनी औलाद को देख….हमें क्या बोलता है।”
अब बारी बिल्लू के पापा की थी, बोले, ” तमीज़ से बात कर बे….दो मिनट में औकात दिखा दूंगा…”
“..., साले मुझे औकात दिखाएगा, साले मुंह खोला तो तेरा सर खोल दूंगा” पिंकू के पापा बोले।
भड़कते हुए बिल्लू के पापा बोले, ” साले ..., साले डरपोक, दम है तो हाथ लगा कर दिखा…तेरी तो..।”
“….आ साले, ले आ गया….तेरी तो…., …ये ले…” पिंकू के पापा बिल्लू के पापा का कॉलर पकड़ते हुए बोले।
फिर क्या धूम-धड़ाम, ढिशूम-ढिशूम, पटका-पटकी, सर फुड़उवल……
उधर दूर पान की दूकान पर खड़ा संतोष सब तमाशा देख रहा था, बोला, “का भईया चौरसिया, क्या हो गया?”
“अरे का बताई, पहले मनोहर और परकास की मेहरारू लड़ीं, फिर ओके बाद उ दोनों।” चौरसिया पान पर कत्था मलते हुए बोला।
“अबे पर लड़े काहे….जमीन, जायजाद या औरत…झगड़ा कौन बात का है।” संतोष ने उचक कर तमाशा देखते हुए पूछा।
“अरे नहीं…. दोनों के लौंडे लड़ लिए, उसी बात पर टंटा सुरु…पहले गाली- गलौज फिर सर फुड़उवल।” चौरसिया पान पकड़ाते हुए बोला।
संतोष ने पान मुंह में डालते हुए पूछा, “अच्छा…लौंडे कहाँ है?….ठीक तो है?….ज्यादा मार लगी है क्या?”
चौरसिया मुस्कुराया और बोला, “काहे की मार, वो देखो, दोनों पारक में खेल रहे हैं।”

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