भुट्टाचोर : मेक्सिको की लोक-कथा

Bhuttachor: Lok-Katha (Mexico)

एक गांव में एक धनी किसान रहता था। किसान के पाम बैलों की जोड़ी और कई खिड़कियों वाले मकान के साथ-साथ भुट्टों का एक खेत भी था। खेती-बाड़ी के दिनों में वह बड़े गर्व से अपने खेतों की ओर निहारता और तपती दोपहरी में पके हुए भुट्टों को देखकर बड़ा प्रसन्‍न होता था।

एक साल ऐसा भी आया जब किसान ने देखा कि उसकी अनुपस्थिति में कोई चोर उसके खेतों में आता और रातों-रात कुछ भुट्टे चुराकर ले जाता।

किसान के तीन लड़के थे। बड़े दोनों लड़के बड़े घमण्डी थे लेकिन छोटा लड़का सीधा-सादा और दयालु था।

एक दिन किसान ने अपने तीनों लड़कों को बुलाकर कहा, “तुम तीनों में से जो भी चोर को पकड़कर लाएगा उसे ही मैं अपना उत्तराधिकारी बनाऊंगा।”

सबसे पहले बड़े लड़के ने अपनी किस्मत आजमानी चाही। रात के धुंधलके में वह अपनी खाट से उठा और कंधे पर बंदूक रख, सिर पर एक गोलाकार टोप पहन खेतों की तरफ चल पड़ा। रास्ते-भर वह उनींदी आंखों से उबासियां लेता, ठोकरें खाता चलता रहा।

एक कुएं के पास पहुंचकर उसे थोड़ा आराम करने की सूझी । उसने अपनी आंखें टोप से ढंक लीं और खरटि भरने लगा। कुछ ही क्षणों बाद एक मेंढ़क के टर्राने की आवाज़ से उसकी नींद टूट गई, उसने अपनी आंखें खोलीं और आश्चर्य से इधर-उधर देखने लगा तो पाया कि एक मेंढ़क उसके करीब आकर बैठ गया है।

“मुझे अपने साथ भुट्टों के खेत में ले चलो ।” मेंढ़क टर्राया, “मैं तुम्हें चोर को पकड़ने में मदद करूंगा।”

लेकिन बड़ा लड़का डपटकर बोला, “जा-जा! तू इतना-सा मेंढ़क मेरी क्या मदद करेगा!” इतना कहकर उसने मेंढ़क को उठाकर कुएं में फेंक दिया।

फिर वह अपने खेतों की तरफ बढ़ गया। उसने भरसक कोशिश की कि बाकी रात वह आंखों ही में काट दे, लेकिन उसे पता नहीं चला कि कब उसकी आंखें मुंद गई और उसे नींद आ गई। सुबह जब सूरज उगा तो उसने देखा कि कुछ भुट्टे चोरी चले गये थे।

अब मंझले लड़के को अपना भाग्य आज़माने का अवसर मिला। वह भी कंधे पर बंदूक रख खेतों की ओर चल पड़ा। रास्ते में उसे प्यास लगी। पानी का बर्तन कुएं में डालकर उसने पानी निकाला तो साथ में वह मेंढ़क भी निकल आया। बाहर आकर मेंढ़क ने मंझले लड़के को भी यही कहा, “मुझे अपने साथ खेतों में ले चलो। चोर पकड़ने में मैं तुम्हारी सहायता करूंगा ।” और यह कहकर मेंढ़क ने अपनी टर्र-टर्र का संगीत छेड़ दिया।

मंझला लड़का इस आवाज़ से बड़ा परेशान हो गया। वह मेंढ़क को डांटते हुए बोला, “अपनी यह कर्कश आवाज़ बन्द करो!”

मेंढ़क टर्राता रहा। मंझला लड़का पानी पीकर आगे बढ़ गया । वह भी खेत के एक कोने में बैठकर चोर की प्रतीक्षा करने लगा, पर उसको भी निराशा ही हाथ लगी।

मंझला भाई भी असफल रहा तो सबसे छोटे लड़के ने कहा, “अब भाग्य आज़माने का अवसर मुझे मिलना चाहिए।”

उसके दोनों बड़े भाई इस बात पर खूब हँसे और गर्व से कहा, “तुम अपने जाने की बात कहने का साहस कैसे कर सके जबकि हम दोनों ही वहां असफल हुए हैं।”

आखिर तीसरी रात सबसे छोटा लड़का, चल पड़ा । उसने भी अपने भाइयों की तरह बंदूक कंधे पर लटकाई, कुछ खाने-पीने को साथ लिया और खेतों की ओर चल पड़ा। कुएं के पास आकर उसने अपने झोले में से निकालकर कुछ खाया। उसे भी अपने पांवों के पास वही मेंढ़क टर्राता हुआ मिला। उसने बड़े गौर से मेंढ़क की तरफ देखा।

“कहो दोस्त, कैसे हो?” इतना कहकर उसने मेंढ़क को अपनी हथेली पर उठा लिया और पूछा, “कुछ खाओगे? मेरे पास स्वादिष्ट चीज़ें हैं।”

मेंढ़क ने उसकी दी हुई कुछ चीज़ें खायीं और जब वह खाकर उठा तो मेंढ़क बोला-
“मुझे अपने साथ भुट्टों के खेत में ते चलो, मैं तुम्हें चोर पकड़ने में मदद दूंगा ।"
“हां-हां, क्‍यों नहीं! बड़ी ख़ुशी से तुम मेरे साथ चल सकते हो।"

उसके बाद मेंढ़क ने लड़के से कहा, “तुम कुएं की तरफ थोड़ा झुककर किसी भी चीज़ की कामना करो। कुएं में जादू का एक पत्थर है जिसके प्रभाव से तुम्हारी मनोकामना पूरी हो जाएगी।”

लड़के ने कुएं की तरफ झुककर कहा, “मेरी कामना है कि मैं उस चोर को पकड़ूँ जो रोज़ हमारे खेत के भुट्टे नष्ट कर जाता है...किसी खूबसूरत लड़की से शादी करूं और किसी ऐसे शानदार घर में रहूं जिसमें कई-कई खिड़कियां हों।” इसके बाद वे दोनों साथ-साथ खेतों की तरफ चल पड़े ।

अभी कुछ ही देर हुई थी कि छोटे भाई को अचानक किसी चिड़िया के फड़फड़ाने की आवाज़ सुनाई पड़ी। एक बहुत बड़ी चिड़िया आकाश से खेतों में उतर रही थी। चांदनी रात में चिड़िया के पंख सोने की तरह चमक रहे थे। छोटे भाई ने मन-ही-मन सोचा-“तो यही है भुट्टाचोर” और निशाना बनाकर वह गोली दागने को ही था कि मेंढ़क ज़ोर से टर्राया, “नहीं-नहीं, उसे गोली मत मारो। ऐसा करने से तुम अपनी प्रेमिका को खो बैठोगे।”

भुट्टे खा लेने के बाद वह चिड़िया उनके ऊपर से उड़ने लगी तो बहुत ही लुभावने स्वर में वह गाने लगी। उसके गाने का अर्थ था कि वह सचमुच में कोई चिड़िया नहीं है। वह तो केवल किसी जादूगर के शाप से लड़की से चिड़िया बन गई थी। इंसान होने के नाते उसे ख़ाने को तो कुछ चाहिए ही, इसीलिए वह रोज़ इस खेत में भुट्टे चुराकर खाने आती थी।

अब मेंढ़क के गाने की बारी थी। अपना गला साफ करके जब वह गाने लगा तो लड़के ने देखा कि चिड़िया के पंख धीरे-धीरे झड़ने लगे हैं। कुछ ही क्षणों में वह चिड़िया एक खूबसूरत लड़की में बदल गई।

“यही वह खूबसूरत बीवी है जिसकी तुमने कामना की थी ।” मेंढ़क बोला।

छोटे लड़के ने उस लड़की का हाथ अपने हाथों में ले लिया और तीनों घर की तरफ चल दिए। जब वे वहां पहुंचे तो उसने देखा कि उसके पिता के घर के पास में ही कई खिड़कियों वाला एक सुन्दर और आलीशान महल खड़ा था।
“यही वह आलीशान मकान है जिसकी तुमने कामना की थी ।” मेंढ़क ने कहा।
छोटे लड़के ने अपने पिता को जब यह रोमांचकारी कहानी बतायी तो वह भी हैरान रह गया।

छोटे भाई की सफलता देखकर दोनों बड़े भाइयों के मुंह से निकल गया, “काश, हमने भी मेंढ़क की बात को महत्त्व दिया होता!” लेकिन उनका बाप बहुत खुश था कि सबसे छोटे लड़के ने आखिर भुट्टों के चोर का पता लगा ही लिया। अपने वचन के अनुसार उसने छोटे लड़के को अपना उत्तराधिकारी बना दिया।

उस दिन के बाद वह लड़का, उसकी खूबसूरत बीवी और मित्र मेंढ़क उस आलीशान भवन में ख़ुशी से दिन गुज़ारने लगे।

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