Upendranath Ashk
उपेन्द्रनाथ अश्क

उपेन्द्रनाथ अश्क (१९१०- १९ जनवरी १९९६) उर्दू एवं हिन्दी के प्रसिद्ध कथाकार उपन्यासकार, कवि तथा नाटककार थे। ये अपनी पुस्तक स्वयं ही प्रकाशित करते थे। 'अश्क' का जन्म जालन्धर, पंजाब में हुआ। जालन्धर में प्रारम्भिक शिक्षा लेते समय ११ वर्ष की आयु से ही वे पंजाबी में तुकबंदियाँ करने लगे थे। कला स्नातक होने के बाद उन्होंने अध्यापन का कार्य शुरू किया तथा विधि की परीक्षा विशेष योग्यता के साथ पास की। अश्क जी ने अपना साहित्यिक जीवन उर्दू लेखक के रूप में शुरू किया था किन्तु बाद में वे हिन्दी के लेखक के रूप में ही जाने गए। १९३२ में मुंशी प्रेमचन्द की सलाह पर उन्होंने हिन्दी में लिखना आरम्भ किया। १९३३ में उनका दूसरा कहानी संग्रह 'औरत की फितरत' प्रकाशित हुआ जिसकी भूमिका मुंशी प्रेमचन्द ने लिखी। उनका पहला काव्य संग्रह 'प्रातः प्रदीप' १९३८ में प्रकाशित हुआ। बम्बई प्रवास में आपने फ़िल्मों की कहानियाँ, पटकथाएँ, सम्वाद और गीत लिखे, तीन फ़िल्मों में काम भी किया किन्तु चमक-दमक वाली ज़िन्दगी उन्हे रास नहीं आई। उनको १९७२ के 'सोवियत लैंड नेहरू पुरस्कार' से भी सम्मानित किया गया। उनकी प्रकाशित रचनाएँ हैं; उपन्यास : गिरती दीवारें, शहर में घूमता आईना, गर्म राख, सितारों के खेल, आदि; कहानी संग्रह : सत्तर श्रेष्ठ कहानियां, जुदाई की शाम के गीत, काले साहब, पिंजरा, अआड; नाटक: लौटता हुआ दिन, बड़े खिलाड़ी , जय-पराजय, स्वर्ग की झलक, भँवर, अंजो दीदी; एकांकी संग्रह : अन्धी गली, मुखड़ा बदल गया, चरवाहे; काव्य : एक दिन आकाश ने कहा, प्रातःप्रदीप, दीप जलेगा, बरगद की बेटी, उर्म्मियाँ, रिजपर; संस्मरण: मण्टो मेरा दुश्मन, फिल्मी जीवन की झलकियाँ; आलोचना: अन्वेषण की सहयात्रा, हिन्दी कहानी: एक अन्तरंग परिचय।