धन के बच्चे : इथियोपिया की लोक-कथा

Dhan Ke Bachche : Ethiopia Folk Tale

एक बार एक आदमी ने दूसरे आदमी को कुछ पैसे छह महीने के लिये ब्याज पर उधार दिये। उधार लेने वाले ने उन पैसों को ऐसा का ऐसा ही उठा कर रख दिया।

जब छह महीने बीत गये तो उधार देने वाले ने खुशी से भर कर पूछा - "भाई, तुम मेरे पैसे कब वापस करोगे?"

यह सुन कर उधार लेने वाला अन्दर गया और पैसों की थैली खोल कर उसके सारे के सारे पैसे उसको गिन कर दे दिये।

उधार देने वाले ने पूछा - "भाई, जो इस धन से पैदा हुआ वह कहाँ है?" उसका मतलब था कि उस पैसे का ब्याज कहाँ है?

उधार लेने वाला डर गया। वह डरते डरते बोला - "खुदा गवाह है भाई, इससे तो कुछ भी पैदा नहीं हुआ।"

इस पर उधार देने वाले ने ज़ोर दे कर कहा - "मुझे इससे जो पैदा हुआ वह भी तो ला कर दो न, मुझे वह भी चाहिये।"

उधार लेने वाला हाथ जोड़ कर बोला - "तुमको मेरा विश्वास नहीं होता तो आओ मेरे साथ। मैं तुमको वह जगह दिखाता हूँ जहाँ मैंने ये पैसे रखे थे।"

ऐसा कह कर वह उस आदमी को वहाँ ले गया जहाँ उसने वह थैली रखी थी और उसको वह जगह दिखाते हुए बोला - "देखो यह रही वह जगह जहाँ मैंने तुम्हारी दी हुई पैसों की थैली रखी थी।

और वह थैली मैंने ऐसी की ऐसी ही तुमको तुम्हारे सामने वापस कर दी है। मैं कसम खा कर कहता हूँ कि तुम्हारे इन पैसों में से कुछ भी पैदा नहीं हुआ है।"

उधार देने वाला यह सुन कर अपना पैसा वापस ले कर अपना सिर पीटता हुआ अपने घर वापस चला गया।

(साभार : सुषमा गुप्ता)

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